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    New Rules Of Surrogacy: अब अकेली महिला भी बन सकेगी मां, केंद्र सरकार ने सरोगेसी नियमों में किए बड़े बदलाव

    Updated: Fri, 23 Feb 2024 12:43 PM (IST)

    New Rules Of Surrogacy केंद्र सरकार द्वारा सरोगेसी के नियमों में बदलाव किए गए हैं। इस बदलाव से कई लोगों के चेहरों पर खुशी दिखाई देने वाली है। केंद्र सरकार ने सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 में संशोधन किया है। नियमों में किए गए बदलाव के अनुसार अब सरोगेसी प्रक्रिया में युग्मक (Gametes) बच्चा चाहने वाले दंपत्ति का ही होना जरूरी नहीं है।

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    New Rules Of Surrogacy: केंद्र सरकार ने सरोगेसी नियमों में किए बड़े बदलाव

    डिजिटल डेस्क, इंदौर। New Rules Of Surrogacy: केंद्र सरकार ने हाल ही में किराए की कोख यानी सरोगेसी (Surrogacy Rules) से जुड़े कुछ नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इन नियमों के बदलाव से देश के लाखों ऐसे कपल्स को भी राहत मिलेगी, जो अपने घर में किलकारी सुनना चाहते हैं।

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    केंद्र सरकार ने सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 में संशोधन किया है। जिसके अनुसार अब सरोगेसी प्रक्रिया में युग्मक (Gametes) बच्चा चाहने वाले दंपत्ति का ही होना जरूरी नहीं है।

    केंद्र सरकार ने क्यों किया संशोधन

    इंदौर की ख्यात Infertility Specialist डॉ. इशिता गांगुली के मुताबिक, Gametes इंसान की प्रजनन कोशिका है। इसमें महिला युग्मक को Ova या Egg Cells कहा जाता है, वहीं पुरुषों के Gametes को Sperm कहा जाता है।

    सरोगेसी कानून के तहत, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब तक बने कानून के अनुसार स्पर्म और एग सेल्स पति-पत्नी का ही होना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने इन नियम में अब संशोधन कर दिया है।

    सरकार का फैसला दंपतियों के लिए लाया खुशखबरी

    डॉ. इशिता गांगुली के मुताबिक, कई बार टीबी जैसी बीमारियों के कारण महिलाओं का यूटरस या ओवरी भी डैमेज हो जाती है। ऐसे में संतान सुख पाने के लिए महिलाओं को एग डोनेशन की भी आवश्यकता होती है। इसके अलावा 35 से 40 वर्ष की उम्र में महिलाओं की बच्चेदानी में भी कई इश्यू आने लगते हैं। ऐसे में महिला को सरोगेसी के साथ-साथ एग डोनेशन की भी जरूरत होती है। ठीक यही स्थिति पुरुषों के लिए भी बन सकती है। ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई दंपतियों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा।

    कई महिलाओं ने SC में दायर की थी याचिका

    साल 2023 मेयर-रोकितांस्की-कुस्टर-हॉसर (MRKH) सिंड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसके शरीर में एग्स नहीं बन पा रहे हैं। सरोगेसी अधिनियम के तहत बनाए गए नियम-7 को लेकर कई पीड़ित महिलाओं ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिला को डोनर एग्स के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।

    अधिसूचना में क्या कहा गया?

    अधिसूचना में कहा गया है कि यदि जिला मेडिकल बोर्ड ये प्रमाणित करता है कि इच्छुक जोड़े में से कोई भी पति या पत्नी ऐसी चिकित्सीय स्थिति से गुजर रहे हैं जिसके लिए डोनर Gametes की आवश्यकता होती है तो डोनर Gametes का उपयोग करके सेरोगेसी की अनुमति दी जाती है। 

    सरकार के फैसला का स्वागत

    स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार द्वारा सरोगेसी के नियमों में किए गए बदलाव का स्वागत किया है। कई बार सरोगेसी से जुड़ी महिलाएं अधिक उम्र की हो सकती हैं और उम्र अधिक होने के कारण अंडों की संख्या और क्वालिटी में कमी आती है। वहीं, IVF विशेषज्ञों ने कहा है कि यह एक बहुत ही सकारात्मक फैसला है।

    विधवा या तलाकशुदा महिलाओं के लिए क्या कहता है नियम?

    सरोगेसी के नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलावों से सिंगल महिला के लिए खुशी की बात है। सरोगेसी की प्रक्रिया से गुजरने वाली सिंगल महिला (विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी प्रक्रिया का लाभ उठाने के लिए स्वयं के अंडाणु और दाता के शुक्राणु का उपयोग करना होगा।  

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