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    Sharbati Wheat: जानें, शरबती आटे के नाम पर क्यों वसूले जा रहे मनमाने दाम

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Thu, 19 May 2022 08:35 PM (IST)

    Madhya Pradesh जितनी मात्रा में शरबती के नाम से आटा की बिक्री हो रही है उस अनुपात में शरबती गेहूं की पैदावार ही नहीं है। निजी कंपनियां शरबती किसानों से शरबती के नाम पर अन्य किस्मों के गेहूं भी ले रही हैं।

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    उपज से ज्यादा बाजार में बिक रहा शरबती गेहूं का आटा। फाइल फोटो

    विदिशा, अजय जैन। देश भर के बाजार में जितनी मात्रा में शरबती के नाम से आटा की बिक्री हो रही है, उस अनुपात में शरबती गेहूं की पैदावार ही नहीं है। निजी कंपनियां शरबती गेहूं उगाने के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के विदिशा और सीहोर में ही किसानों से शरबती के नाम पर अन्य किस्मों के गेहूं भी ले रही हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि शरबती गेहूं का अपेक्षित पैदावार नहीं है। दस वर्षों में इन दोनों जिलों में शरबती गेहूं की पैदावार आधे से भी कम हो गई है। कृषि मंडी में गेहूं का कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि अरसा पहले शरबती गेहूं को जीआइ टैग मिल चुका है। यानी यह प्रजाति इसी परिक्षेत्र में पैदा होती है। शरबती यानी सी-306 के आटा की जगह बाजार में इसी किस्म से मिलती-जुलती प्रजाति एचआइ 1544 किस्म का आटा बिक रहा है। अनाज तिलहन व्यापार संघ के अध्यक्ष राधेश्याम माहेश्वरी कहते है कि जिले की मंडियों में सिर्फ दस प्रतिशत शरबती गेहूं की आवक होती है। 90 प्रतिशत गेहूं अन्य किस्मों का होता है। निजी कंपनियां अन्य किस्मों में शामिल एचआइ 1544 किस्म का गेहूं खरीदकर उसे शरबती के नाम से बेचती है।

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    जानें, शरबती आटा का गणित

    वर्तमान में विदिशा में 30 हजार और सीहोर में 70 हजार हेक्टेयर में शरबती गेहूं बोया जा रहा है। इसकी औसत पैदावार एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल मानी जाती है। इस लिहाज से दोनों जिलों में एक लाख हेक्टेयर में सिर्फ 25 लाख क्विंटल की पैदावार होती है। जबकि शरबती के नाम से आटे की बिक्री पूरे देश में इससे कई गुना अधिक होती है। दस साल पहले दोनों जिलों में दो लाख 10 हजार हेक्टेयर में शरबती बोया जाता था। तब दोनों जिलों में 52 लाख 50 हजार क्विंटल शरबती की पैदावार होती थी।

    शरबती आटे के नाम पर वसूल रहे मनमाने दाम

    विदिशा और सीहोर की मंडियों में शरबती गेहूं के दाम 2500 से 3650 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। औसत दाम 3150 रुपये होता है लेकिन निजी कंपनियां ग्राहकों से शरबती गेहूं के आटे के नाम पर दोगुना राशि वसूल रही हैं। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का शरबती आटा 60 रुपये किलो बेचा जा रहा है। वहीं, आनलाइन खरीदारी में आटा के एक किलो पैक का दाम 80 रुपये बताया जा रहा है।

    शरबती गेहूं सी 306 किस्म में पोषक तत्व अधिक

    गेहूं की सी 306 और 1544 दोनों किस्म अलग अलग है। शरबती गेहूं सी 306 किस्म में पोषक तत्व अधिक होते हैं। एचआइ 1544 किस्म के गेहूं में इतने पोषक तत्व नहीं होते। इनकी पैदावार में भी अंतर है। शरबती असिंचित क्षेत्र की फसल है, जबकि एचआइ 1544 को भरपूर सिंचाई की जरूरत होती है।

    - डा. पीके मिश्रा, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक,कृषि महाविद्यालय,गंजबासौदा जिला विदिशा।

    मप्र के इन जिलों में होती है शरबती सी 306 की पैदावार

    शरबती सी- 306 की पैदावार देश में सिर्फ मध्य प्रदेश के विदिशा, सीहोर, अशोकनगर, नरसिंहपुर जिलों में ही होती है, इनमें भी 90 प्रतिशत पैदावार विदिशा और सीहोर में होती है। वर्ष 1969 में यह किस्म असिंचित क्षेत्र के लिए तैयार की गई थी। इसकी पैदावार एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल होती है। इसके बाद अधिक पैदावार वाली किस्म आने लगी और सिंचित क्षेत्र बढ़ने लगा तो किसानों का शरबती से मोह भंग हो गया। जिले में गेहूं के कुल रकबे में सिर्फ आठ प्रतिशत में शरबती बोया जा रहा है।

    - पीके चौकसे, उप संचालक, कृषि, विदिशा।