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    Bhojshala ASI Survey: हाईकोर्ट ने मानी एएसआई की बात, धार भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दिया 2 हफ्ते का समय

    Updated: Thu, 04 Jul 2024 07:10 PM (IST)

    Dhar Bhojshala Survey हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 11 मार्च 2024 को एक आदेश जारी कर एएसआई से कहा था कि वह ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का भी पुरातात्विक सर्वेक्षण करे। एएसआई को छह सप्ताह में सर्वे पूरा कर 29 अप्रैल 2024 को कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी लेकिन उसने यह कहते हुए समय बढ़ाने की मांग की थी।

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    हम आपको 10 दिन का समय दे रहे हैं- हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

    जेएनएन, इंदौर। धार की ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वेक्षण के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को रिपोर्ट पेश करने के लिए 10 दिन का समय और दिया है। गुरुवार को कोर्ट ने कहा कि एएसआई 15 जुलाई या उससे पहले सर्वे रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करे। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

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    बता दें कि हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 11 मार्च, 2024 को एक आदेश जारी कर एएसआई से कहा था कि वह ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का भी पुरातात्विक सर्वेक्षण करे। एएसआई को छह सप्ताह में सर्वे पूरा कर 29 अप्रैल, 2024 को कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, लेकिन उसने यह कहते हुए समय बढ़ाने की मांग की थी कि सर्वे में जिन अत्याधुनिक उपकरणों की आवश्यकता है, वह अब तक उपलब्ध नहीं हुए हैं।

    एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने तीन सप्ताह का समय मांगा

    इस पर कोर्ट ने रिपोर्ट पेश करने के लिए एएसआई को दो जुलाई तक का समय दिया था। दो जुलाई को फिर एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने तीन सप्ताह का समय मांगा। इसी आवेदन पर गुरुवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

    वैज्ञानिक सर्वे में 650 से अधिक आर्टिकल सामने आए

    एएसआई की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कहा कि वैज्ञानिक सर्वे में 650 से अधिक आर्टिकल सामने आए हैं। इनका विश्लेषण किया जाना है, इसलिए तीन सप्ताह का समय और दिया जाए।

    हम आपको 10 दिन का समय दे रहे हैं- कोर्ट

    न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी ने कहा कि हम आपको 10 दिन का समय दे रहे हैं। साथ ही, इसकी प्रति सभी पक्षकारों को उपलब्ध करा दें, इससे कोर्ट का समय बचेगा। एडवोकेट जोशी ने कहा कि हम बंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत कर देंगे और जब आप कहेंगे हम इसकी प्रति पक्षकारों को उपलब्ध करवा देंगे। कोर्ट ने इस अनुरोध को नहीं माना।

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