RGPV में नैक ग्रेडिंग फर्जीवाड़े को लेकर हंगामा, कुलगुरु ने राज्यपाल को भेजा इस्तीफा
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में नैक ग्रेडिंग में फर्जीवाड़े का आरोप है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने विश्वविद्यालय पर झूठे दावे करने का आरोप लगाया, जिसके बाद कुलगुरु ने इस्तीफा दे दिया। अभाविप ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय ने गलत जानकारी देकर 'ए' ग्रेड हासिल किया। छात्रों ने सुविधाओं और प्लेसमेंट के दावों पर सवाल उठाए और अधिकारियों की चुप्पी पर नाराजगी जताई।

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय। (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग में फर्जीवाड़ा कर दिया। मूल्यांकन के दौरान विश्वविद्यालय ने शिक्षकों, सुविधाओं और कैंपस प्लेसमेंट के बारे में झूठे दावे किए, जिसके आधार पर उसे ए ग्रेड मिल गया। इन आरोपों पर गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कुलगुरु कार्यालय के बाहर हंगामा कर दिया। इसके बाद कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया।
गड़बड़ियों के आरोप
गौरतलब है कि ए ग्रेडिंग आने के बाद से आरजीपीवी प्रबंधन तो खुश है, लेकिन विद्यार्थियों में भारी असंतोष है। पिछले कुछ दिनों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। परिषद का आरोप है कि नैक मूल्यांकन के लिए विवि ने जो सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) पेश की, उसमें लगभग सारे दावे झूठे हैं।
विवि में आर्थिक घोटाले के बाद करीब तीन साल से प्लेसमेंट के लिए कंपनियां नहीं आ रही हैं। इसके बाद भी कैंपस प्लेसमेंट दिखाए गए। विवि ने परिसर में सक्रिय छात्र परिषद की जानकारी दी, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। रिपोर्ट में बताया है कि विवि से 323 संबद्ध कालेज हैं और इनमें से 300 नैक से मान्यता प्राप्त है। नैक पोर्टल पर उपलब्ध डाटा बताता है कि सिर्फ 25 संबद्ध कालेजों को ही नैक की मान्यता है।
अभाविप ने बताया कि एसएसआर रिपोर्ट में विवि ने पिछले पांच सालों में उप कुलसचिव, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक जैसे प्रशासनिक अधिकारियों को भी फुलटाइम शिक्षक बताया है। ऐसा पीएचडी, डीएससी और डीलिट उपाधि वाले फुलटाइम शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए किया गया। एसएसआर में दावा किया गया है कि 2018-19 से 2022-23 तक विवि को राज्य सरकार से 623 करोड़ का अनुदान सैलरी, पेंशन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए मिला, जबकि राज्य सरकार आरजीपीवी को सैलरी-पेंशन मद में कोई अनुदान नहीं देती है।
विवि ने बीटेक स्तर पर एग्रीकल्चर टेक्नोलाजी, फायर सेफ्टी, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंजीनियरिंग और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और एमबीए इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट जैसे कोर्स चलने का दावा किया, जबकि ये पाठ्यक्रम कैंपस में है ही नहीं।
विद्यार्थी सुविधाओं पर भी सवाल
- अभाविप का आरोप है कि नैक की टीम को विद्यार्थियों से बातचीत करने का मौका नहीं दिया गया।
- विवि ने परिसर में विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का दावा किया था। वास्तविकता यह है कि यहां स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बंद पड़ा है और प्रतियोगिताएं दूसरे कालेजों में होती हैं।
- टीचिंग और स्मार्ट क्लासरूम की सुविधा के दावे की हकीकत यह है कि तीन हजार विद्यार्थियों के लिए छह स्मार्ट क्लासरूम हैं, वे भी पूरी तरह कार्यशील नहीं हैं।
- नालेज रिसोर्स सेंटर में विद्यार्थी और फैकल्टी कभी गए ही नहीं।
छात्र नेताओं के सवालों पर अधिकारियों की चुप्पी
कुलगुरु कार्यालय के घेराव के दौरान कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी, कुलसचिव मोहन सेन, यूआइटी डाइरेक्टर सुधीर भदौरिया, आइक्यूएसी प्रभारी अर्चना तिवारी बातचीत करने आए। इस दौरान छात्र नेताओं ने एसएसआर में किए दावों के सबंध में सवाल पूछे तो कुलगुरु सहित सभी अधिकारी चुप्पी साध गए। कार्यालय के बाहर करीब पांच घंटे तक प्रदर्शन चलता रहा।
अभाविप के प्रदेश मंत्री केतन चतुर्वेदी ने कहा कि एसएसआर में झूठे तथ्य देना गंभीर अकादमिक भ्रष्टाचार है। कुलगुरु ने नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफ़ा सौंपा, लेकिन सरकार को तत्काल प्रभाव से धारा-54 लागू करनी चाहिए। इस भ्रष्टाचार में शामिल सभी जिम्मेदारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करानी चाहिए।

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