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    दुष्कर्म के आरोप से मुकर गई नाबालिग, कोर्ट ने पीड़िता के झूठ बोलने पर कि अभियोजन की कार्रवाई

    पीड़िता बोली-किसी ने नहीं किया दुष्कर्म कोर्ट ने कहा-झूठ बोला है अभियोजन केस चलाने स्वतंत्र। पीड़िता ने धारा 164 के तहत दिए बयानों में आरोपों की पुष्टि की।जब कोर्ट में बयान दर्ज हुए तो वह आरोपों से मुकर गई। उसने बताया कि उसके साथ किसी ने गलत काम नहीं किया।

    By Priti JhaEdited By: Updated: Wed, 16 Mar 2022 10:16 AM (IST)
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    दुष्कर्म के आरोप से मुकर गई नाबालिग,

    ग्वालियर, जेएनएन । दुष्कर्म के आरोप से मुकरना एक नाबालिग को महंगा पड़ सकता है। पीड़िता ने धारा 164 के तहत दिए बयानों में आरोपों की पुष्टि की। जब कोर्ट में बयान दर्ज हुए तो वह आरोपों से मुकर गई। उसने बताया कि उसके साथ किसी ने गलत काम नहीं किया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पीड़िता पर अभियोजन की कार्रवाई करने के लिए जिला न्यायालय को स्वंतत्र किया है। कोर्ट ने एक आरोपित को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं, जबकि दूसरे आरोपित का डीएनए मैच होने पर जमानत याचिका खारिज कर दी।

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    मालूम हो कि संजय रावत व संतोष रावत पर एक नाबालिग ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। शिवपुरी जिले की करैरा थाना पुलिस ने दोनों पर केस दर्ज कर 13 जनवरी 2021 को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से जेल में बंद थे। पीड़िता ने धारा 164 के तहत दिए बयानों में आरोपों की पुष्टि की। जब कोर्ट में बयान दर्ज हुए तो वह आरोपों से मुकर गई। उसने बताया कि उसके साथ किसी ने गलत काम नहीं किया। इसी आधार पर संजय व संतोष रावत ने जमानत याचिका दायर की। तीसरी जमानत याचिका थी। उनकी ओर से तर्क दिया कि पीड़िता के कोर्ट में बयान दर्ज हो गए हैं, उसने आरोपों की पुष्टि नहीं की, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज हुआ है।

    हाई कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट तलब की। इस रिपोर्ट में संतोष से डीएनए का मिलान हुआ, लेकिन संजय का डीएनए मैच नहीं हुआ। कोर्ट ने संजय को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पीड़िता भले ही नाबालिग है, लेकिन उसने झूठ बोला है। इसलिए उसके खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई की जाए। जिला न्यायालय को उसके खिलाफ केस दर्ज करने लिए स्वतंत्र कर दिया है।

    आदेश का पालन नहीं, कोर्ट ने तलब किए तहसीलदारः हाई कोर्ट की युगल पीठ ने अवमानना याचिका में तहसीलदारों को तलब किया है। तहसीलदारों ने डिक्री के पालन में जमीन का नामांतरण नहीं किया है। गोविंद कुमार व किशोर कुमार के पक्ष में 1995 में वार्ड 47 के सर्वे क्रमांक 49 भूमि की डिक्री हुई। इस डिक्री के खिलाफ शासन ने अपील दायर की, जो खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने नामांतरण के लिए आवेदन पेश किया, जिसे तहसीलदार ने खारिज कर दिया। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें नामांतरण की मांग की थी। कोर्ट ने उनके आवेदन पर फिर से विचार करने का आदेश दिया, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने आदेश का पालन नहीं होने पर तहसीलदार सीताराम वर्मा, शरद पाठक को तलब किया है। 30 मार्च को उन्हें उपस्थित होना होगा।