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    दूध के पैकेट और प्लास्टिक के कचरे से बनेगा प्लाइवुड, लकड़ी के प्लाइवुड से ज्यादा होगा मजबूत; लागत भी होगी कम

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 10 May 2022 06:21 PM (IST)

    डा. दीक्षित ने बताया कि प्लास्टिक से बना प्लाईवुड लकड़ी के प्लाइवुड से ज्यादा मजबूत और सस्ता भी होगा। इसकी मजबूती (टेंसाइल स्ट्रेंथ) 20 मेगा पास्कल है। इसे लकड़ी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

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    मैनिट में विज्ञानी ने विकसित की तकनीक, लकड़ी के प्लाइवुड से ज्यादा होगा मजूबत

    अंजली राय, भोपाल: आने वाले समय में दूध के पैकेट, प्लास्टिक की बोतल, खिलौने व प्लास्टिक के अन्य कचरे से प्लाइवुड बनाया जा सकेगा। यह लकड़ी के प्लाइवुड से ज्यादा मजबूत होगा। पानी का भी इस पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। उत्पादन लागत भी लकड़ी से तैयार किए जाने वाले प्लाइवुड के मुकाबले 10 प्रतिशत तक कम होगी। इसे बनाने की तकनीक भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के रसायन शास्त्र विभाग ने विकसित की है। यह तकनीक पर्यावरण के दुश्मन बने प्लास्टिक अपशिष्ट के पुन: उपयोग की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी।

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    मैनिट में रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्ष डा. सविता दीक्षित ने बताया कि प्लास्टिक के कचरे से ऐसा प्लाइवुड तैयार किया गया है जो लकड़ी का विकल्प हो सकता है। उनके अनुसार वातावरण में कार्बन के तत्व बढ़ रहे हैं। पर्यावरण के लिए खतरा बन रहे दूध के पैकेट, प्लास्टिक की बोतलें और प्लास्टिक के अन्य कचरे को रिसाइकिल कर हम प्लाइवुड बना सकते हैं। इसके लिए डा. सविता ने एक पालीमर कंपोजिट तैयार किया है। इस शोध का प्रकाशन अमेरिकी जर्नल एससीआइ में किया जा चुका है। इसका पेंटेंट भी मैनिट ने करा लिया है।

    दो वर्ष के बाद शोध में मिली सफलता: डा. दीक्षित के अनुसार लगभग दो वर्ष में यह शोध पूरा हुआ है। हर घर से प्रतिदिन दूध के पैकेट, पालीथिन, पानी की बोतलें आदि निकलती हैं जो बायोडिग्रेडेबल नहीं होती हंं। परिणामस्वरूप ये कचरा वर्षों तक वातावरण में यूं ही पड़ा रहता है और नुकसान पहुंचाता है। घरों में प्रयोग होने वाली प्लास्टिक की बाल्टी, मग व अन्य सामान भी टूटने के बाद पर्यावरण के लिए खतरा बन जाता है। डा. दीक्षित ने बताया कि बड़ी मात्रा में निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को देखते हुए ही उन्होंने इसके पुन: प्रयोग पर विचार किया और शोध आरंभ किया। इसी शोध का परिणाम है कि प्लास्टिक के कचरे से प्लाइवुड बनाया जा सकता है जो हमारे लिए उपयोगी होगा और पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी। डा.सविता ने अलग-अलग प्लास्टिक अपशिष्ट से प्लाइवुड के 500 सैंपल बनाए हैं। दूध के पैकेट और अन्य प्लास्टिक अपशिष्ट से बना प्लाइवुड इन्हीं सैंपल में शामिल है।

    प्लाइवुड का टेंसाइल स्ट्रेंथ 20 एमपी: डा. दीक्षित ने बताया कि प्लास्टिक से बना प्लाईवुड लकड़ी के प्लाइवुड से ज्यादा मजबूत और सस्ता भी होगा। इसकी मजबूती (टेंसाइल स्ट्रेंथ) 20 मेगा पास्कल है। इसे लकड़ी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसका दोबारा उपयोग भी नए सिरे से प्लाइवुड व अन्य उत्पाद बनाने में हो सकता है। इस कारण यह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोगी है।

    इन चीजों को मिलाकर बनता है मजबूत प्लाइवुड: डा. सविता दीक्षित ने बताया कि नई विधि से प्लाईवुड बनाने में एलडीपीई (कम घनत्व वाले पालीइथायलीन) जैसे प्लास्टिक की पतली पालीथिन, खाद्य पदार्थों की थैली, दूध के पैकेट, एचडीपीई (उच्च घनत्व पालीइथायलीन) जैसे प्लास्टिक की बोतलें, खिलौने, प्लास्टिक की टूटी बाल्टी के साथ-साथ प्लास्टिक के अन्य कचरे, नारियल का जूट, पराली, प्रयोग की जा चुकी दवाओं की स्ट्रिप सहित कुछ रसायनों का उपयोग किया है।