हजारों गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के खतरे में, डाक्टरों ने बतायी ये वजह
High Risk Pregnancy गर्भवती महिलाओं के शरीर में खून की कमी के कारण उन्हें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा है। जबलपुर की हजारों महिलाओं में ये कमी देखी जा रही है। इसे लेकर शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं चला रही हैं।

जबलपुर, जेएनएन। जबलपुर में हजारों गर्भवती महिलाओं को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा है। इसका सबसे बड़ा कारण एनीमिया यानी एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी होना है। इसके साथ ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह और प्री-सीजेरियन डिलीवरी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बनते जा रहे हैं। शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन हाई रिस्क प्रेग्नेंसी इस राह में रोड़ा बन गई है।
ऐसी गर्भवती महिलाएं जिनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा सात ग्राम से कम होती है उन्हें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की श्रेणी में रखा जाता है। पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा जोखिम के मामले 2021 में सामने आए। डाक्टरों का कहना है कि महिलाओं में बच्चे को जन्म देने की क्षमता होती है। इसलिए पुरुषों की तुलना में अपने खान-पान पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसकी शुरुआत लड़की के जन्म से ही होनी चाहिए। आयरन और पोषक तत्वों की कमी से गर्भ कमजोर हो जाता है।
ऐसी महिलाओं को खतरा अधिक
-19 वर्ष से कम और 35 वर्ष से अधिक आयु की गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा होता है। कम उम्र की गर्भावस्था और देर से उम्र की गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था कहा जाता है।
- गर्भावस्था के दौरान खान-पान का ध्यान न रखना और तंबाकू और धूम्रपान का सेवन, खराब जीवनशैली से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है।
-गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर, किडनी संबंधी रोग, मोटापा, एचआईवी, कैंसर जैसी बीमारियां हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बनती हैं।
-गर्भ में जुड़वा बच्चों के जन्म के कारण हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का भी खतरा रहता है।
- गर्भावस्था के दौरान नशीली दवाओं और नशीली दवाओं के प्रयोग से गर्भावस्था की जटिलता बढ़ जाती है।
-पिछली गर्भावस्था में गर्भपात का जोखिम भविष्य की गर्भावस्था में उच्च जोखिम वाले प्रसव के जोखिम को बढ़ाता है।
-यदि गर्भवती महिला के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा सात ग्राम से कम हो तो हाई रिस्क डिलीवरी होने का खतरा रहता है।
लक्षण
-लगातार तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, पेट में दर्द, भ्रूण के हिलने-डुलने में कमी, पेट के अल्सर, रक्तस्राव और पानी का निर्वहन, बिगड़ी हुई दृष्टि, त्वचा पर दाने, सूजन, वजन बढ़ना।
इस खतरे की संभावना
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था गर्भवती महिला और अजन्मे बच्चे के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। समय से पहले जन्म, शिशु हृदय विकार, गर्भपात, शिशु में जन्मजात विकृति, गर्भवती महिला के जीवन के लिए जोखिम, प्रसव से संबंधित जटिलताएं, प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव, प्रसवोत्तर महिला में प्रसव पीड़ा और सेप्सिस में कमी।
बचाव के लिए ऐसा करें
-गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, तंबाकू, शराब से बचें। सुबह की सैर और व्यायाम करें। मानसिक और शारीरिक रूप से भरपूर आराम करें। भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें। शरीर का वजन बहुत कम या बहुत कम न होने दें। नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं। कोई अगर आपको किसी खाने से एलर्जी है तो इसका सेवन बंद कर दें। खाने में चीनी और नमक की मात्रा सीमित रखें। अधिक मात्रा में चाय न पिएं। तनाव से बचें।
डाक्टर की सलाह
स्वास्थ्य और पोषण की बात करें तो महिलाओं को सालों से नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है। कई परिवारों में यह द्वितीय श्रेणी का उपचार उनके बचपन से ही देखा जा सकता है। गर्भावस्था में पौष्टिक आहार की कमी के कारण गर्भावस्था का उच्च जोखिम होता है। 50-60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए। गर्भावस्था से संबंधित कोई भी शारीरिक समस्या होने पर चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।
डा. कविता एन सिंह, विभागाध्यक्ष , स्त्री एवं प्रसूति रोग मेडिकल कालेज अस्पताल
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