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    उपराष्ट्रपति के लिए रेड्डी की उम्मीदवारी से आदिवासियों के जख्म हुए हरे, 14 साल पुराने फैसले से कैसे बदल गया था सबकुछ?

    आईएनडीआईए गठबंधन द्वारा बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने पर सलवा जुडूम आंदोलन से जुड़े जख्म फिर हरे हो गए हैं। वर्ष 2011 में रेड्डी ने इस आंदोलन को असंवैधानिक करार दिया था जिसके बाद इस पर रोक लग गई थी। आदिवासी संगठनों का मानना है कि कांग्रेस का यह निर्णय बस्तर के आदिवासियों के साथ अन्याय है।

    By Digital Desk Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sun, 24 Aug 2025 02:00 AM (IST)
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    रेड्डी ने 2011 में सलवा जुडूम आंदोलन को असंवैधानिक करार दिया था (फोटो: एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएनडीआईए गठबंधन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के सलवा जुडूम आंदोलन से जुड़े जख्म हरे हो गए हैं। रेड्डी वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने वर्ष 2011 में निर्णय देते हुए सलवा जुडूम आंदोलन को असंवैधानिक करार दिया था।

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    इस आंदोलन की शुरुआत वर्ष 2005 में माओवादियों की जबरन भर्ती के खिलाफ स्थानीय आदिवासियों द्वारा की गई थी। इसे बाद में राज्य की रमन सिंह सरकार का समर्थन भी मिला। कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा ने आंदोलन का खुलकर समर्थन किया, जिनकी माओवादियों ने हत्या कर दी। मानवाधिकार संगठनों ने इस आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

    सलवा जुडूम पर लग गई थी रोक

    रेड्डी के फैसले के बाद सलवा जुडूम पर रोक लग गई, जिससे मानवाधिकार समूहों ने राहत की सांस ली, लेकिन सुरक्षा नीति समर्थकों और आदिवासी संगठनों ने इसे माओवादी हिंसा को बढ़ावा देने वाला कदम माना। आदिवासी संगठनों का मानना है कि रेड्डी को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने का कांग्रेस का निर्णय बस्तर के आदिवासियों के साथ अन्याय है।

    सलवा जुडूम बंद होने से माओवादी हिंसा बढ़ी और हजारों आदिवासियों की जान गई। आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम ने कहा कि कांग्रेस वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा देती रही है और रेड्डी की उम्मीदवारी इसी का उदाहरण है। भाजपा ने कांग्रेस और रेड्डी दोनों पर तीखा हमला बोला है।

    भाजपा ने विपक्ष पर साधा निशाना

    प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि यदि फैसला न आया होता तो वर्ष 2020 तक माओवादी हिंसा समाप्त हो गई होती। इस बीच, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इंटरनेट मीडिया पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है।

    अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने वामपंथियों के दबाव में ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है, जिसने सलवा जुडूम पर ऐसा फैसला दिया, जिससे माओवाद को सहारा मिला। उधर, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा पर अनावश्यक विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रेड्डी का फैसला पूरी तरह संवैधानिक था और कांग्रेस भी सलवा जुडूम आंदोलन का समर्थन करती रही है।

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