Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri 2022: पाताल भैरवी प्रतिमा का वजन 11 टन है, जमीन के भीतर 15 फीट नीचे स्थापित हैं माता की मूर्ति

    मूर्ति का वजन 11 टन से अधिक है। पुराणों और ग्रंथों के मुताबिक माता काली रौद्र रूप में जमीन के भीतर निवास करती थीं। इसीलिए इसे पाताल भैरवी कहा जाता है। मंदिर में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAUpdated: Sun, 02 Oct 2022 02:38 PM (IST)
    Hero Image
    पाताल भैरवी की प्रतिमा जमीन के भीतर 15 फीट नीचे स्थापित

    राजनांदगांव, जागरण ऑनलाइन डेस्क । Navratri 2022: राजनांदगांव में जमीन के भीतर 15 फीट नीचे संस्कारधानी के नाम से प्रसिद्ध मां पाताल भैरवी का दरबार आकर्षण का केंद्र है। गर्भगृह में स्थित प्रतिमा की ऊंचाई करीब 15 फीट है। मंदिर में नवरात्र में घी और तेल जोत प्रज्वलित की जाती है। देश-विदेश के श्रद्धालु मनोकामना जोत प्रज्वलित करवाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानकारी की अनुसार मूर्ति का वजन 11 टन से अधिक है। पुराणों और ग्रंथों के मुताबिक माता काली रौद्र रूप में जमीन के भीतर निवास करती थीं। इसीलिए इसे पाताल भैरवी कहा जाता है। मंदिर में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं।

    मंदिर का निर्माण 1998 में

    मां पाताल भैरवी मंदिर तीन मंजिल में बना हुआ है। नीचे जिसे पाताल कहा जाता है वहां पर मां पाताल भैरवी, दूसरी मंजिल पर त्रिपुर सुंदरी का तीर्थ, जिसे नवदुर्गा भी कहा जाता है। मंदिर का निर्माण 1998 में हुआ था। तीसरी मंजिल पर भगवान शिव की प्रतिमा और देशभर में स्थापित 12 ज्योर्तिलिंग के प्रतिरूप प्रतिष्ठापित हैं।

    औषधि खीर का वितरण

    मालूम हो कि शरद पूर्णिमा के दिन औषधि युक्त खीर बनाई जाती है। जड़ी-बूटी के मिश्रण से बनी खीर से दमा, अस्थमा और श्वास से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है। खीर का सेवन करने रात आठ बजे से भीड़ जुट जाती है। आधी रात बाद खीर का प्रसाद वितरित किया जाता है। मां पाताल भैरवी मंदिर में पूरे साल भर दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं। नवरात्र में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है।

    ऐसा माना जाता है कि माता रानी हर भक्त की मुराद को पूरी करती हैं। नवरात्र में माता रानी की विशेष आराधना होती है। हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्त मां पाताल भैरवी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। पंचमी, अष्टमी और माता का विशेष श्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना संपन्न होती है।