क्या है 'साथी' डिवाइस? डिमेंशिया के मरीजों के लिए एक उपहार; जानिए क्या होगा फायदा
इंदौर में आरआरकैट के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. संजय खेर ने डिमेंशिया के मरीज़ों और बुजुर्गों के लिए जीपीएस आधारित एक डिवाइस बनाया है। यह डिवाइस लाइव लोकेशन और इमरजेंसी मैसेज भेजने में मदद करता है। साथी नामक यह डिवाइस माइक्रोकंट्रोलर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग और कोडिंग तकनीक से बना है। यह जीपीएस सैटेलाइट से जुड़कर लाइव लोकेशन भेजता है। इसमें एक सिम लगेगी जिससे आपातकालीन मैसेज भेजा जा सकता है।
जेएनएन, इंदौर। डिमेंशिया के मरीज सामान्य तौर पर कई बातें याद नहीं रख पाते हैं। बाहर जाने पर तो वे घर का पता भी भूल जाते हैं। कई बार बुजुर्गों में भी यह समस्या देखने को मिलती है।
बुजुर्गों और डिमेंशिया के मरीजों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए आरआरकैट के पूर्व विज्ञानी डा संजय खेर ने जीपीएस आधारित एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है, जो डिमेंशिया के मरीजों और बुजुर्गों की इस समस्या को काफी हद तक कम कर देगा।
यह डिवाइस बुजुर्गों और दृष्टिबाधितों को अपने लाइव लोकेशन और इमरजेंसी मैसेज भेजने में मदद करेगा। साथ ही आपातकालीन स्थिति में मदद की आवश्यकता की पूर्ति में भी काम का सकता है। यह डिवाइस सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों की भी लाइव लोकेशन ट्रैक करने में मदद करेगा।
साथी - स्मार्ट एसिसटिव ट्रैकिंग एंड हेल्प इनिशिएटिव नाम
डॉ. संजय खेर ने यह डिवाइस माइक्रोकंट्रोलर, इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग और कोडिंग तकनीक का उपयोग कर बनाया गया है। इसे साथी - स्मार्ट एसिसटिव ट्रैकिंग एंड हेल्प इनिशिएटिव नाम दिया गया है। इस डिवाइस जीपीएस सैटेलाइट से कनेक्ट होता है, जो आपातकालीन स्थिति में लाइव लोकेशन भेजने में मदद करता है। इसके लिए डिवाइस में पहले से एक सिम लगाना होगी, जिसमें स्वजनों के नंबर सेव किए जा सकते हैं। बटन दबाते ही आपातकालीन मैसेज इन नंबरों पर पहुंच जाएगा, जिसमें लाइव लोकेशन की लिंक होगी।
भेजी जा सकती है लाइव लोकेशन भी
एक ओर जहां डिवाइस के माध्यम से लाइव लोकेशन भेजी जा सकती है। वहीं, लाइव लोकेशन प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए संबंधित नंबर पर काल करना होगा।। कुछ सेकंड बाद काल अपनेआप कट जाएगा और संबंधित को लाइव लोकेशन का मैसेज चला जाएगा।
खास बात यह है कि जिस व्यक्ति का मोबाइल नंबर सिम में सेव होगा, डिवाइस की लोकेशन उसी को प्राप्त हो सकेगी। डिवाइस में चार्जेबल बैटरी का उपयोग किया गया है, जिसका बैटरी बैकअप फिलहाल पांच से छ: घंटे का है, इसे बढ़ाने पर कार्य हो रहा है। जल्द ही डिवाइस का पेटेंट भी करवाया जाएगा।
इसमें भी हो सकता है उपयोग
दृष्टिबाधित व वरिष्ठ नागरिकों पर हमले या आपातकालीन स्थिति के दौरान
अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा अपने देखभाल करने वालों से संपर्क करने के लिए
अपने निकटस्थ व्यक्तियों को एसओएस भेजने के लिए
थ्री प्रिंटर तकनीक से बनाया डिवाइस
डॉ. संजय खेर के अनुसार, डिवाइस को थ्री डी प्रिंटर तकनीक से बनाया गया है। इसमें जीपीएस और जीपीआरएस माड्यूल और एक प्रीलोडेड सिम है। बाक्स को सफेद फोल्डेबल केन पर फिट किया जा सकता है। डिवाइस के सुचारू संचालन के लिए रिचार्जेबल बैटरी इस तरह से जुड़ी हुई है कि इसे आसानी से रिचार्ज किया जा सकता है।
डिमेंशिया के मरीज घर का पता भूलने के कारण भटक जाते हैं और आसानी से घर नहीं पहुंच पाते। ऐसे में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, दृष्टिबाधित कोई इमरजेंसी मैसेज स्वजन को भेजना चाहें तो उनके पास मोबाइल के अलावा कोई और विकल्प उपलब्ध नहीं होता। इन समस्या को देखते हुए हमने एक साल पहले डिवाइस पर काम किया था और अलग-अलग तकनीकों पर काम किया। अब हम इसे बनाने में सफल रहे हैं।
- डॉ. संजय खेर, पूर्व विज्ञानी, आरआरकैट
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