राजस्थान के कई जिलों से दूर होगा जल संकट, MP को भी मिलेगा फायदा; जानिए क्या है PKC परियोजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 नवंबर को राजस्थान के जयपुर का दौरा करेंगे। इस दौरान वह पीकेसी परियोजना का शुभारंभ करेंगे। इस खास मौके पर राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव मौजूद रहेंगे। इस योजना के संचालन में आने के बाद 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध हो जाएगा। वहीं किसानों का जीवन भी बदलेगा।
सौरभ सोनी, भोपाल। पीएम मोदी कल राजस्थान के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह पीकेसी परियोजना का शिलान्यास करेंगे। इस परियोजना के लागू होने से राजस्थान के कई जिलों में जारी कई सालों का जल संकट दूर होने की उम्मीद है।
इस खास मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव उपस्थित रहेंगे। परियोजना से लाभान्वित होने वाले जिलों के 2012 गांवों में मंगल कलश यात्रा निकाली जाएगी तो जिला मुख्यालय किसान सम्मेलन किए जाएंगे।
एमपी को भी होगा फायदा
जानकारी के अनुसार पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से प्रदेश के मालवा एवं चंबल क्षेत्र में छह लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी तथा 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अलावा, लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाहिनी मुख्य नहर एवं वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिलों के 1205 गांवों के तीन लाख 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों की मांग के अनुसार पानी उपलब्ध हो सकेगा।
परियोजना से प्रदेश के गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर एवं राजगढ़ जिलों के 3217 गांव लाभान्वित होंगे। यह परियोजना मध्य प्रदेश किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। मध्य प्रदेश सरकार पार्वती, कालीसिंध और चंबल (पीकेसी) परियोजना के तहत प्रदेश में 21 डेम बनाएगी।
इससे मध्य प्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के 13 जिलों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी और अपनी-अपनी सीमा में बनने वाले प्रोजेक्ट की लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत मध्य प्रदेश और राजस्थान देंगे। परियोजना पांच वर्ष के भीतर पूरी होगी। इसकी लागत लगभग 75000 करोड़ रुपये है। जिनमें मध्य प्रदेश में 35 हजार करोड़ के निर्माण कार्य किए जाएंगे।
लाखों किसानों का बदलेगा जीवन
पार्वती, काली सिंध और चंबल नदियों के जल बंटवारे में डेम के बनने के बाद पीकेसी परियोजना से दोनों राज्यों के लाखों किसानों का जीवन बदलेगा। इससे पर्यटन और उद्योग क्षेत्र में भी विकास के नए द्वार खुलेंगे। पेय जल की समस्या दूर होगी। सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। नदियों के जल बंटवारे के निर्णय से पूर्वी राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश के जिले लाभान्वित होंगे।
पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना में कुंभराज काम्प्लेक्स, सीएमआरएस काम्प्लेक्स, लखुंदर बैराज, रणजीत सागर परियोजना तथा ऊपरी चंबल कछार में सात सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण होगा। मप्र में पीकेसी परियोजना के तहत गांधी सागर बांध की अप स्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदी पर प्रस्तावित छोटे बांधों का निर्माण किया जाएगा।
किस वजह से रुका था परियोजना का काम
उल्लेखनीय है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान प्रारंभ किया था। वर्ष 2003 में योजना बनी और नदी जोड़ो अभियान चला। ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के लिए बांध बनाने व पानी बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद हो गया था। राजस्थान सरकार का आरोप था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार ही बांध बनना था, लेकिन मप्र सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी।
ऐसे में राजस्थान सरकार ने स्वयं के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का निर्णय लिया और बांध बनना शुरू हुआ तो मप्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी थी। परिस्थितियों के बदलने से दोनों प्रांतों के हित में होने वाला यह निर्णय लंबित रहा है, लेकिन अब मध्य प्रदेश और राजस्थान इस विषय पर एकमत हैं।
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