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Madhya Pradesh: बोरवेल में बच्चा गिरा तो बचाव अभियान का पूरा खर्च भूस्वामी से वसूलेगी मप्र सरकार

Madhya Pradesh मध्य प्रदेश में अब बोरवेल खुला छोड़ा और उसमें बच्चा गिरा तो बचाव कार्य का पूरा खर्च भूस्वामी से वसूलने के नियम बनाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। यदि बोरवेल खुला हुआ मिला तो भूस्वामी पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जा सकेगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 04:08 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 07:50 PM (IST)
Madhya Pradesh: बोरवेल में बच्चा गिरा तो बचाव अभियान का पूरा खर्च भूस्वामी से वसूलेगी मप्र सरकार
बोरवेल खुला छोड़ा और बच्चा गिरा तो बचाव अभियान का पूरा खर्च भूस्वामी से वसूलेगी मप्र सरकार

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में अब बोरवेल खुला छोड़ा और उसमें बच्चा गिरा तो बचाव कार्य का पूरा खर्च भूस्वामी से वसूलने के नियम बनाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यदि बोरवेल खुला मिला तो भूस्वामी पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जा सकेगा।

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बोरवेल में गिर चुके हैं चार बच्चे

दरअसल, मध्य प्रदेश में कई जगह खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं। सात महीने में चार बच्चे बोरवेल में गिर चुके हैं। ऐसी घटना होने पर समूचा प्रशासन जुट जाता है। एसडीआरएफ, होमगार्ड के जवान से लेकर सेना की भी मदद ली जाती है। जिले के एसपी- कलेक्टर भी बाकी काम छोड़कर बचाव अभियान में लग जाते हैं। बुधवार को ही छतरपुर जिले में दीपेंद्र नाम का बच्चा 30 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया, जिसे साढ़े सात घंटे की मेहनत के बाद सुरक्षित निकाला जा सका।

कलेक्टर कर सकते हैं कार्रवाई

खुले बोरवेल की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फिलहाल सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति-नियम नहीं हैं। ऐसे कोई प्रविधान भी नहीं है कि किसी ने बोरवेल खुला छोड़ा तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि कलेक्टर चाहें तो हादसे को न्योता देने वाले खुले बोर मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।

इसलिए जरूरी हैं कड़े नियम

बच्चों को जान का खतरा होने के साथ ही प्रशासनिक मशीनरी पर भी बोझ बढ़ता है। खुले बोरवेल की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फिलहाल सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नियम नहीं हैं। ऐसे कोई प्रविधान भी नहीं हैं कि किसी ने बोरवेल खुला छोड़ा तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। नियम न होने से लोग खुले बोर को बंद करने में कोई रुचि नहीं लेते हैं, इसलिए कड़े नियम जरूरी हैं।

राहुल 105 घंटे बाद निकला था सुरक्षित

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में 10 जून की दोपहर राहुल साहू (10) 80 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था और 60 फीट नीचे गहराई में एक पाइप के पास मोड़ में फंस गया था। पांच दिन तक एनडीआरएफ, सेना व एसडीआरएफ समेत साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के विशेषज्ञों की मदद से बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया। समानांतर गढ्ढा खोदने में काफी दिक्कतें आईं। चट्टानों को तोड़ने में 105 घंटे का वक्त लगा, तब कहीं जाकर राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला गया। देश का यह सबसे बड़ा आपरेशन था। पूरे अभियान के दौरान राहुल ने गजब की जिजीविषा दिखाई। उसे एक सााह तक अपोलो अस्पताल बिलासपुर में डाक्टरों की विशेष निगरानी में रखा गया। गढ्ढे में चार दिनों तक पानी में आधा डूबे रहने के कारण राहुल के शरीर में संक्रमण हो गया था। कई जगहों पर घाव के निशान थे। अस्पताल में राहुल का 10 दिनों तक इलाज चला। अब वह सुरक्षित अपने गांव में है।

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छतरपुर में बोरवेल में गिरे मासूम दीपेंद्र यादव का अनूठे तरीके से सकुशल‌ रेस्क्यू करने वाले टीआई अनूप यादव और एएसआई दीपक यादव को पुरस्कृत किया जाएगा। खुले बोरवेल‌ में इस तरह की बढ़ती‌ घटनाओं को देखते हुए सरकार रेस्क्यू का सारा खर्चा बोरवेल के मालिक से वसूलने पर विचार कर रही है।

View attached media content - Dr.Narottam Mishra (@drnarottammisra) 30 June 2022


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