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Swami Swaroopanand Saraswati: अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, शिष्यों का दावा

Swami Swaroopanand Saraswati द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्यों ने रविवार को दावा किया है कि स्वामी जी चाहते थे कि कंबोडिया में अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में भी राम मंदिर का निर्माण किया जाए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 11 Sep 2022 09:26 PM (IST)Updated: Sun, 11 Sep 2022 09:26 PM (IST)
Swami Swaroopanand Saraswati: अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, शिष्यों का दावा
अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीः शिष्यों का दावा। फोटो एएनआइ

भोपाल, एजेंसी। Swami Swaroopanand Saraswati: द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati) चाहते थे कि कंबोडिया में अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर (Ram Temple) का निर्माण किया जाए। स्वरूपानंद के शिष्य और मध्य प्रदेश के पूर्व कांग्रेस विधायक ने रविवार को उनको याद करते हुए यह दावा किया है। शंकराचार्य का 99 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में उनके आश्रम में हृदय गति रुकने से निधन हो गया।

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राजीव गांधी से की थी बात, तब खोले गए थे ताले

पूर्व विधायक कल्याणी पांडे ने यह भी दावा किया कि अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम की मूर्तियों वाले तत्कालीन बाबरी मस्जिद के ताले खोलने के लिए शंकराचार्य ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से बात की थी। फैजाबाद के जिला न्यायालय के आदेश पर फरवरी 1986 में ताले खोले गए।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यात्रा करते हुए हिरासत में लिया गया था

जबलपुर के पूर्व मेयर पांडे ने कहा कि वह अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे। वह चाहते थे कि कंबोडिया के अंकोरवाट के मंदिर (Angkor Wat Temple ) की तर्ज पर इसका निर्माण किया जाए। अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। चालुक्य नरेशों ने यहां भव्य विष्णु मंदिर बनवाया था। शंकराचार्य के अनुयायियों ने कहा कि उन्हें एक बार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यात्रा का नेतृत्व करते हुए हिरासत में लिया गया था। 

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को इस आश्रम में दी जाएगी समाधि

द्वारका शारदा पीठ व ज्योर्तिमठ बदरीनाथ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज रविवार अपराह्न 3.21 बजे मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन हो गए। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते हरितालिका पर्व पर भक्तों ने उनका 99वां प्रकटोत्सव मनाया था। उन्हें गोटेगांव तहसील के ग्राम झौंतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ही समाधि दी जाएगी।

नौ साल की उम्र में शुरू कर दी थीं धार्मिक यात्राएं

दो सितंबर 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में दिघोरी गांव में जन्म लेने के पश्चात नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर-परिवार छोड़ कर धर्म यात्राएं प्रारंभ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। यह वह समय था, जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी। 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 वर्ष की उम्र में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्य प्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी। वे करपात्री महाराज के राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने वर्ष 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दंड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से जाने जाने गए।

1981 में मिली थी शंकराचार्य की उपाधि

उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। ब्रह्मलीन शंकराचार्य ने रामसेतु की रक्षा, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने, श्रीराम जन्मभूमि के लिए लंबा संघर्ष किया था। वे गोरक्षा आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद के प्रथम अध्यक्ष रहे। आश्रम प्रबंधन के अनुसार शंकराचार्य के निधन के बाद समाधि कार्यक्रम सोमवार शाम चार बजे परमहंसी गंगा आश्रम में होगा। शंकराचार्य के निधन की खबर से संपूर्ण क्षेत्र में शोक का माहौल है।

शिवराज और कमल नाथ ने जताया शोक

शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने पर सर्वत्र शोक की लहर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर दुख जताते हुए कहा कि पूज्य स्वामीजी सनातन धर्म के शलाका पुरुष व संन्यास परंपरा के सूर्य थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ट्वीट कर शंकराचार्य के निधन को धर्म जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति बताया है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ट्वीट में कहा है कि शंकराचार्य के देवलोग गमन का समाचार बेहद दुखद व पीड़ादायक है।

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विनम्र श्रद्धांजलि !!! द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के देवलोकगमन का समाचार अत्यंत हृदयविदारक है। उनका जाना अध्यात्म जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और उनके अनुयायियों को संबल प्रदान करें। ॐ शांति - Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) 11 Sep 2022


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