Indore: इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका खारिज होते ही जज पर फेंकी जूते की माला, वकीलों ने आरोपी को जमकर पीटा, पकड़कर किया पुलिस के हवाले
मध्य प्रदेश के इंदौर जिला न्यायालय के कोर्ट रूम नंबर 40 में जमीन संबंधी प्रकरण खारिज करते ही पक्षकार ने एडीजे विजय कुमार डांगी पर जूते की माला फेंक दी। जैसे ही जूते डायस पर गिरे कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों ने आरोपित को पकड़ लिया। वकीलों ने पहले तो उसकी पिटाई की फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

जागरण न्यूज नेटवर्क, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिला न्यायालय के कोर्ट रूम नंबर 40 में जमीन संबंधी प्रकरण खारिज करते ही पक्षकार ने एडीजे विजय कुमार डांगी पर जूते की माला फेंक दी। जैसे ही जूते डायस पर गिरे, कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों ने आरोपित को पकड़ लिया। वकीलों ने पहले तो उसकी पिटाई की, फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
इस दौरान कवरेज कर रहे मीडियाकर्मी भी मारपीट का शिकार हो गए। एमजी रोड थाना पुलिस ने आरोपित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपित और उसका बेटा पहले से हंगामे की तैयारी करके आए थे। उनकी मंशा इस घटनाक्रम का वीडियो बनाकर उसे बहुप्रसारित करने की थी। आजाद नगर स्थित कोहिनूर कॉलोनी मस्जिद के रास्ते को लेकर सलीम और शाहीद के बीच वर्ष 2012 से ही न्यायालय में प्रकरण चल रहा था। मंगलवार को यह प्रकरण फैसले के लिए नियत था।
दोपहर बाद एडीजे ने जैसे ही प्रकरण खारिज किया, आरोपित सलीम गुस्से से खड़ा हुआ और जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ है। न्यायाधीश ने उसे समझाया कि न्यायालय ने गुणदोष के आधार पर फैसला सुनाया है। तुम चाहो तो इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकते हो। इस बीच सलीम ने गमछे में बांधकर लाए जूते की माला निकालकर जज की तरफ फेंक दी। जूते जैसे ही डायस (जज की टेबल) पर बैठे न्यायाधीश के सामने गिरे, वह हड़बड़ा गए।
बेटा बनाने लगा वीडियो
सलीम के साथ आया उसका दिव्यांग बेटा रईस मोबाइल फोन से वीडियो बनाने लगा। वकीलों ने उसे ऐसा करते देखा तो रोका। इस पर सलीम जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि मेरे साथ अन्याय हुआ है, मेरा बेटा इसका वीडियो बनाएगा। तुम उसे रोक नहीं सकते। हम इसे आगे भेजेंगे।
पहले भी हो चुके हैं घटनाक्रम
इसके पहले भी इंदौर जिला न्यायालय में ऐसे घटनाक्रम हो चुके हैं। अधिवक्ताओं के मुताबिक, करीब 30 वर्ष पहले जिला न्यायालय में न्यायाधीश सूत्रकार के कोर्ट में जूते फेंकने की घटना हो चुकी है। वहीं करीब 20 वर्ष पहले ऐसी ही घटना न्यायाधीश क्षोत्रिय के कोर्ट में हुई थी।
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