Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    MP के मूल निवासी अभ्यर्थियों के हक पर डाका डाल रहे थे NEET की सीट के सौदागर

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 03:10 PM (IST)

    मध्यप्रदेश में नीट परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसमें बिहार और महाराष्ट्र के छात्रों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मेडिकल कॉलेजों मे ...और पढ़ें

    Hero Image

    नीट में फर्जीवाड़ा (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के मेडिकल कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया को हिलाकर रख देने वाले नीट फर्जीवाड़ा प्रकरण में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। पुलिस जांच में पता चला है कि यह संगठित गिरोह राज्य की 85 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रदेश के मूल निवासी अभ्यर्थियों का हक छीनकर बिहार और महाराष्ट्र के अयोग्य छात्रों को एडमिशन दिलवा रहा था। कोहेफिजा पुलिस की अब तक की कार्रवाई में 12 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें दस्तावेज बनाने वाले, दलाल, अभ्यर्थी, उनके स्वजन और बैंकिंग सहयोगी शामिल हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

    पुलिस जांच के अनुसार यह गिरोह फर्जी दस्तावेज तैयार कराने का वन-स्टाप साल्यूशन सेंटर की तरह काम करता था। मध्यप्रदेश का निवासी दिखाने के लिए सबसे पहले फर्जी आधार कार्ड बनवाया जाता, फिर उसके आधार पर मूलनिवासी प्रमाण पत्र तैयार किया जाता। इसके बाद अभ्यर्थी को आरक्षित वर्ग की सीट दिलाने के लिए लोकसेवा केंद्र से फर्जी दिव्यांग, स्वतंत्रता सेनानी, और ईडब्ल्यूएस के प्रमाण पत्र तक बनवा दिए जाते थे।

    यह भी पढ़ें- NEET PG: हाई कोर्ट ने पीजी दाखिले में प्रदेश के मूल निवासी छात्रों से भेदभाव के आरोप पर मांगा जवाब, जानिए क्या है पूरा मामला

    लाखों में बिकती थी सीट

    गिरोह बड़ी सफाई से इन दस्तावेजों को वास्तविक दिखाने के लिए अलग-अलग जिलों के अधिकारियों से जुड़े संपर्क भी खोज लेता था। गिरोह एक सीट का सौदा 25 से 30 लाख रुपये में करता था। जबकि सच में यह प्रदेश के वास्तविक पात्र छात्रों का हक छीनने जैसा था।

    मध्यप्रदेश में मेडिकल सीटों का बड़ा हिस्सा डोमिसाइल आधारित आरक्षण पर निर्भर है। यही वजह है कि यह नेटवर्क प्रदेश के मूल निवासी कई प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों की मेहनत और भविष्य पर सीधा प्रहार कर रहा था। इससे न केवल परीक्षा की पारदर्शिता प्रभावित हुई, बल्कि मेडिकल शिक्षा की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

    कई राज्यों में फैला नेटवर्क

    कोहेफिजा पुलिस ने अब तक आरोपितों को पकड़ा है, उनमें फर्जी दस्तावेज बनाने वाले, मध्यस्थ, अभ्यर्थियों को एडमिशन दिलाने वाले संपर्क, वाहनों और बैंक खातों के माध्यम से सहायता करने वाले लोग शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है और इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं। जांच टीम डिजिटल ट्रांजैक्शन, बैंक रिकार्ड, मोबाइल लोकेशन और दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया खंगाल रही है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं।

    शिवपुरी, रीवा और दतिया में भी हो चुकी हैं एफआईआर

    दिल्ली और बिहार से मूलत: चलने वाले इस रैकेट के जरिए राजधानी भोपाल के अलावा भी कई जिलों में मौजूद मेडिकल कालेजों में प्रवेश दिलवाए जा रहे थे। शिवपुरी, रीवा और दतिया में भी पुलिस ने फर्जी दिव्यांग और स्वतंत्रता सेनानी प्रमाणपत्र बनाकर प्रवेश लेने वाले अभ्यार्थियों के विरूद्ध केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है।

    अब तक गिरफ्तार हुए आरोपी

    1. हिमांशु कुमार 21 वर्षीय, सहरसा बिहार (अभ्यर्थी)
    2. शैलेंद्र कुमार, सहरसा बिहार (हिमांशु का पिता)
    3. क्रिस्टल डीकोस्टा 19 वर्षीय, बोरीवली मुंबई (अभ्यर्थी)
    4. क्लाइव डिकोस्टा, बोरीवली मुंबई (क्रिस्टल का पिता)
    5. रवि कुमार, 38 वर्षीय पिपरा सुपोल, बिहार (हिमांशु के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए)
    6. रविकर सिंह, 49 वर्षीय बहरामपुर, गाजियाबाद (क्रिस्टल के फर्जी दस्तावेज बनाने में मध्यस्थ)
    7. डा. राहुल राज रामत्रिया, 26 वर्षीय, अमईया, रीवा (दोनों छात्रों को एडमिशन दिलवाने में भूमिका)
    8. अमित कुमार, 25 वर्षीय सिवान, बिहार (आरोपितों को कार किराये पर दी)
    9. मो साजिद, 23 वर्षीय सिवान बिहार, (आरोपितों को किराये से कार दी)
    10. कौशल कुमार,35 वर्षीय सैकपुरा बिहार (फर्जीवाड़े के लिए बैंक खातों से लेनदेन)
    11. नवल कुमार, 31 वर्षीय सिवान, बिहार (फर्जीवाड़े के लिए बैंक खातों से लेनदेन)
    12 - पंकज कुमार, 31 वर्षीय सिवान, बिहार (फर्जीवाड़े के लिए बैंक खातों से लेनदेन)