इंदौरः रिश्तेदारों से शुरू हुआ मदद का सिलसिला, अब तक संवारी हजारों की जिंदगी
दान के बारे में एक कहावत है कि जब एक हाथ से दें तो दूसरे को पता भी न चलने पाए। यदि आप दान देते हैं और उसका हिसाब रखते हैं तो उसके मायने सार्थक नहीं होते हैं।
इंदौर, नई दुनिया प्रतिनिधि। दान के बारे में एक कहावत है कि जब एक हाथ से दें तो दूसरे को पता भी न चलने पाए। यदि आप दान देते हैं और उसका हिसाब रखते हैं तो उसके मायने सार्थक नहीं होते हैं। इसलिए 20 सालों से हजारों लोगों की मदद कर चुके हाजी खलील अहमद कुर्रेशी जब भी किसी की मदद करते हैं तो मदद पूरी होते ही उसे भूल भी जाते हैं। न इस बात का कोई हिसाब होता कि कितने लोगों की मदद और न ही इसका कि कितनी मदद की। खलील कुर्रेशी बताते हैं कि उन्होंने आज से करीब 30 साल पहले ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया था।
इस्लाम के अनुसार हर मुस्लिम को अपनी कमाई में से जकात निकलना होता है और इसे सेवा के काम में खर्च करना होता है। खलील बताते हैं कि जब व्यापार अच्छा चलने लगा तो जकात का पैसा सेवा में लगाने लगा और इसके बाद भी पैसे कम पड़ते तो अपनी ओर से दे दिया करता था। जब रिश्तेदारी में जाता था तो कई रिश्तेदार मदद मांगा करते थे। मैं भी अपनी क्षमता के अनुसार मदद कर देता था। धीरे-धीरे यह सिलसिला यहां से बढ़ गया और दूसरे लोग भी मदद के लिए आने लगे। मैंने भी सोचा कि यदि मैं आर्थिक रूप से सक्षम हूं तो इनकी मदद तो कर ही सकता हैं। 20 सालों पहले शुरू हुआ यह सिलसिला अब आदत बन चुका है और अब तक हजारों लोगों तक यह मदद पहुंच चुकी है।
खलील कुर्रेशी ने हजारों जोड़ों की शादी कराई है तो जाने कितने ही बच्चों को वे शिक्षा में मदद कर चुके हैं। अपने समाज के लिए इसके भी आगे कुछ करने की चाहत में उन्होंने 2011 में मध्यप्रदेश मुस्लिम पिंडारा वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया। इसके इंदौर में ही करीब 2 हजार सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि हमें न ही पब्लिसिटी चाहिए और न ही राजनीति करना है, लेकिन मदद के लिए यदि हाथ बढ़ें तो यह बेहतर होगा। इसी सोच के साथ इस सोसाइटी को शुरू किया और अब हजारों लोग एक साथ मदद के लिए आगे आते हैं। खलील कुर्रेशी ने अपने स्तर पर इंदौर के साथ ही सीहोर, देवास, हरदा, खंडवा और होशंगाबाद में मदरसों के लिए भी काम किया है। वे बताते हैं कि कई मदरसों में मैने देखा कि कहीं बच्चों के खाने की व्यवस्था नहीं थी तो कहीं टीन शेड में पढ़ना होता था। इसलिए कई जगहों पर साल भर के खाने की एक साथ व्यवस्था कर देते हैं और जहां भी बिल्डिंग में मरम्मत की जरूरत होती है तो करा देते हैं।
समाज के बच्चों के लिए खोलना है स्कूल
खलील कुर्रेशी बताते हैं कि समाज के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए वे स्कूल खोलने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए कन्नोद में डेढ़ एकड़ जमीन भी ले ली है। इसका मकसद है जो बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम होने के कारण अच्छी शिक्षा से वंचित हैं उन्हें यहां पर इंग्लिश मीडियम स्कूल की अच्छी शिक्षा मिल सके। यह ऐसा स्कूल होगा यहां पर बच्चे ऊर्दू भी पढ़ सकेंगे और अंग्रेजी भी। उन्होंने बताया कि अभी एक साल पहले जमीन ले ली है और अब आगे की योजना पर काम कर रहे हैं।