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ऋषि दुर्वासा की तपस्थली है अमरकंटक, यहां से निकलती है नर्मदा नदी

जिस नदी को सिर्फ देखने भर से गंगा में स्नान का पुण्य मिलता हो, ऐसी नदी नर्मदा का उद्गम स्थल है अमरकंटक। यहीं पर सतपुड़ा, विंध्य और मैकल पर्वत श्रेणियों का संगम होता है। यह जगह ऋषि दुर्वासा की तपस्थली भी कही जाती है जो अपने क्रोधी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 15 Sep 2016 06:42 AM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2016 06:47 AM (IST)
ऋषि दुर्वासा की तपस्थली है अमरकंटक, यहां से निकलती है नर्मदा नदी

भोपाल जिस नदी को सिर्फ देखने भर से गंगा में स्नान का पुण्य मिलता हो, ऐसी नदी नर्मदा का उद्गम स्थल है अमरकंटक। यहीं पर सतपुड़ा, विंध्य और मैकल पर्वत श्रेणियों का संगम होता है। यह जगह ऋषि दुर्वासा की तपस्थली भी कही जाती है जो अपने क्रोधी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।

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खास है अमरकंटक पर्यटक स्थल...

अमरकंटक छोटा किंतु सुंदर एवं शांतिप्रिय धार्मिक स्थल है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में है।छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा यह स्थल

तीर्थराज के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर ही सतपुड़ा, विंध्य और मैकल की पहाड़ियों का मेल होता है। अमरकंटक देश की दो प्रमुख नदियों

नर्मदा और सोन के उद्गम स्थल के लिए लोकप्रिय है। नर्मदा यहां से पश्चिम की एवं सोन पूर्व दिशा की ओर बहती है।

नदी देखने का पुण्य

नर्मदा को देश की सबसे पवित्र नदियों में से एक कहा जाता है। पुराणों के अनुसार गंगा में एक बार स्नान से, सरस्वती में तीन बार स्नान और जमुना में सात बार के स्नान से जो पुण्य मिलता है उतना नर्मदा को देखने मात्रा से मिल जाता है। अमरकंटक सालभर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां सिर्फ तीर्थ यात्री ही नहीं अपितु सैर सपाटे के लिए पर्यटक अपने परिवार एवं मित्रों के साथ आते हैं।यह सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि मध्य भारत का खूबसूरत हिल स्टेशन भी है। अमरकंटक टीक और महुए के पेड़, विविध प्रकार के औषधीय पौधों, सुंदर झरनों और हरी भरी पहाड़ियों से घिरा है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।यहां के बायो रिजर्व को यूनेस्को ने अपनी सूची में शामिल किया है। यहां भ्रमण के लिए किसी भी मौसम में जाया जा सकता है।

प्रमुख दर्शनीय स्थल

माता नर्मदा मंदिर यहां का प्रमुख मंदिर है, जहां मंदिर के सामने के कुंड में नर्मदा जी उत्पन्न होती हैं। इस परिसर में बहुत सारे मंदिर हैं, पर यहां बने हाथी के बीच से निकलना ना भूलिए। स्थानीय लोग इसे शुभ मानते हैं। कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर एवं खूबसूरत पत्थरों की नक्काशी से सुशोभित मंदिर कलचुरी राजा कर्मा देव ने बनवाए थे। नागर शैली के इन मंदिरों में शिव मंदिर, पातालेश्वर मंदिर और कर्ण मंदिर प्रमुख हैं। इसका संरक्षण पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। कबीर चबूतरा और कबीर तालाब भी यहां के रमणीय पर्यटक स्थल हैं।सोनमुडा स्थान सोन नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है। कपिल धारा और दुग्ध धारा यहां के मनमोहक झरने हैं जो नर्मदा नदी पर हैं। कपिल धारा में 24 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है। वहीं दुग्ध धारा में पानी दूध के समान दिखाई पड़ता है, इसीलिए इसे दुग्ध धारा कहते हैं।

कैसे पहुंचें

निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर और रायपुर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड है, जो यहां से 44 किमी दूर है। यहां से स्थानीय बसें आसानी से मिल जाती हैं।

कहां रुकें
ठहरने के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन का हॉलिडे होम है। इसके अलावा बहुत सी धर्मशाला और लॉज हैं।


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