जज्बे को सलाम: शादी के 15 दिन बाद शहीद हो गए थे पति, वीर चक्र से सम्मानित बलिदानी पति के सपनों को पूरा करने के लिए रेखा बनीं लेफ्टिनेंट
रेखा सिंह ने अपने पति की बलिदान होने के बाद उनके सपने (लेफ्टिनेंट बनने) को पूरा करने का संकल्प लिया। रेखा सिंह का चयन भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ। प्रशिक्षण पूरा होने पर एक साल में मैं भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपनी सेवाएं दूंगी।

रीवा, जेएनएन। विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत से काम लेकर और कठिनाईयों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण से हर स्थिति का सामना करते हुए रेखा ने अप्रतिम उपलब्धि हासिल की। उन्होंने पति दीपक सिंह के उन्हें अधिकारी बनाने के सपने को पूरा किया। विंध्य वीरों और बलिदानियों की भूमि है। यहां की माटी में जन्म लेने वाले कई वीरों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। इन्हीं में शामिल हैं रीवा जिले के ग्राम फरेदा के लांस नायक स्वर्गीय दीपक सिंह। दीपक ने भारतीय सेना के जांबाज सैनिक के रूप में 15 जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए हमले का जोरदार मुकाबला किया। इस संघर्ष में दीपक सिंह मातृभूमि की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए। उनके बलिदान की खबर रीवा पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्यों के साथ पत्नी रेखा पर जैसे वज्रपात हो गया। विवाह के केवल 15 माह के बाद रेखा ने अपने पति को खो दिया। दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बलिदानी के स्वजन को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की थी।
जानकारी हो कि रेखा सिंह ने अपने पति की बलिदान होने के बाद उनके सपने (लेफ्टिनेंट बनने) को पूरा करने का संकल्प लिया। उनके मायके और ससुराल के परिवारजनों ने पूरा सहयोग किया। रेखा सिंह को मध्यप्रदेश शासन की ओर से शिक्षाकर्मी वर्ग दो पद पर नियुक्ति दी गई। उन्होंने पूरी जिम्मेदारी से अपना शिक्षकीय दायित्व निभाया। लेकिन उनके मन में सेना में जाने की इच्छा लगातार बलवती होती रही। रेखा सिंह ने जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से इस संबंध में चर्चा की। रेखा सिंह को रीवा जिला प्रशासन तथा जिला सैनिक कल्याण कार्यालय ने सेना में चयन के संबंध में उचित मार्गदर्शन और संवेदनशीलता से सहयोग दिया।
वहीं, रेखा सिंह की शादी बिहार रेजीमेंट की 16वीं बटालियन के नायक दीपक सिंह से हुई थी। रेखा और दीपक की शादी को अभी महज 15 महीने ही हुए थे कि उन्हें यह झटका लगा। लेकिन अपने देश के प्रति देशभक्ति ने उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया और वो इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपने मुकाम पर पहुंची। रेखा सिंह ने बताया कि जब कोई नव विवाहिता किसी कारणवश अपने पति को खो देती है तो परिवार और समाज उस बेटी के भविष्य को लेकर अनेक प्रश्नचिन्ह लगाता है तथा तरह-तरह के लांछन लगाकर भविष्य के आगे ब़ढ़ने के सभी मार्ग बंद करने का प्रयास करता है। मैं ऐसे व्यक्तियों का मुंह बंद करने और अपनी बहनों को हौसला देने के लिए सेना में शामिल हुई हूं। मुझे उचित मार्गदर्शन मिला। मैंने नोएडा जाकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारियों का प्रशिक्षण लिया। रीवा में मैंने फिजिकल ट्रेनिंग ली। अपने प्रथम प्रयास में मुझे सफलता नहीं मिली। लेकिन दूसरे प्रयास में मेरा चयन भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ। मेरा प्रशिक्षण 28 मई से चेन्नई में शुरू होगा। प्रशिक्षण पूरा होने पर एक साल में मैं भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपनी सेवाएं दूंगी।
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