'मैडम हमारी जमीन बचा लीजिए...', आदिवासी महिला ने पैर पकड़ लगाई गुहार, पर कार में बैठकर निकल गईं तहसीलदार
श्योपुर जिले में एक आदिवासी महिला, सावित्री बाई, ने अपनी जमीन पर कब्जे की शिकायत लेकर तहसीलदार के पैर पकड़ लिए। महिला ने आरोप लगाया कि शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। तहसीलदार ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं, वहीं कलेक्टर ने तहसीलदार से जवाब मांगा है।

तहसीलदार के पैर पकड़कर न्याय की गुहार लगाती महिला।
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। एक ओर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हर महीने समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से लोगों की समस्याओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनकर तत्काल निराकरण के निर्देश देते हैं। वहीं प्रदेश के श्योपुर जिले में कराहल तहसील कार्यालय पर शनिवार को ऐसा दृश्य सामने आया जिसने प्रशासनिक संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए।
बहू के साथ पहुंची थी आदिवासी महिला
अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान दिव्यांग आदिवासी महिला सावित्री बाई अपने बेटे की बहू के साथ तहसील कार्यालय पहुंचीं और तहसीलदार रोशनी शेख के पैरों पर गिरकर न्याय की गुहार लगाई। महिला ने आरोप लगाया कि कि शिकायत किए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सावित्री बाई तहसीलदार से रोते हुए कहती दिख रही हैं, मैडम, हमारी जमीन बचा लीजिए, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी।
महिलाओं का कहना है कि तहसीलदार ने उनकी बात सुनने के बाद उन्हें ठोस आश्वासन देने के बजाय गाड़ी में बैठकर कार्यालय से निकलना उचित समझा। यह रवैया उस समय सवालों के घेरे में है, जब राज्य शासन और जिला प्रशासन दोनों ही जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत है।
इस मामले में तहसीलदार ने अब संबंधित राजस्व निरीक्षक व पटवारी को जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर तहसील स्तर पर ऐसी बेरुखी रही तो समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई जैसे कार्यक्रमों का असर जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा। कलेक्टर अर्पित वर्मा ने इसका संज्ञान लेते हुए तहसीलदार से इस मामले में जवाब तलब किया है।

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