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सफाई के मामले में देश में अव्वल इंदौर शहर जल्द ही रचेगा एक और कीर्तिमान, 20 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा है प्लांट

सफाई के मामले में देश में अव्वल इंदौर शहर जल्द ही एक और कीर्तिमान रचने वाला है। यहां अब सीवर की गाद से खाद बनाई जाएगी। स्लज हाइजेनेशन प्रोजेक्ट के तहत बन रहे 20 करोड़ रुपये के ट्रीटमेंट प्लांट में खाद बनाने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 06:24 PM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 06:24 PM (IST)
सफाई के मामले में देश में अव्वल इंदौर शहर जल्द ही रचेगा एक और कीर्तिमान, 20 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा है प्लांट
20 करोड़ रुपये के ट्रीटमेंट प्लांट में खाद बनाने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं।

उदय प्रताप सिंह, इंदौर: सफाई के मामले में देश में अव्वल इंदौर शहर जल्द ही एक और कीर्तिमान रचने वाला है। यहां अब सीवर की गाद से खाद बनाई जाएगी। शहर के कबीटखेड़ी में स्लज हाइजेनेशन प्रोजेक्ट के तहत बन रहे 20 करोड़ रुपये के ट्रीटमेंट प्लांट में खाद बनाने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। यहां सीवर के पानी को निकालने के बाद बची गाद से खाद बनाई जाएगी। इसके लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के कोबाल्ट सोर्स का इस्तेमाल होगा। यहां मशीनें लग गई हैं और दिसंबर तक 100 टन क्षमता का यह प्लांट शुरू हो जाएगा।

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कोबाल्ट सोर्स की सहायता से इस प्लांट में उच्च गुणवत्ता की खाद तैयार होगी, जिसे किसानों को दिया जाएगा। अभी गाद को सुखाकर खाद बनाई जाती है, लेकिन यह उतनी गुणवत्तापूर्ण नहीं होती। इस तरह खाद बनाने वाला इंदौर देश का दूसरा शहर होगा। अभी अहमदाबाद में इस तकनीक से खाद बनाई जा रही है।

पांच करोड़ का कोबाल्ट सोर्स मिलेगा निश्शुल्क

इंदौर नगर निगम का भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ करार हुआ है। इसके तहत पांच करोड़ रुपये का कोबाल्ट-60 सोर्स शुरुआत में निगम को निश्शुल्क मिलेगा। इस प्लांट की रेडिएशन क्षमता 1500 किलो क्यूरी (केसीआइ)यूनिट है, लेकिन अभी इसको 500 किलो क्यूरी यूनिट रेडिएशन निश्शुल्क मिलेगा। इसमें से शुरुआत में 125 किलो क्यूरी यूनिट का उपयोग किया जाएगा। शेष का जरूरत के हिसाब से बाद में इस्तेमाल किया जाएगा।

खास बातें

  • -245 एमएलडी सीवर का पानी आता है प्लांट में
  • -15 टन गीली गाद निकलती है उपचारित करने के बाद
  • -02 से ढाई टन गाद रह जाती है सूखने के बाद
  • -10 करोड़ रुपये में सिविल कार्य हुआ है प्लांट का
  • -10 करोड़ रुपये की लागत से मशीनें लगाई गईं
  • -20 हजार वर्गफीट जमीन पर बना है प्लांट
  • -03 साल तक इसका संचालन व रखरखाव करेगी मुंबई की कंपनी

यह होगी व्यवस्था

  • - ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में अभी चार टन क्षमता के ड्रायिंग बेड (जिन पर गाद सुखाई जाती है) हैं
  • - अब 100 टन क्षमता के लिए ड्रायिंग बेड बन रहे हैं
  • - गाद को इस पर रखकर धूप में सुखाया जाएगा
  • - गाद में जब 20 फीसद नमी बाकी होगी तब इसे कोबाल्ट सोर्स के सामने ले जाया जाएगा
  • - इस प्रक्रिया में गाद में मौजूद खराब वैक्टीरिया पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे
  • - इसके बाद उसे बायोएनपीके नामक यूनिट में ले जाया जाएगा, जहां माइक्रोबायोलाजिस्ट मौजूद रहेंगे
  • - कोबाल्ट सोर्स से ट्रीट हुई सूखी गाद में यहां नाइट्रोजन व पोटेशियम मिलाए जाएंगे
  • - इसके बाद खाद 25, 50 और 100 किलो की पैकिंग में तैयार की जाएगी

अभी गीले कचरे की खाद में मिला रहे

अभी जो गाद सीवर से निकलती है, उसे ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में बने ड्रायिंग बेड पर धूप में सुखाया जाता है। 15 से 20 दिन तक सूखने के बाद उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है, जहां गीले कचरे से बनने वाली खाद में इसे मिला दिया जाता है।

ये होता है कोबाल्ट 60

कोबाल्ट-60 मानव निर्मित रेडियोआइसोटोप है। इसे व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार किया जाता है। यह परमाणु संयत्रों की क्रिया से बनने वाला एक बाय प्रोडक्ट होता है। इसका उपयोग कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में भी किया जाता है। इसके अलावा औद्योगिक रेडियोग्राफी में भी उपयोग होता है। साथ ही चिकित्सा संबधी उपकरणों, रेडियोथेरेपी आदि में भी कोबाल्ट-60 का इस्तेमाल किया जाता है।

सीवरेज व सीवर में अंतर

तरल अपशिष्ट को घर से बाहर निकालने में मदद करने के लिए प्रत्येक घर में एक जल निकासी प्रणाली होती है। इस प्रणाली को सीवरेज कहते हैं और इस प्रणाली में बहने वाले अपशिष्ट को सीवर कहा जाता है। इसे पाइपों के माध्यम से बाहर निकाला जाता है, जो एक भूमिगत संरचना में निकल जाता है

अहमदाबाद में गाद हेंडलिंग यूनिट प्लांट के अंदर थी, जिस कारण वहां काफी धूल उड़ती थी। इंदौर के प्लांट में जमीन के नीचे बनी चार मीटर गहरी पिट (खान) में यह यूनिट लगेगी। इससे रेडिएशन प्लांट में उडऩे वाली धूल वहीं रह जाएगी। वह बाहरी जमीन की सतह तक नहीं पहुंचेगी। यह गाद 100 फीसद बैक्टीरिया मुक्त रहेगी। इसमें बायोएनपीके (एक तरह का फर्टीलाइजर) मिलाएंगे, जिससे यह खाद काफी उपजाऊ भी साबित होगी।

-सौरभ माहेश्वरी, असिस्टेंट इंजीनियर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट

इंदौर में बन रहा स्लज हाइजेनेशन प्लांट दिसंबर माह तक शुरू हो जाएगा। इससे संबंधित मशीनें आ चुकी हैं, जिन्हें इंस्टाल भी कर दिया गया है। शेष प्रक्रिया पूरी कर जल्द प्लांट शुरू किया जाएगा।

-असद वारसी, कंसल्टेंट, नगर निगम


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