मूर्ति विवाद को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट के बाहर बवाल, वकीलों ने भीम आर्मी के सदस्यों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा
ग्वालियर हाईकोर्ट में आंबेडकर मूर्ति स्थापना को लेकर वकीलों और भीम आर्मी सदस्यों के बीच झड़प हुई। भीम आर्मी के सदस्यों ने हाईकोर्ट परिसर में वकीलों से बहस की और जय भीम के नारे लगाए। वकीलों ने आरोप लगाया कि संगठन के सदस्यों ने एक सीनियर वकील को गाली दी और उच्च न्यायालय के गेट बंद करने की धमकी दी।
जेएनएन, ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। शनिवार को फिर एक बार फिर वकालों और भीम आर्मी के सदस्यों को बीच झड़प देखने को मिली।
ये घटना ऐसे समय पर हुई जब भीम आर्मी के सदस्य हाईकोर्ट परिसर पर पहुंच कर अधिवक्ताओं से बदतमीजी करने लगे। बताया जा रहा है कि उन्होंने न केवल जय भीम के नारे लगाए बल्कि वकीलों के साथ बहस भी की।
वहीं, अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि उक्त संगठन के सदस्यों ने पहले आकर एक वरिष्ठ सीनियर वकील को फोन पर गाली भी दी। दावा किया जा रहा है कि भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने धमकी देते हुए कहा कि अगर उच्च न्यायालय के गेट नहीं बंद होते तो भीतर आकर उपद्रव मचाते।
पुलिस ने किसी तरीके से मामले को कराया शांत
दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प के तुरंत बाद मौके पर पुलिस के अधिकारी पहुंचे। पुलिस ने मौके पर मामले को शांत करवाने का प्रयास किया और अधिवक्ता को भी रोका , लेकिन देखते देखते कब दोनो गुट आपस में भिड़ गए इसका पता नहीं चला।
बताया जा रहा है कि मौके पर गुस्साए वकीलों ने भीम आर्मि के रुपेश कैन के साथ मारपीट की। हालांकि, खबर लिखे जाने तक किसी गुट पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई थी।
विधिक अधिकारी जाएंगे जबलपुर
इस पूरे मामले में एक निर्णय पर आने के लिए प्रदेश के चीफ जस्टिस ने सभी विधिक अधिकारियों को जबलपुर बुलाया है। बताया जा रहा कि इन अधिकारियों यानि अतिरिक्त महाधिवक्ता, बार के पदाधिकारी, सीनियर अधिवक्ता सहित अन्य आवश्यक लोगो को इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए सीजे ने जबलपुर बुलाया है।
जानिए क्या है पूरा विवाद
बीते दिनों उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित किए जाने की बात सामने ई। इसको लेकर तोड़फोड़ की गई और चबूतरा बनाया गया। वहीं, बार एसोसिएशन ने आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया और कहा कि नियमों के हिसाब से इस मूर्ति की स्थापना नहीं की जा रही है।
इसके बाद भवन समिति के सदस्यों ने भी इस पर सहमति नहीं जताई है। इसके बाद बार एसोसिएशन इस मूर्ति स्थापना की खिलाफत में आ गया और वहीं जो अधिवक्ता आंबेडकर के अनुयायी हैं। उनकी मूर्ति की स्थापना के लिए आर्थिक सहियोग भी कर रहे हैं वो बार के विरोध मे नजर आने लगे। यह मामला काफी दिनों से शांत स्थिति में था लेकिन बुधवार को अचानक से यह विवाद फिर गरमा गया।
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