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    MP News: मोहन सरकार के एक साल, सांस्कृतिक विरासत में लिखे गए नए अध्याय

    Updated: Thu, 12 Dec 2024 08:17 PM (IST)

    मध्य प्रदेश की मोहन सरकार को एक साल हो गए। एक साल में तमाम डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में कई बड़े काम हुए हैं। बीते एक साल में सीएम का जोर सुशासन पर रहा है। वहीं इस दौरान नए नजरिये के हिंदुत्व के साथ भी रहा। विगत एक साल में प्रमुख धार्मिक स्थलों को धाम और लोक का स्वरूप देकर सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण दिया गया।

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    मोहन सरकार के एक साल (फाइल फोटो)

    जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार को एक साल हो गए। बतौर सीएम बने डॉ. मोहन यादव का पहला वर्ष पूरा हुआ। विगत एक साल में सीएम का सुशासन पर जोर रहा, साथ ही नए नजरिये के हिंदुत्व के साथ भी रहा। इसमें गोपालन से आर्थिक समृद्धि, गीता से सांस्कृतिक चेतना, श्रीकृष्ण पाथेय और श्रीराम वनगमन पथ से धार्मिक पर्यटन का बढ़ावा देना शामिल है। सिंहस्थ भूमि के स्थायी आवंटन से उज्जैन में नई आध्यात्मिक पहचान मिली तो प्रमुख धार्मिक स्थलों को धाम और लोक का स्वरूप देकर सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण दिया गया।

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    पर्वों को सरकार द्वारा मनाने से सामाजिक समरसता का संचार हुआ। इन प्रयासों की शुरुआत से पहले डॉ. मोहन यादव ने कुर्सी संभालते ही मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर उतारे जाने का आदेश दिया था। खुले में मांस विक्रय पर रोक लगाने का निर्णय भी लिया, जिसका अच्छा प्रभाव दिख रहा है।

    दरअसल, डॉ. मोहन यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सुशासन की प्राथमिकता को आगे बढ़ाते हुए विकास पर जोर दिया। लोक कल्याणकारी योजनाओं की निरंतरता बनाए रखते हुए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए निवेश पर फोकस किया, लेकिन संघ और भाजपा की हिंदुत्व की लाइन को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया।

    डॉ. मोहन यादव ने सुशासन और हिंदुत्व को लेकर देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग किया, जिसमें हिंदुत्व के प्रखर एजेंडे के बजाय इसे पर्यटन, रोजगार, आर्थिक समृद्धि और सामाजिक चेतना के साथ जोड़ दिया। वह गोपालन को गोपालकों और किसानों की आय का साधन बताते हैं। इस वजह से अत्याधुनिक गोशालाओं के निर्माण के साथ उन्होंने 10 से अधिक गाय पालने वालों को अनुदान देने की घोषणा कर दी, साथ ही गोशाला में प्रति गाय चारा की राशि 20 से बढ़कर 40 रुपये कर दी।

    गीता जयंती पर भोपाल में गीता के सस्वर पाठ का विश्व कीर्तिमान बना। वहीं, प्रदेश भर में आयोजित गीता प्रतियोगिता में 25 लाख से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बड़ी संभावना डॉ. मोहन यादव ने उन स्थानों में तलाशी, जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े हैं। उनका तर्क है कि उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ली थी और यहां के विभिन्न स्थल उनकी लीलाओं से जुड़े हैं। इन सभी स्थानों को धाम के रूप में विकसित कर श्रीकृष्ण पाथेय बनाने की तैयारी है।

    इसी प्रकार भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान प्रदेश में गुजारे गए 11 वर्षों से जुड़े सभी स्थलों को भी जोड़ते हुए श्रीराम वनगमन पथ का निर्माण किया जा रहा है। सिंहस्थ को देखते हुए उज्जैन के विकास को नया स्वरूप दे रहे डॉ. मोहन यादव ने एक और बड़ी घोषणा की है। सिंहस्थ की भूमि पर अब स्थायी रूप से साधु, संत और महामंडलेश्वर के आश्रम बनेंगे। निश्चित तौर पर यह निर्णय धार्मिक मानचित्र पर उज्जैन की उपस्थिति और भी मजबूत करेगा। त्योहारों को संस्कृति और सामाजिक समरसता का संवाहक मानते हुए डॉ. मोहन यादव ने इसे समाज के साथ मनाने पर जोर दिया है।

    वह कहते हैं कि पर्व में समाज के साथ सरकार को भी मिल जुल कर इसके आनंद को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने इसकी शुरुआत रक्षाबंधन से की और लाड़ली बहना योजना की राशि के साथ 250 रुपये अतिरिक्त दिए थे। वह करीब एक पखवाड़े तक पूरे प्रदेश में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में पहुंचे थे। इसके बाद जन्माष्टमी, विजयादशमी पर शस्त्र पूजन और गोपाष्टमी का भव्य आयोजन किया गया।

    हिंदुत्व को लेकर डॉ. मोहन यादव का यह नजरिया देश में एक नए मॉडल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। विकास के साथ सुशासन की तरफ बढ़ रहे डा. मोहन यादव ने कार्यप्रणाली में हिंदुत्व को जिस तरह समाहित किया है, उस पर संघ और भाजपा की मंशा का असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। बीते एक साल में डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली ने संकेत दे दिए हैं कि आने वाले चार वर्षों में वह पिछली किसी लकीर के पास से गुजरने के बजाय नई लकीर खींचने की तैयारी कर चुके हैं।

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