Indore: स्वच्छता के साथ पर्यावरण संरक्षण का विचार, दो महीने में लोगों ने बचाई पौने दो करोड़ यूनिट बिजली
इंदौर की पहचान देश के सबसे स्वच्छ शहर में की जाती है। एमपी का ये शहर अब नवाचारों के लिए भी जाना जाने लगा है। इसी कड़ी में इंदौर ने बिजली खपत में कमी लाकर पर्यावरण बेहतर करने का लक्ष्य सामने रखा और उस पर अभियान शुरू किया। इंदौर द्वारा बचाई गई पौने दो करोड़ यूनिट बिजली कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

जेएनएन, इंदौर। नवाचारों के लिए पहचाने जाने वाले देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने अब पर्यावरण संरक्षण में भी नंबर वन बनने की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा दिए हैं। इस बार इंदौर ने बिजली खपत में कमी लाकर पर्यावरण बेहतर करने का लक्ष्य सामने रखा और उस पर अभियान शुरू किया। इसके लिए स्कूली बच्चों, निजी संस्थान व शाषकीय विभागों ने भी सहभागिता की। सभी ने दैनिक रूप से बिजली की खपत कम करने पर काम किया। सिर्फ दो माह में इंदौरवासियों ने पौने दो करोड़ यूनिट बिजली बचाई।
जनवरी 2025 में इंदौर ने तुलनात्मक रूप से 76 लाख यूनिट बिजली कम खर्च की जबकि फरवरी माह में एक करोड़ यूनिट बिजली बचाई। इंदौर द्वारा बचाई गई पौने दो करोड़ यूनिट बिजली कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
यह बचत 25 वर्ष आयु के 20 हजार पेड़ों द्वारा सोखी जाने वाले कार्बन के बराबर है। इसकी पुष्टि आइआइएम यानी भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर की रिपोर्ट में भी हुई है। पिछले वर्ष जनवरी में 15 करोड़ 90 लाख यूनिट बिजली की खपत थी। इस वर्ष जनवरी में इसके 17 करोड़ पहुंचने का अनुमान था, लेकिन इसे 16 करोड़ 24 लाख पर रोका जा सका।
शुरू किया इंदौर क्लाइमेट मिशन
पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदौर नगर पालिका निगम और एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के तत्वावधान में “इंदौर क्लाइमेट मिशन” का भव्य शुभारंभ एक ऐतिहासिक पहल के रूप में किया गया। अभियान की मंशा बताते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि दिखने वाले कचरे के निपटान में तो हम नंबर वन हैं, लेकिन कार्बन उत्सर्जन के रूप में ऐसा कचरा भी है जो नजर नहीं आता। सामान्यत: एक परिवार में एक वर्ष में करीब 10 हजार किलोग्राम न दिखने वाले कचरे (कार्बन उत्सर्जन) के लिए जिम्मेदार होता है। अभियान के तहत हमने इसी न दिखने वाले कचरे को कम करने का प्रयास किया। इसके तहत हमने 20 प्रतिशत बिजली खर्च कम किया है।
जनजागृति के लिए किए कई कार्यक्रम
अभियान की सफलता के लिए जनजागृति जरूरी थी। निगम ने सभी शासकीय कार्यालयों से अपील की गई। जहां पांच ट्यूब लाइटें चल रही हैं वहां चार से काम चलाएं। अभियान में जुटी टीमें स्कूल, कालेजों में विद्यार्थियों से मिली। उन्हें बिजली बचाने के लिए प्रेरित किया। स्कूली बच्चों से कहा कि वे कम से कम दस परिवारों को बिजली बचाने के लिए प्रेरित करें।
रेडियो और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी बिजली बचाने की अपील की गई। अपने कार्यालयों की बिजली खपत 20 प्रतिशत तक कम करने वालों के लिए ब्रेकफास्ट विथ मेयर जैसे आयोजन किए गए। अभियान के तहत इंदौर नगर निगम ने रिंकल अच्छे हैं कार्यक्रम शुरू किया। इसमें शहर के 350 से ज्यादा विशिष्ठजन को आमंत्रित किया गया था। शर्त सिर्फ यह थी कि आयोजन में उन्हें बगैर स्त्री किए (बिना प्रेस के) कपड़े पहनकर आना होगा।
बिजली बचाने के लिए ये किया
बिजली की खपत कम करने के लिए इंदौर ने सप्ताह के सात दिन की कार्ययोजना तैयार की। लक्ष्य यही था कि कम से कम बिजली में अपना दैनिक कार्य करें। सप्ताह के प्रत्येक दिवस के हिसाब से लक्ष्य निर्धारित किए गए।
- प्रत्येक सोमवार - बगैर स्त्री किए कपड़े पहनें
- प्रत्येक मंगलवार - एक समय बगैर पका (कच्चा) भोजन करें
- प्रत्येक बुधवार - कोई कचरा न फेंके
- प्रत्येक गुरुवार - पावर डाउन रखें
- प्रत्येक शुक्रवार - एक समय गाड़ी न चलाएं
- प्रत्येक शनिवार - कोई सामान न खरीदें
- प्रत्येक रविवार - आराम करें, खुद को पुरस्कृत करें, पुरानी वस्तुओं को रिपेयर करें।
पर्यावरण संरक्षण के लिए नगर निगम द्वारा चलाए गए इंदौर क्लाइमेट मिशन को जनता का अच्छा प्रतिसाद मिला है। हमने जनवरी और फरवरी इन दो माह में इंदौर में करीब पौने दो करोड़ यूनिट बिजली बचाई है। यह सुखद है। इंदौर ऐसे ही नवाचार करता रहेगा।
पुष्यमित्र भार्गव महापौर इंदौर

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