Move to Jagran APP

Karam Dam Leakage: कारम नदी के रौद्र रूप ने बढ़ायी मुश्किलें, मात्र सात मिनट में सात किमी. दूर गुजरी पहुंचा पानी

Karam Dam Leakageकारम नदी पर बना मिट्टी का बांध गिरने से नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। महज सात मिनट में पानी सात किलोमीटर दूर गांव गुजरी तक पहुंच गया। गांवों को खाली नहीं कराया गया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 09:50 AM (IST)
Karam Dam Leakage: कारम नदी के रौद्र रूप ने बढ़ायी मुश्किलें, मात्र सात मिनट में सात किमी. दूर गुजरी पहुंचा पानी
Karam Dam Leakage: कारम नदी का पानी मात्र सात मिनट में सात किमी. दूर गुजरी गांव पहुंच गया

धार-गुजरी, जागरण आनलाइन डेस्‍क। गांव कोठिदा में कारम नदी पर बना मिट्टी का बांध गिरने से नदी ने पहली बार अपना रौद्र रूप दिखाया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंद मिनट पहले शांत हुई नदी में आपदा का पानी इस हद तक बढ़ गया कि वह सीमा पार कर आसपास के गांवों में घुसने लगा।

loksabha election banner

इतना ही नहीं नदी की रफ्तार इतनी तेज थी कि महज सात मिनट में पानी सात किलोमीटर दूर गांव गुजरी तक पहुंच गया। प्रशासन का गांवों को खाली कराने का फैसला जायज है। अगर गांवों को खाली नहीं कराया गया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। नदी के रौद्र रूप से दो गांवों में पानी घुस गया है।

100 हेक्टेयर फसल प्रभावित

ग्रामीणों की संपत्ति का इससे काफी नुकसान होगा। वहीं, नदी किनारे खेतों में पानी घुसने से 100 हेक्टेयर फसल प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। पानी की उचित निकासी के लिए किए जा रहे प्रयासों में तय किया गया कि इसे धीरे-धीरे खाली किया जाएगा। 24 घंटे में 15 एमसीएम पानी में से चार एमसीएम पानी खाली करने की योजना थी।

विशेषज्ञों की मदद से हवाई सर्वेक्षण

नदी का संग्रहण क्षेत्र साढ़े तीन सौ से अधिक मान है। बांध के लिए देश का सबसे बड़ा प्राधिकरण सीडब्ल्यूसी है। दैनिक 2.5 एमसीएम पानी निकालने का मानक तय किया गया था। रात में एक मीटर चौड़ा रास्ता निकाला गया। सुबह से ही इसे चौड़ा करने का काम किया जा रहा था।

इसे पांच मीटर तक चौड़ा किया गया था। जिसकी गहराई लगभग चार मीटर थी। गहराई पांच मीटर बढ़ा दी गई है। बांध आपदा विशेषज्ञों का अनुमान है कि 24 घंटे में चार एमक्यूएम पानी छोड़ा जाएगा। यह सब सैन्य विमानों और विशेषज्ञों की मदद से एक हवाई सर्वेक्षण के साथ किया गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था तय की गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.