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    इंदौर राउंड टेबल कॉन्‍फ्रेंस : सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध करा रहे हाई प्रोटीन डाइट

    माय सिटी माय प्राइड अभियान के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर काम किया जा रहा है।

    By Krishan KumarEdited By: Updated: Mon, 27 May 2019 07:08 PM (IST)

    इंदौर,नईदुनिया प्रतिनिधि: माय सिटी माय प्राइड अभियान के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर काम किया जा रहा है। पहले एमवाय अस्पताल व बाणगंगा अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को हाई प्रोटीन डाइट दी जाती थी। अब संस्था पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों में इसे उपलब्‍ध करा रही है। इसके अलावा ऐसे मरीज जो चिकित्सकीय उपकरण नहीं खरीद पाते उन्हें यह उपकरण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
    यह बात माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत आयोजित राउंड टेबल कान्फ्रेंस में सहायता संस्था के डॉक्टर अनिल भंडारी ने कहीं।

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    करियर काउंसलर सचिन भटनागर ने कहा सरकारी स्कूलों में प्रतिभाशाली बच्चों की कमी नहीं है। बस उन्हें मागर्दशन देने की जरूरत है। माय सिटी माय प्राइड अभियान से जुड़कर सप्ताह में एक दिन हम सरकारी स्कूलों में छात्रों को करियर से संबधित जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं शिक्षकों को भी सरकार की योजनाएं कोर्स से संबधित जानकारी दी जा रही है जिससे वे भी बच्चों का मार्गदर्शन कर सके। कार्यक्रम के तहत अलग अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने शहर को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दिए। साथ ही अभियान में अपना पूरा सहयोग देने संकल्प लिया।
    हेल्थ सेक्टर में कॉल सेंटर बनाने की आवश्यकता
    हेल्थ सेक्टर में कॉल सेंटर बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे प्राइवेट अस्पतालों के रैकेट से मरीज को बचाया जा सकेगा। इन सेंटरों के माध्यम से योजनाओं व कौन से अस्पताल में इलाज हो सकेगा इसकी जानकारी दी जाए। 30 साल से एमवाय में सहायता सेंटर चला रहे हैं। यही काम मध्य प्रदेश के 20 से अधिक जिला अस्पतालों में किया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा होने से हर कोई वहा पर इलाज नहीं करा पाता। सरकारी अस्पतालों में इलाज की बेहतर व्यवस्था नहीं है। जो दवाइयां प्राइवेट डॉक्टरों के पास सैम्‍पल के रूप में आती है।

     

    उसे हम उनसे लेकर गरीब मरीजों की सहायता करते हैं। 80 प्रतिशत दवाई इसी तरह से जुटाई जाती है। प्राइवेट संस्थानों में पांच हजार रुपये में एमआरआई होता है। इसमें से आधी राशि डॉक्टरों को कमीशन के तौर पर जाती है। हमारी संस्था ऐसे संस्थानों से सीधे संपर्क कर मरीजों को सिर्फ 2500 रुपये में एमआरआई उपलब्‍ध करा देती है। जिनके पास यह राशि भी नहीं होती उनकी मदद भी हम कर रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रोटीन डाइट के लिए भी काम कर रहे हैं। जिसे अब संभाग स्तर तक आगे बढ़ाया जाएगा।
    अनिल भंडारी, संचालक, सहायता संस्था
    गरीब मरीजों की सहायता के लिए लगा रहे
    कई सालों से हेल्थ के सेक्टर में काम करता आ रहा हूं। पहले जब गांव में कैंप लगा ऑपरेशन करने जाते तो लोग जागरूक ना होने के कारण संख्या कम रहती थी। धीरे धीरे जागरूकता आई व इलाज व ऑपरेशन के लिए आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ गई। इसके बाद अस्पताल प्रारंभ किया। गरीब मरीजों के लिए अस्पताल में ही बेड उपलब्ध कराए हैं। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से ऑपरेशन के बाद मरीजों की देखरेख का काम किया जा रहा है। आर्थोपेडिक हेंडीक्राप्ट बच्चों के लिए एक सेंटर बनाए जाने की योजना है। अभी तक यह काम कहीं नहीं हो रहा। इससे कई बच्चों को प्लास्टिक सर्जरी से लेकर ऑपरेशन तक की सुविधा दे सकेंगे। माय सिटी माय प्राइड अभियान के साथ अलग-अलग क्षेत्रों मे कैंप आयोजित कर लोगों को ज्यादा से ज्यादा मेडिकल मदद मुहैया करवाएंगे।
    डॉक्टर प्रमोद नीमा
    कचरे से घरो में ही खाद बनाने की दिशा में तेजी से काम...
    गीले और सूखे कचरे के घरों में निपटान के लिए घरों में कचरे से खाद बनाने के लिए लोगों को इसके लिए अवेयर करने का अभियान में काम कर रहे हैं। इसका लोगों से बेहतर रिस्पांस मिल रहा है। अक्टूबर माह में कई इलाकों में पहुंचकर लोगों को घरों में खाद बनाने की तकनीक बताई। अब लोग खुद घर में ही खाद बना रहे हैं जिससे वह खुश भी हैं। धीरे धीरे यह मुहिम आगे बढ़ रही है। नगर निगम इस काम को करने पर कचरा संग्रहण शुल्क में सबसिडी भी प्रदान कर रहा है। सीएसआर के तहत भी लाभ मिल रहा है। 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में इसका फायदा मिलेगा।
    श्रीगोपाल जगताप, हेड एनजीओ बेसिक

    लोगों के साथ मिलकर सामुदायिक पुलिसिंग पर कर रहे काम
    पिछले 10 से 15 सालों में शहर के बाहरी क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य हो रहे हैं। शहर बिजनेस व एजुकेशन हब होने से अन्य जगहों से भी लोग पहुंचे हैं। इसलिए सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। लोगों के साथ मिलकर सामुदायिक पुलिसिंग पर काम किया गया। इसका बेहतर परिणाम भी सामने आए हैं। हर थाना क्षेत्र में वाट्सएप ग्रुप में पुलिस के साथ ही नगर रक्षा समिति के सदस्य भी शामिल हैं। ऐसे में जहा व्यवस्था बनाने में पुलिस बन कम होता है वहा इन लोगों का सहयोग मिल रहा है। यह एक बेहतर प्रयास साबित हो रहा है।

    शहर में कहीं पर वाहनों की अधिकाधिक संख्या होने पर जाम लगने पर रक्षा समितियों के सदस्य सामने आ मदद कर रहे हैं। महिला सुरक्षा को लेकर भी काम किए जा रहे हैं। अब पुलिस काउंसलिंग की प्रोसेस को आगे बढ़ाएगी। इसके तहत जो लोग नशा बेचते हुए व नशा करते हुए पकड1े उन्हें बेहतर काउंसिलिंग दी जाएगी। सामाजिक संगठनों की मदद से इसे कम किया जाएगा।
    मनीष खत्री, एएसपी

    हर सप्ताह फ्री देंगे सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग
    मैं मार्शल आर्ट ट्रेनर के साथ ही बास्केटबॉल नेशनल प्लेयर भी हूं। कॉलेज की बस में कुछ लड़कों के कमेंट करने पर उन्हें चाटा मारा था। उसके बाद पुलिस आई वे कॉलेज से रेस्टिकेट भी हुए। इसके बाद से हर किसी को मार्शल आर्ट व सेल्फ डिफेंस सिखाने का संकल्प लिया। समाज को बदलने के लिए किसी को आगे आना होगा। हर सप्ताह हम शहर की मल्टियों में जाकर वहां पर फ्री में सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे रहे हैं। नईदुनिया माय सिटी माय प्राइड के साथ मिलकर इस अभियान को और व्यापक स्तर पर पहुंचाएंगे। माता पिता को पढ़ाई के साथ ही बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना जरूरी है। इसके लिए माता पिता को समझाने का काम भी हम कर रहे हैं। आगे भी इसी तरह युवतियों को आत्म रक्षा के लिए प्रेरित करती रहूंगी।
    शुभांगी चौहान, मार्शल आर्ट ट्रैनर

    साइबर अवेयरनेस बढ़ाने की जरुरत
    समाज में सभी सेक्टर में एक साथ काम होना जरूरी है। शिक्षा के माध्यम से जागरूकता लाई जा सकती है। स्वास्थ्य, सुरक्षा व अन्य सेक्टर को एक साथ जोड़ने से लोगों को आसानी होगी। इसके लिए समाज को शिक्षित करना सबसे आवश्यक है। अभी साइबर क्राइम, इंटरनेट, फाइंनेशियल फ्राड से जुड़ी समस्याएं लेकर लोग पहुंचते हैं। लोगों को जागरूक करने के अभियान की शुरूआत की गई है। इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसे लेकर उनकी मदद करते हैं।
    हिमांशु जाजोदिया, आर्ईटी एक्सपर्ट
    पौधों को पेड़ बनने तक कर रहे देखरेख
    हम पौधों लगाने के साथ ही उनके बड़े होने तक काम करते हैं। राला मंडल में 900 बच्चों के साथ दस हजार से अधिक पौधे रोपे। आज वहा जंगल दिखाई देता है। माय सिटी माय प्राइड के तहत ऐसे लोगों को जोड़ा जा रहा है जो शहर के लिए जी रहे हैं। ऐसे लोगों का सहयोग लेना जरूरी है। इसके लिए पर्यावरण से होने वाले फायदे की शिक्षा देना जरूरी है। स्वस्थ्य जीवन के लिए साफ पानी व पेड़ों का होना जरूरी है। शहर की नब्ज को ठीक करना है तो अधिक से अधिक पेड़ लगाना होंगे। हम शहर में नदी के दोनों और पौधे लगाएंगे। नईदुनिया अगर अभियान प्रारंभ करती है तो इसमें हमारा पूरा सहयोग रहेगा। अभी हम भी नदी के दोनों किनारों पर 30-30 मीटर तक पौधे रोपने का काम जनता के साथ प्रारंभ करने का प्रयास करेंगे।
    सतीश शर्मा, ट्री ग्रो वेलफेयर संस्था