नर्मदापुरम में बाघ का शिकार, नौ शिकारियों को 4-4 साल की जेल, 'धनवर्षा' के लिए तंत्र-मंत्र के फेर में की थी वारदात
नर्मदापुरम में, सात साल पहले सतपुड़ा बाघ अभयारण्य में बाघ का शिकार करने वाले नौ शिकारियों को चार-चार साल की जेल हुई। उन्होंने धनवर्षा के लिए तांत्रिक क्रिया करते हुए बाघ को मारा था। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने 2018 में छापा मारकर शिकारियों को पकड़ा, जिनके पास से बाघ की खाल और अन्य अंग बरामद हुए। अदालत ने वन्यजीवों के लिए खतरे को देखते हुए कड़ी सजा सुनाई।

मृत बाघ (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नर्मदापुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सात साल पहले सतपुड़ा बाघ अभयारण्य में बाघ का शिकार करने वाले नौ शिकारियों को चार-चार वर्ष के जेल की सजा सुनाई है। इन लोगों ने तंत्र क्रिया के जरिए धनवर्षा कराने के लिए बाघ का शिकार किया था। दोषियों में चार नर्मदापुरम के सोहागपुर, पिपरिया और पांच छिंदवाड़ा जिले के निवासी हैं।
झोपड़ी में कर रहे थे तंत्र क्रिया
बताया गया कि तीन दिसंबर 2018 को स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने कामती स्थित बालिका छात्रावास के पास जामन सिंह बट्टी के खेत में बनी झोपड़ी में छापा मारा था। वहां हेमंत कुमार उर्फ बब्लू बट्टी, ओमप्रकाश, जयप्रकाश और चमन सिंह बाघ की खाल, तीन कटे हुए पंजे, मूंछ के बाल और 12 नाखून लेकर तंत्र क्रिया पर बैठे थे। उनसे पूछताछ में पता चला कि उन्होंने पांच और लोगों के साथ मिलकर बाघ का शिकार किया था। बाघ के दूसरे अंग भी घर के देवस्थान में छिपाकर रखे थे।
उनसे पूछताछ के बाद पांच और शिकारियों को पकड़ा गया। अभियोजन ने इन शिकारियों को वन्य प्राणियों के खतरा बताते हुए कड़ी सजा की मांग की थी। बाघ के शिकार पर तीन वर्ष से सात वर्ष तक की जेल और जुर्माने की सजा का प्रविधान है।
इनको मिली सजा
कामती रंगपुर निवासी हेमंत कुमार उर्फ बब्लू बट्टी , तहसील कालोनी पिपरिया निवासी ओमप्रकाश, राइखेड़ी निवासी जयप्रकाश धुर्वे व चमन सिंह धुर्वे। छिंदवाड़ा के बरूठ निवासी फुंदन, इंदर सिंह कोरकू, मानक, सीताराम और बम्होरी तामिया निवासी अर्जुन उर्फ डब्लू।
सबसे बड़ी सजा भी इसी न्यायालय से
2018 में बाघ के शिकार मामले में नर्मदापुरम (तब होशंगाबाद) के सीजेएम न्यायालय ने प्रदेश में शिकार पर सबसे कठोर सजा सुनाई थी। इसमें पांच शिकारियों को सात-सात साल की जेल और एक-एक लाख रुपया जुर्माने की सजा दी गई थी। यह सुनवाई एक साल के भीतर पूरी हुई थी। आखिरी बार 2022 में नर्मदापुरम की सीजेएम अदालत ने 29 शिकारियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी।

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