Bhojshala में ASI सर्वे रुकवाने के लिए मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, शुक्रवार को होना है सर्वेक्षण
धार स्थित भोजशाला को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला दिया था। जिसके चलते अब भोजशाला का भी एएसआई सर्वे किया जाना है। बता दे कि मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। जिस पर उच्च न्यायालय ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश का भोजशाला मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भोजशाला सरस्वती मंदिर के एएसआइ सर्वे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी धार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से सर्वे कराने के मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को रद करने की मांग की है। इसके साथ ही याचिका में एएसआइ से सर्वे कराने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है।
सोसाइटी ने मामले को साम्प्रदायिक तौर पर संवेदनशील बताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अलग से अर्जी दाखिल कर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई किये जाने का अनुरोध किया है। कहा है कि एएसआइ ने शुक्रवार से सर्वे शुरू करने का नोटिस दिया है इसलिए कोर्ट जल्दी से जल्दी याचिका पर सुनवाई करे। यह भी हो सकता है कि शुक्रवार को फिर से कोर्ट में मामला मेंशन किया जाए। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को एएसआइ को धार जिले में स्थिति भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे करने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि एएसआइ के पांच वरिष्ठ अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके यह पता लगाएंगे कि क्या भोजशाला परिसर स्थिति कमाल मौला मस्जिद को सरस्वती मंदिर को तोड़ कर बनाया गया था। हाई कोर्ट ने एएसआइ को सर्वे करके छह सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। एएसआइ शुक्रवार 22 मार्च को सर्वे शुरू करने वाली है। हाई कोर्ट ने यह आदेश हिन्दू फ्रंट फार जस्टिस की याचिका पर सुनाया था।
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी धार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट ने एएसआइ से सर्वे का आदेश देकर अंतरिम राहत के नाम पर अंतिम राहत दे दी है। हाई कोर्ट ने संविधान में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया है लेकिन यह ध्यान नहीं दिया कि इस आदेश से याचिकाकर्ता का भी वही अधिकार प्रभावित होता है।
याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट का आदेश बना रहने लायक नहीं है। हाई कोर्ट का यह मानना गलत है कि प्राचीन स्मारक अधिनियम 1958 की धारा 16 के तहत एएसआइ को सर्वे करके उस जगह की प्रकृति तय करने का अधिकार है। कहा गया है कि यह धारा सिर्फ प्रदूषण, दुरुपयोग आदि से संरक्षण और सुरक्षा की बात कहती है।
Maulana Kamaluddin Welfare Society approaches the Supreme Court against the Madhya Pradesh High Court order directing the Archeological Survey of India to conduct a survey in the disputed site/monument namely "Bhojshala and Kamal Maula Masjid". — ANI (@ANI) March 21, 2024
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