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    Ganesh Temples Jabalpur: कहीं मन्‍नत की अर्जी तो कहीं नारियल रखने से पूरी होती है मनोकामना

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Mon, 29 Aug 2022 10:53 AM (IST)

    Ganesh Temples मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में स्थित सिद्ध गणेश मंदिर बादशा हलवाई मंदिर सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। कहीं भक्‍त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अर्जी देते हैं तो कहीं नारियल रखकर मन्नत मांगी जाती है।

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    Ganesh Temples in Jabalpur: जबलपुर के गणेश मंदिर लोगों की आस्‍था का केंद्र है

    जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में स्थित प्राचीन श्री गणेश मंदिर (Ganesh Temple)  लोगों की आस्‍था से जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्‍यता है कि शहर के सिद्ध गणेश मंदिर (Siddha Ganesh Temple ), बादशा हलवाई मंदिर ( Badsha Halwai Temple), सुप्तेश्वर गणेश मंदिर (Supteshwar Ganesh Temple) में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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    कहीं भक्‍त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अर्जी देते हैं तो कहीं नारियल रखकर मन्नत मांगी जाती है। मंगलमूर्ति उन सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं जो आस्था और विश्वास रखते हैं।

    अर्जी वाले गणेश

     सिद्ध गणेश मंदिर अर्जी वाले गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां बैठे पुजारियों के रजिस्टर में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लिखवाते हैं। जिस अंक से भक्तों की मनोकामना लिखी जाती है, उस अंक की एक पर्ची नारियल से बांधकर भगवान के चरणों में समर्पित कर दी जाती है।

    लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामना भगवान गणेश तक पहुंचती है और उनकी बात सुनकर भगवान उन्हें पूरी करते हैं। मनोकामनाओं से जुड़े ऐसे हजारों नारियल यहां रखे जाते हैं।

    पिछले 30 से 40 वर्षों से आवेदन करने की प्रक्रिया चल रही है। अनुरोध के बाद, जब भी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, वे फिर से मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं।

    बादशा हलवाई मंदिर

    बादशाह हलवाई का इतिहास 13वीं शताब्दी का है है। इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली प्राचीन गणेश प्रतिमा की स्‍थापना की गई है। गणेश जी के साथ यहां रिद्धि-सिद्धि की मूर्तियां भी हैं। कहा जाता है कि इतिहास में इस मंदिर का वर्णन  मिलता है कि गोंड शासकों के समय में इस मंदिर का निर्माण किया गया था।

    इसमें संगमरमर के खंभों में 27 नक्षत्रों, नवग्रहों और दिशाओं की मूर्तियां बनाई गई हैं। मंदिर के ऊपरी भाग में श्री यंत्र भी बना हुआ है। मंदिर के पिछले हिस्से में एक गुफा है, जिसका दरवाजा अभी भी खुला है, लेकिन डर के कारण लोग कुछ कदम नीचे उतरने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

    ऐसा कहा जाता है कि मदन महल किले से गुफा के रास्ते में रानी दुर्गावती पूजा करने इस मंदिर में आती थीं।

    भगवान गणेश का आकार अपने आप बढ़ गया

    भगवान सुप्तेश्वर गणेश का मंदिर पुरातन काल के मंदिरों में से एक है। ये मंदिर रतन नगर पहाड़ी पर स्थित है। गणपति के भक्‍तों का कहना है कि कुछ वर्षो पहले तक भगवान गणेश का आकार धीरे-धीरे लगभग पांच से दस फीट तक बढ़ गया था।

    मंदिर के जानकारों का कहना है कि साल 1985 में राइट टाउन की रहने वाली सुधा राजे ने सपने में इस जगह को देखा था और भगवान ने इसे यहां पूजा के साथ स्थापित करने की बात कही, जिसके बाद इसे पहाड़ी पर देखा गया, तब एक बड़ी शिला पर भगवान गणेश की आकृति के दर्शन हुए।

    तभी से लोग यहां पूजा करने लगे। सुप्तेश्वर भगवान गणेश की एक प्राकृतिक मूर्ति है, जो लगभग 25 फीट ऊंची है और सौ वर्ग फुट के क्षेत्र में विराजमान है। यहां भगवान गणेश को सिंदूर लगाकर पूजा की जाती है।