MP में बाघिन का एयरलिफ्ट.... पेंच अभयारण्य की PN-224 को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से राजस्थान भेजा
देश का पहला इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन पूरा हुआ। पेंच प्रबंधन को चकमा दे रही बाघिन PN-224 को पकड़कर राजस्थान भेजा गया। हाथियों से घेरने के बाद बाघिन ...और पढ़ें

बाघिन को बेहोश कर एयरलिफ्ट किया गया।
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। देश का पहला इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन (अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण) का कार्य आखिरकार पूरा हो गया। अभियान के 24वें दिन पेंच प्रबंधन को चकमा दे रही बाघिन PN-224 को पकड़कर राजस्थान भेजने सफलतापूर्वक एयर लिफ्ट कर लिया गया है।
हाथियों से की घेराबंदी
सुबह से दोपहर तक कई बार हाथियों से घेरने के बाद ट्रेंकुलाइज (बेहोश) की गई बाघिन को पिंजरे में कैद कर रेस्क्यू वाहन से सुकतरा हवाई पट्टी लाया गया। यहां भारतीय वायु सेना के हेलीकाप्टर एमआइ-17 में पिंजरे सहित बाघिन को एयर लिफ्ट कर राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व शाम लगभग छह बजे रवाना किया गया।

लगातार दे रही थी चकमा
बाघिन को पकड़ने का अभियान 28 नवंबर से शुरू किया गया था, लेकिन पिछले आठ दिनों से पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन PN-224 का राजस्थान ट्रांसलोकेशन करने प्रबंधन ने पूरी ताकत लगा रहा था। बाघिन को घेरने चार दिनों से जंगल में आठ हाथियों दल लगातार मशक्कत कर रहा था। इसके बावजूद बाघिन PN-224 चकमा देकर जंगल भागने में सफल हो रही थी।

सर्चिंग में जुटा रहा वन अमला
सर्चिंग अभियान में आठ हाथी दल के अलावा मैदानी गश्ती दल में 50 से अधिक वनकर्मी लगे रहे। रूखड़ व कुरई जंगल में बाघिन की सही लोकेशन को ट्रेप करने 50 से अधिक कैमरे लगाने के साथ ही 10 ऑनलाइन कैमरों की मदद ली गई। पगमार्क से बाघिन का पता लगने पर रेस्क्यू का प्रयास हो रहा था।
ट्रेंकुलाइज कर पकड़ा
रविवार को डाट लगाकर बाघिन को ट्रेंकुलाइज (बेहोश) कर पिंजरे में कैद करने प्रबंधन को सफलता मिली। बता दें कि अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण एक वन्यजीव संरक्षण रणनीति है, जिसमें बाघों को एक राज्य से दूसरे राज्य के टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाता है ताकि आनुवांशिक विविधता बढ़े।

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