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    GST On Cold Drinks: कोल्ड ड्रिंक पर 40 प्रतिशत GST का बढ़ा भार, बाजार ने आफर ढूंढ निकाल लिया तोड़

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Sat, 09 Apr 2022 02:04 PM (IST)

    GST On Cold Drinksपहले कोल्ड ड्रिंक पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू था जिसे बढ़ाकर सरकार ने इसे 40 प्रतिशत कर दिया है। यानी कोल्ड ड्रिंक्स पर जीएसटी का भार 40 प्रतिशत हो गया है। लेकिन ज्यादातर कोल्ड ड्रिंकर्स ने ऑफर्स या स्कीमों के चक्कर में टैक्स छूट पा ली है।

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    कोल्ड ड्रिंक पर टैक्स की दर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।

    इंदौर, जेएनएन। आम लोगों के लिए कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक यानी कोल्ड ड्रिंक पर टैक्स की दर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। सभी प्रकार के कार्बोनेटेड या गैस युक्त शीतल पेय पर सरकार ने जीएसटी और उपकर सहित 40 प्रतिशत का कर लगाया है, जबकि पहले केवल 12 प्रतिशत जीएसटी लागू था। तीन गुना से ज्यादा टैक्स के बोझ के बावजूद ज्यादातर कोल्ड ड्रिंकर्स ने दाम बढ़ाने की बजाय ऑफर्स या स्कीमों के चक्कर में टैक्स छूट पा ली है। टैक्स कम देने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स वाले बिलों में स्कीम दिखने लगी है। इस तरह पूरे माल पर आधा टैक्स देना पड़ता है।

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    सितंबर में, जीएसटी परिषद ने सभी कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दी थी। इतना ही नहीं ऐसे सभी ड्रिंक्स पर 12 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा उपकर (सेस) भी लगाया गया था। यानी कोल्ड ड्रिंक्स पर जीएसटी का बोझ 40 फीसदी हो गया है। दो सीजन में लॉकडाउन से प्रभावित कोल्ड ड्रिंक कंपनियों को इस साल अच्छी बिक्री की उम्मीद पर टैक्स का बोझ नजर आ रहा था। भारी लागत और खर्च के साथ बढ़े हुए कर बोझ से निपटने के लिए, निर्माताओं को कीमतों में कम से कम 40 प्रतिशत की वृद्धि करनी पड़ती। बिक्री का मौसम जोरों पर है लेकिन ज्यादातर कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी से दूर हैं। ऑफर्स के सहारे टैक्स के बोझ को चकमा दिया जा रहा है।

    बिल कम बिक्री ज्यादा

    दरअसल कोल्ड ड्रिंक बेचने वालों ने बाजार में बिक्री बढ़ाने के लिए स्कीम देना शुरू कर दिया है। ज्यादातर कंपनियां अपने डीलर्स और सेलर्स को सप्लाई किए जा रहे सामान पर ऑफर या स्कीम दिखा रही हैं। एक लॉट लेने पर पांच-दस रुपये में दूसरी लॉट देने का प्रस्ताव बिलों पर दिखाया जा रहा है। दरअसल जीएसटी में जीरो या फ्री माल देने का बिल नहीं बन सकता, इसलिए पांच-दस रुपये का बिल दिखाकर टैक्स का बोझ हल्का किया गया है। बिल के अलावा उक्त राशि का नकद भुगतान किया जा रहा है। मिड-रेंज और फल-आधारित या पारंपरिक स्वाद वाले पेय बनाने वाली कंपनियां सबसे आगे हैं। इंदौर में गर्मियों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री होती है।

    पहले था फलों का सहारा

    आईसीएआई ब्रांच इंदौर के पूर्व अध्यक्ष सीए एसएन गोयल के मुताबिक, लग्जरी आइटम्स को जीएसटी के 28 फीसदी के दायरे में रखा गया है। साथ ही नशे की लत और विलासिता की वस्तुओं पर भी उपकर लगाया जाता है। इनमें कुछ चुनिंदा उत्पाद जैसे तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट, कोयला शामिल हैं। सितंबर से कोल्ड ड्रिंक्स भी इस लिस्ट में शामिल हो गए। पहले सरकार ऐसे कोल्ड ड्रिंक्स को जीएसटी में छूट देती थी जिनमें फलों का रस मिलाया जाता है। वह छूट भी सितंबर से खत्म हो गई। जीएसटी कानून में चूंकि पूरी तरह से मुफ्त माल देने के लिए बिल बनाया जाता है, तो पूरा टैक्स देना होगा। लेकिन योजना या प्रस्ताव में नाममात्र की राशि का बिल बनाने पर कोई रोक नहीं है। ऐसे में टैक्स तो बच रहा है लेकिन कानूनी कार्रवाई नहीं हो पा रही है