कान दर्द को न समझें मामूली, हो सकता है चेहरे के लकवे का संकेत, पढ़ें विशेषज्ञ की यह सलाह
कान दर्द को मामूली समझने की भूल न करें, यह चेहरे के लकवे का संकेत हो सकता है। इंदौर के अस्पतालों में बेल्स पाल्सी के मामले बढ़ रहे हैं, जहाँ शुरुआती द ...और पढ़ें

कान दर्द को नजरअंदाज करना ठीक नहीं (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, इंदौर। कान दर्द होना आम बात मानी जाती है, लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह चेहरे के लकवे की शुरुआत भी हो सकती है। सर्दियों के मौसम में बेल्स पाल्सी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। इंदौर के एमवाय अस्पताल सहित बड़े अस्पतालों में हर सप्ताह 7 से 10 नए मरीज पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, अधिकतर मरीज शुरुआती दिनों में केवल कान के पीछे दर्द को सामान्य मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यही बेल्स पाल्सी का पहला और अहम संकेत होता है।
यह है बेल्स पाल्सी
बेल्स पाल्सी को आम भाषा में चेहरे का लकवा कहा जाता है। इसमें चेहरे की एक तरफ अचानक कमजोरी या लकवा आ जाता है। यह स्थिति आमतौर पर चेहरे की नस (फेशियल नर्व) में सूजन या दबाव के कारण होती है। हालांकि, इसमें केवल चेहरे की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं, जबकि हाथ-पैर पूरी तरह सामान्य रहते हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि बेल्स पाल्सी और सामान्य लकवे (स्ट्रोक) में बड़ा अंतर है। स्ट्रोक में दिमाग प्रभावित होता है, जिससे चेहरे के साथ हाथ-पैर में कमजोरी, बोलने में दिक्कत और संतुलन बिगड़ने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं, बेल्स पाल्सी में केवल चेहरे की नस प्रभावित होती है और समय पर इलाज मिलने पर यह पूरी तरह ठीक हो सकता है।
विशेषज्ञ की सलाह
डॉ. आलोक मांदलिया, न्यूरोफिजिशियन, बॉम्बे हॉस्पिटल, इंदौर के अनुसार, ठंड के मौसम में बेल्स पाल्सी का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी-जुकाम के दौरान वायरस गले के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और बाद में चेहरे की नस को प्रभावित कर सकता है। कई बार यह वायरस शरीर में सुप्त अवस्था में रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होते ही सक्रिय हो जाता है।
दो प्रमुख लक्षणों पर दें ध्यान
- कान के पीछे तेज या लगातार दर्द
- चेहरे का एक तरफ झुक जाना या तिरछापन
इसके अलावा आंख का पूरी तरह बंद न हो पाना और चेहरे में कमजोरी भी इसके संकेत हो सकते हैं।
कब जाएं डॉक्टर के पास
बेल्स पाल्सी में शुरुआती 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान एंटी-वायरल दवाएं और सूजन कम करने की दवा शुरू हो जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इलाज में देरी से नस को स्थायी नुकसान हो सकता है।
इलाज और सावधानियां
इलाज में एंटी-वायरल दवाओं के साथ स्टेरॉयड दिए जाते हैं, जिससे सूजन कम होती है। स्टेरॉयड लेने से ब्लड प्रेशर और शुगर बढ़ सकती है, इसलिए इलाज के दौरान नियमित जांच जरूरी होती है। फिजियोथेरेपी भी रिकवरी में अहम भूमिका निभाती है।
घबराएं नहीं
समय पर उपचार, दवाओं का सही सेवन और फिजियोथेरेपी से करीब 95 प्रतिशत मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं।
आम भ्रांति और सच्चाई
भ्रांति : चेहरे का टेढ़ापन मतलब स्ट्रोक।
सच्चाई : हर बार स्ट्रोक नहीं होता, कई मामलों में यह बेल्स पाल्सी भी हो सकता है।

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