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    बदलते मौसम और बढ़ते तापमान से भी बेअसर रहेगी चने की उपज, महिला विज्ञानी ने तैयार की तीन नई प्रजातियां

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Mon, 26 Dec 2022 05:58 PM (IST)

    जलवायु परिवर्तन से निपटने को महिला विज्ञानी का शोध जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में तैयार की गईं चने की तीन प्रजातियां। ज्यादा प्रोटीन के साथ हार्वेस्टर से कटाई के लिए भी उपयुक्त। चना जेजी 14 चना जेसी 24 और चना जेजी 36 तीन प्रजातियां है।

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    प्रो.अनिता ने चने की तीन प्रजातियों को विकसित किया है जो बदलते मौसम, तापमान की समस्या से निपटने में सक्षम।

    अतुल शुक्ला, जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के पौध प्रजनक एवं अनुवांशिक विभाग की प्रमुख महिला कृषि विज्ञानी प्रो.अनिता बब्बर ने चने की तीन ऐसी प्रजातियों को विकसित किया है जो बदलते मौसम, बढ़ते तापमान और घटते मजदूरों की समस्या से निपटने में सक्षम हैं। नई वैरायटी तैयार करने के लिए उन्होंने चार-पांच साल तक लगातार शोध किया। लाकडाउन में भी वह नियमित खेत में अपने छात्रों के साथ जाकर शोध करती रहीं। इसमें चने की वैरायटी जेजी 14 में मार्च और अप्रैल में बढ़ रहे तापमान में भी अच्छी पैदावार दे रही है। जेजी 24, बदलते मौसम के लिए उपयुक्त तो है ही इसे पूरी तरह से हार्वेस्टर से कटाई करने के हिसाब से विकसित करने के लिए इस वैरायटी के पौधे की लंबाई को 35 से बढ़ाकर 65 सेमी तक लाया गया है। तीसरी वैरायटी जेजी 36 में प्रोटीन सबसे ज्यादा है, जो 26.65 प्रतिशत तक है।

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    प्रदेश में लहराई, अब देशभर में पैदा हो रही

    डा. अनिता बब्बर बताती हैं कि चने की जेजी 14 वैरायटी को वैसे मध्य प्रदेश के लिए ही तैयार किया था। जब इसके फायदे के बारे में अन्य राज्य के किसानों को पता चला तो उन्होंने इसके बीज लेकर अपने खेतों में लगाना शुरू कर दिया। अब यह गुजरात से लेकर बिहार, झारखंड, असम समेत पूर्वोत्तर भारत के खेतों में लहलहा रही है। चने की दूसरी वैरायटी की बोआई हार्वेस्टर से कटाई करने वाले किसान ज्यादा करते हैं। जिन राज्यों में कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलते, वे इस बीज को ज्यादा लगाते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश शामिल हैं। इधर, तीसरी वैरायटी जेजी 36 भी आज देशभर में तेजी से फैल रही है।

    पहले रोकते थे, बाद में सलाम करने लगे पुलिस वाले

    डा. अनिता बब्बर बताती हैं कि अनुसंधान के लिए खेतों में लगाई फसल में हो रहे बदलाव को देखने और उनके डाटा तैयार करने यह लाकडाउन में घर से निकलकर विश्वविद्यालय के शोध क्षेत्र तक आते थे। शुरू में पुलिस ने रोका भी, लेकिन जब उन्हें खेतों में चल रहे अनुसंधान के बारे में बताया तो फिर उन्होंने रोकना बंद कर दिया, उल्टे जब भी रास्ते से निकलतीं तो पुलिस वाले सलाम करते थे।

    • वैरायटी और खासियत

    1. चना जेजी 14

    खासियत- इस वैरायटी का बीज, चने के अन्य बीज की तुलना में अधिक तापमान में भी अधिक उपज देता है। मार्च-अप्रैल में 35 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान होने पर भी इस बीज से प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक पैदावार ली जाती है। यह 95 से 110 दिन के बीच पक जाता है। इसका दाना बड़ा और मजबूत होने की वजह से इससे ज्यादातर चने की दाल बनाई जाती है।

    2. चना जेसी 24

    खासियत-यह बीज, हार्वेस्टर से कटाई करने के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे की लंबाई, चने के अन्य बीज के पौधे की तुलना में अधिक होती है, जो अधिकतम लंबाई 65 सेमी तक है। इसमें 18 सेमी. से शाखाएं निकलती हैं। इसका तना मोटा और दाना बड़ा होता है।

    3. चना जेजी 36

    खासियत- यह बीज मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों में खेतों में भी बड़ी मात्रा में लगाया जाता है। इसमें प्रोटीन ज्यादा होता है। सामान्य तौर पर चने में प्रजातियों में 18 से 20 फीसदी तक प्रोटीन होता है, जबकि जेजी 36 में 26.64 फीसदी तक प्रोटीन होता है।

    कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी लगातार नई वैरायटी के बीज तैयार करने जुटे हुए हैं। उन्होंने कोरोना काल के दौरान भी अपने अनुसंधान को प्रभावित नहीं होने दिया। इन्हीं में एक कृषि विज्ञानी डा.अनिता बब्बर भी हैं। उन्होंने चने की ऐसी प्रजातियां तैयार की हैं, जो बदलते मौसम में अच्छी उपज देती हैं और इनमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक है। वहीं जेजी 24 एक ऐसी प्रजाति है, जो हार्वेस्टर से कटाई करने के लिए खेतों में लगाई जा रही है। उन्होंने इस बीज से तैयार पौधे की लंबाई को 65 सेमी तक बढ़ाया है।

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