AI मॉडल बताएगा ओरल कैंसर है या नहीं, तस्वीर अपलोड करते ही मिल जाएगी रिपोर्ट
इंदौर की डॉ. सुनीता वर्मा ने एआई आधारित सीएनएन मॉडल तैयार किया है जो मुंह के कैंसर की सटीक पहचान कर सकता है। यह मॉडल ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध होगा जिससे मरीजों को शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस तकनीक से 88% सटीकता से कैंसर की पहचान की जा सकेगी और इसे और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम चल रहा है।

भरत मानधन्या, इंदौर। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के मरीजों को मुंह के कैंसर की जांच के मामले में बड़ी राहत मिलने जा रही है। अभी ऐसे मरीजों को बीमारी की जांच के लिए शहर और बड़े डाक्टर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं, इसकी जांच करवाने के लिए शासकीय अस्पतालों में लंबी वेटिंग के दौर से भी गुजरना पड़ता है।
शहर के श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस के आइटी विभाग की प्रोफेसर डा सुनीता वर्मा ने मरीजों की इस समस्या का हल निकाल लिया है। उन्होंने सीएनएन माडल तैयार किया है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है, जो हिस्टोपैथोलाजी रिपोर्ट की तस्वीर देखकर यह बताने में सक्षम होगा कि संबंधित व्यक्ति को मुंह का कैंसर है या नहीं।
डीप लर्निंग ब्रांच की मदद से बनाया सीएनएन मॉडल
डॉ सुनीता वर्मा ने एआई की डीप लर्निंग ब्रांच की मदद से सीएनएन मॉडल तैयार किया है। पहले हिस्टोपैथोलाजी रिपोर्ट की स्कैन फोटो मॉडल में फीड करना होगा। इसके बाद मॉडल तीन स्थितियां बताएगा। पहला मरीज को मुंह का कैंसर है या नहीं। दूसरी स्थिति में यह बिनाइन केस की जानकारी देगा, यानी मरीज को ट्यूमर है, लेकिन मुंह का कैंसर नहीं और तीसरी स्थिति में मैलिग्नेंट केस की पुष्टि करेगा, यानी मरीज को कैंसर है।
डॉ वर्मा के अनुसार, इस मॉडल के लिए उन्होंने शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय की मदद ली। उन्होंने करीब एक हजार ऐसी हिस्टोपैथोलाजी रिपोर्ट ली, जो मुंह के कैंसर की पुष्टि नहीं करती और 500 से 600 बिनाइन और मैलिग्नेंट केस की रिपोर्ट ली। इन दोनों की रिपोर्ट को उन्होंने डीप लर्निंग मॉडल में फीड किया।
- मॉडल को यह समझने में आसानी हुई कि कौन सी रिपोर्ट में कौन सी बातें मुंह के कैंसर की पुष्टि करती है और कौन सी नहीं।
- इस डेटा सेट के माध्यम से यह मॉडल मुंह के कैंसर की 88 प्रतिशत तक सटीक पुष्टि कर सकता है।
- मॉडल की सटिकता 99 प्रतिशत तक पहुंचाने के लिए और डाटा फीड किया जा रहा है।
सिर्फ खर्च होंगे 50 हजार
डॉ सुनीता वर्मा ने बताया कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मेडिकल सुविधाओं का अभाव है और मुंह के कैंसर के मरीजों को शहर आना पड़ता है। इस मॉडल की खास बात यह होगी कि इसे छोटे क्षेत्रों और गांवों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इंस्टाल किया जा सकेगा, जिसका खर्च करीब 50 से 60 हजार रुपये होगा। यहां किसी भी सक्षम डॉक्टर या स्टाफ को एक बार मॉडल पर काम करने की ट्रेनिंग देना होगी, इसके बाद वह खुद ही इसे चलाने में सक्षम होगा और मरीजों को अन्य शहरों में नहीं जाना होगा।
डॉ सुनीता वर्मा के अनुसार मॉडल को और बेहतर बनाने के लिए कार्य चल रहा है। उनके अनुसार जल्द ही इसका पेटेंट भी करवाया जाएगा।
"मैंने मरीजों को होने वाली असुविधाओं और मेडिकल सुविधाओं के अभाव को देखते हुए, इस मॉडल को बनाया है। इस मॉडल को और सटीक बनाने के लिए इसके डाटा फीड किया जा रहा है। इसके बाद हम जल्द ही पेटेंट के लिए भी आवेदन करेंगे।" डॉ सुनीता वर्मा, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, आइटी विभाग, एसजीएसआइटीएस
मरीजों को मिलेगी सुविधा
इंदौर के दंत चिकित्सालय महाविद्यालय के ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलाजी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ अजय परिहार ने कहा, "मुंह के कैंसर के लक्षण हड्डियों में दिखते हैं। मरीजों के पास इसका एक्स-रे कराने की सुविधा तो होती है, लेकिन इसे देखकर कैंसर होने या न होने की पुष्टि करने वाले डाक्टरों की काफी कमी है। यह एआई मॉडल इन लोगों की इस समस्या को दूर करेगा और वे अपने क्षेत्र में प्राथमिक या अन्य चिकित्सालयों में रिपोर्ट दिखाकर इसकी पुष्टि करवा सकेंगे। मुंह में कई प्रकार के छाले होते हैं, लेकिन हर छाला कैंसर का नहीं होता। इस बात की पुष्टि भी उनके ही क्षेत्र में होने से मरीजों के बड़े शहरों में आने-जाने का समय और पैसा दोनों बचेगा।"
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