Project Cheetah: इस वजह से कूनो को चुना गया है चीतों का घर, इनके खाने-पीने में नहीं आएगी कोई दिक्कत
Project Cheetah कूनो चीतों के रहने के लिए इसलिए बेहतर है क्योंकि यहां शाकाहारी प्राणियों की अधिकता है। जिनके सहारे चीतों को अपना पेट पालने में कोई असुविधा नहीं होगी। यहां नामीबिया से आठ चीतों को लाकर आज छोड़ा गया।

ग्वालियर, जागरण आनलाइन डेस्क। पर्यावरण संतुलन में वन्य जीवों की भूमिका हमेशा से अहम रही है। हालांकि, भारत सहित विश्व के तमाम देशों में शेरों की घटती संख्या चिंता का विषय है। इनके संरक्षण का प्रयास जारी है।
भारत में गुजरात (Gujarat) के जूनागढ़ जिले में स्थित गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park) एशियाई शेरों का एकमात्र ठिकाना है। एक वक्त ऐसा था जब शेर पूरे भारत के साथ-साथ एशिया के अन्य देशों में भी पाए जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी आबादी कम होते देख भारत सरकार ने 1965 में गिरवन क्षेत्र को इनके लिए संरक्षित घोषित कर दिया।
1994 में पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश तंजानिया के सेरेंजिटी नेशनल पार्क में केनाइन डिस्टेंपर वायरस से 30 प्रतिशत अफ्रीकी शेरों (बब्बर शेरों) की मौत हो गई।
तंजानिया की तरह गिर अभयारण्य के एशियाई शेर भी बीमारी का शिकार न हो जाएं, इसलिए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गिर के शेरों के लिए दूसरा घर बसाने की योजना के तहत सर्वे करवाया और सबसे मुफीद मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा का कूनोट्ठपालपुर क्षेत्र को पाया।
16 जनवरी, 1981 को इसी जंगल के 344.686 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कूनो सेंक्चुरी बनाया गया। शेरों को बसाने के लिए इस अभयारण्य के बीच जंगल में 24 आदिवासी गांवों को विस्थापित किया गया था।
इसके बाद 1994 से गुजरात के शेरों को कूनो (Kuno National Park) में लाने का प्रयास शुरू हुआ, लेकिन लगातार देरी होने के कारण बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन ट्रस्ट आफ इंडिया संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई।
इस पर 15 अप्रैल, 2003 को आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने छह माह के भीतर शेरों को गिर अभयारण्य से कूनो में शिफ्ट कराने के लिए कहा।
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कूनो में चीते नहीं, सिंह लाकर बसाए जाएं। 2020 में कोर्ट ने पुनर्विचार कर आदेश दिया कि कूनो में चीते बसाए जा सकते हैं।
कूनो में क्या है
कूनो चीतों के रहने के लिए इसलिए बेहतर है क्योंकि यहां शाकाहारी प्राणियों की जितनी आबादी है उससे वर्तमान में 21 चीतों का भरण- पषण किया जा सकता है। इसे आने वाले कुछ वर्षो में 35-40 चीतों के रहने लायक बनाया जा सकता है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वाय एस झाला नवंबर, 2020 में अफ्रीकी चीतों को बसाने की संभावना तलाशने सबसे पहले कूनो आए थे। उन्होंने इस दौरान अपनी टीम के साथ सर्वे किया था। कूनो में अफ्रीकी चीते नवंबर, 2021 में आने थे, लेकिन अफ्रीका में पहले हिंसा, फिर श्योपुर में आई बाढ़ और इसके बाद कोरोना की वजह से इन्हें लाने में देरी होती चली गई।
मालूम हो कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं और इसी दिन पीएम मोदी ने नामीबिया से लाए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को छोड़ा है। इन्हें विशेष मालवाहक विमान से पहले ग्वालियर लाया गया। इसके बाद चिनूक हेलीकॉप्टर से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ले आया गया। बता दें कि इन चीतों का भारत में आगमन प्रोजेक्ट चीता के एक हिस्से के रूप में हुआ है।
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