बार-बार फोन करने पर भी नहीं आई ‘जननी एक्सप्रेस’, गर्भवती ने जंगल में दिया बच्चे को जन्म
शिवपुरी जिले के पोहरी में जननी एक्सप्रेस की लापरवाही सामने आई। एम्बुलेंस समय पर न मिलने से गर्भवती महिला को जंगल में बच्चे को जन्म देना पड़ा। परिजनों ने स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। महिला को हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी बताकर रेफर किया गया था। बाद में बीएमओ ने माना कि एम्बुलेंस समय पर पहुंचती तो यह स्थिति टाली जा सकती थी। फिलहाल, माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

गर्भवती महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। शिवपुरी जिले के पोहरी विकासखंड में जननी एक्सप्रेस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। एम्बुलेंस समय पर नहीं मिलने से एक गर्भवती महिला को जंगल में ही सड़क किनारे बच्चे को जन्म देना पड़ा।
सोमवार सुबह हुए इस घटनाक्रम ने स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर दी है। हालांकि प्रसूता और नवजात को पोहरी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है और दोनों की स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
दो बार कॉल, फिर भी नहीं आई जननी एक्सप्रेस
जानकारी के अनुसार, ग्राम छर्च निवासी 30 वर्षीय मंजू जाटव को प्रसव पीड़ा होने पर स्वजन उसे छर्च प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। परिजन का आरोप है कि वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रसव की कोशिश तक नहीं की और कागज़ात देखकर उसे हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी बताकर रेफर कर दिया।
नर्सिंग स्टाफ ने जननी एक्सप्रेस को दो बार फोन लगाया, लेकिन एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। मजबूर होकर परिवार ने निजी वाहन किराए पर लिया और प्रसूता को पोहरी की ओर लेकर रवाना हुए।
आधे रास्ते में बढ़ी प्रसव पीड़ा
पोहरी जाते वक्त जंगल के बीच रास्ते में मंजू की प्रसव पीड़ा अचानक बढ़ गई। हालत बिगड़ने पर वाहन रोका गया और सड़क पर ही प्रसव करवाना पड़ा। महिला ने एक बेटी को जन्म दिया।
परिवार का कहना है कि यदि CHC स्टाफ थोड़ा प्रयास करता या समय पर जननी एक्सप्रेस पहुंच जाती, तो जंगल में प्रसव नहीं करना पड़ता।
बीएमओ बोले—समय पर एम्बुलेंस आती, तो टल जाती स्थिति
मामले पर पोहरी बीएमओ डॉ. दीक्षांत गुदेनिया ने बताया कि एम्बुलेंस को सुबह 8:13 और 8:37 पर कॉल किया गया था। प्रसूता की गंभीर स्थिति देखते हुए बाद में स्वजनों को निजी वाहन से पोहरी ले जाने की सलाह देनी पड़ी।
उन्होंने स्वीकार किया कि अगर एम्बुलेंस समय पर पहुंच जाती, तो सड़क पर प्रसव की नौबत नहीं आती। एम्बुलेंस में रास्ते में प्रसव के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध रहते हैं।
नियमों की आड़ में रेफर, प्रसव निकला पूरी तरह सामान्य
हाई-रिस्क बताकर रेफर करने पर सवाल उठे तो बीएमओ ने बताया कि प्रसूता की सोनोग्राफी में प्लासेंटा में क्लॉट बताया गया था और यह महिला मल्टी ग्रेविडा (तीन से ज्यादा प्रसव वाली) होने के कारण हाई-रिस्क श्रेणी में आती है।
फिर भी उन्होंने स्वीकार किया कि यह प्रसव छर्च या पोहरी—दोनों ही स्थानों पर सामान्य रूप से हो सकता था। चूंकि प्रसूता के डाइलेशन (गर्भाशय ग्रीवा का खुलना) दो सेमी था। ऐसे में नियमानुसार उसे रेफर किया जा सकता था। यही कारण रहा कि उसे रेफर किया गया।

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