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Indore: खरपतवार की समस्या सुगमता से हल करेगा कंप्यूटरीकृत वीड डिटेक्टर, एक एकड़ भूमि की 40 मिनट में होगी सफाई

खेतों में उगने वाले खरपतवार को साफ करना कृषकों के लिए बड़ी समस्या होती है। इसके लिए कृषक तरह-तरह के जतन करते हैं। किसानों की इस समस्या का समाधान दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) आईआईटी रुड़की और इंदौर के श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआईटीएस) के प्रोफेसरों ने मिलकर निकाला है। टीम ने एक स्मार्ट आटोनामस वीड डिटेक्टर एंड रिमूवल एआई डिवाइस तैयार किया है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Published: Mon, 22 Apr 2024 06:51 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2024 06:51 PM (IST)
कंप्यूटर विजन तकनीक वाले वीड डिटेक्टर से एक एकड़ भूमि की 40 मिनट में होगी सफाई।

आदर्श सिंह, इंदौर। खेतों में उगने वाले खरपतवार को साफ करना कृषकों के लिए बड़ी समस्या होती है। इसके लिए कृषक तरह-तरह के जतन करते हैं। किसानों की इस समस्या का समाधान दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू), आईआईटी रुड़की और इंदौर के श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआईटीएस) के प्रोफेसरों ने मिलकर निकाला है।

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टीम ने एक स्मार्ट आटोनामस वीड डिटेक्टर एंड रिमूवल एआई डिवाइस तैयार किया है। यह डिवाइस महज 40 मिनट में एक एकड़ के खेत में उगने वाले खरपतवार को उखाड़ फेंकेगा। इस डिवाइस के लिए आईआईटी खड़गपुर की द टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब कंपनी ने करीब 50 लाख रुपये की फंडिंग भी दी है। इस डिवाइस की टेस्टिंग हो चुकी है, जल्द ही यह खेतों में उतरकर खरपतवार का सफाया करने के लिए तैयार होगा।

कम्प्यूटर विजन AI टेक्नोलॉजी से किया गया तैयार

एसजीएसआईटीएस के इंफॉर्मेशन एंड टेक्नालाजी (आईटी) विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस डिवाइस को कंप्यूटर विजन एआई टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इसमें एचडी क्वालिटी के आईपी बेस्ड चार कैमरे लगे हैं। यह कैमरे एक एमएम के कीड़े की भी पहचान कर सकते हैं।

 संजय पाटीदार, असिस्टेंट प्रोफेसर, दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी

संजय पाटीदार, असिस्टेंट प्रोफेसर, दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी

डिवाइस के लिए अलग-अलग फसलों का डेटा सेट तैयार किया जा रहा है। इसके बाद इस मशीन में फसलों के अनुसार प्रोग्रामिंग किया जाएगा। साथ ही एक एप्लीकेशन भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें डिवाइस को कंट्रोल करने और रिपोर्ट प्राप्त करने की सुविधा रहेगी। इसे इस्तेमाल करने के लिए किसान को सिर्फ एप्लीकेशन पर फसल को सिलेक्ट करना होगा। इसके बाद यह डिवाइस खेत में उस फसल को बिना नुकसान पहुंचाए अन्य तरह के खरपतवार को उखाड़कर कंटेनर में डाल देगा।

उपेंद्र सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसजीएसआईटीएस

डिवाइस में होंगे दो कंटेनर

इस मशीन में दो कंटेनर लगे रहेंगे, जिनकी संग्रहण क्षमता 20 किलो है। जब यह भर जाएंगे, तो इसे संचालित कर रहे व्यक्ति को मोबाइल पर अलर्ट आ जाएगा। हालांकि, डिवाइस में भी कचरे को स्वत: बाहर फेंकने की सुविधा भी रहेगी। इस डिवाइस का इस्तेमाल ऐसे खेतों में किया जा सकेगा, जिनकी फसल के बीच में करीब 15 से 20 सेंटीमीटर की जगह हो। साथ ही तीन फीट से कम ऊंचाई वाले पौधे होने चाहिए। इंडस्ट्री स्तर पर तैयार इस डिवाइस की कीमत एक लाख रुपये से कम ही होगी।

पेटेंट हुआ, 12 घंटे चलती है बैटरी

इस डिवाइस का एप्लीकेंट डीटीयू है। इसे तैयार किया है आईआईटी रुड़की के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नीतेश कुमार, डीटीयू के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय पाटीदार, एसजीएसआईटीएस के इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह, डीटीयू के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर रजनी जिंदल और सुमित कुमार शर्मा ने। इस डिवाइस का पेटेंट भी हो चुका है और अब ग्रांट के लिए पेटेंट फाइल किया गया है।

इसके प्रोटोटाइप की टेस्टिंग आईआईटी रुड़की में हुई है। जल्द ही इसके मूल वर्जन की टेस्टिंग की जाएगी। यह डिवाइस बैटरी संचालित रहेगी और इसमें एक सोलर पैनल भी लगा रहेगा। इससे डिवाइस दिन में 12 घंटे तक चलेगी।

डा. नितेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, आइआइटी रुड़की

डा. नितेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की

उज्जैन और रतलाम के खेतों में होगी टेस्टिंग

इस ऑटोमेटिक डिवाइस को रिमोट से भी नियंत्रित किया जा सकेगा। कहीं भी बैठकर इस डिवाइस की मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी।  इसके रियल मॉडल को तैयार करके उज्जैन और रतलाम के खेतों में भी टेस्ट किया जाएगा। फिलहाल आलू और कपास के खेतों के डेटा के साथ टेस्टिंग होनी है। आगे चलकर अन्य फसलों के डेटा भी शामिल होंगे।

मशीन में मिट्टी की जांच की सुविधा की तैयारी

इस मशीन के अगले वर्जन के लिए भी तैयारी चल रही है। इसमें मिट्टी की जांच की सुविधा दी जाएगी। यह मशीन मिट्टी की गुणवत्ता, उर्वरक बढ़ाने के लिए खाद की मात्रा व रिपोर्ट तैयार करके मोबाइल एप्लीकेशन में उपलब्ध करवाने की सुविधा रहेगी। इसके लिए किसी भी तरह के केमिकल या सेंसर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह कम्प्यूटर विजन से फोटो लेकर रिपोर्ट तैयार करेगा।

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