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    Politics Of Name Change In MP: मध्य प्रदेश के कई और शहरों के नाम भी बदले जाएंगे, ऐसे पड़े इन शहरों व स्थानों के नाम

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 10:32 PM (IST)

    Politics Of Name Change In MP भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन (रानी कमलापति) व मिंटो हाल (कुशाभाऊ ठाकरे सभागार) के बाद धार्मिक नगरी होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम करने पर मुहर लग गई है। प्रदेश के कई और शहरों के नाम भी बदले जाएंगे।

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    मध्य प्रदेश के इन शहरों के नाम भी बदले जाएंगे, ऐसे पड़े शहरों व स्थानों के नाम। फाइल फोटो

    भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन (रानी कमलापति) और मिंटो हाल (कुशाभाऊ ठाकरे सभागार) के बाद धार्मिक नगरी होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम करने पर मुहर लग गई है। इसके साथ ही गुलामी के कलंक से मध्य प्रदेश को मुक्त करने के लिए और शहरों के नाम बदले जाएंगे। इनमें सीहोर जिले का नसरल्लागंज, रायसेन जिले का औबेदुल्लागंज, सुल्तानपुर, गौहरगंज, बेगमगंज सहित अन्य शहरों व कस्बों के नाम शामिल हैं। इन शहरों से नाम बदलने की मांग उठने लगी है। इनमें से नसरल्लागंज का नाम भेरूंदा करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 22 फरवरी, 2021 को कर चुके हैं। वहीं, भोपाल नगर निगम परिषद वर्ष 2017 में शहर का नाम भोजपाल करने का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेज चुकी है, जो लंबित है।

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    नवाबी हुकूमत का पड़ा असर

    विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) रहते हुए रामेश्वर शर्मा ने ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी करने और सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लालघाटी व हलालपुर का नाम बदलने की मांग की है। भोपाल जिला और इसके आसपास के शहरों पर नवाबी हुकूमत का बड़ा असर पड़ा है। नवाब परिवार के सदस्यों और उनके नजदीकी लोगों की जहां-जहां रियासत थी, उन शहरों के नाम बाद में उन्हीं के नाम पर रख दिए गए। भोपाल, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद जिलों के ज्यादातर शहरों के नाम इसीलिए पड़े हैं। जिन्हें बदलने की मांग वर्ष 2006 से लगातार उठ रही है। प्रदेश में ऐसे शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति की पहचान फिर से कायम करने की शुरुआत की गई है।

    इन शहरों के पुराने नाम

    भोपाल को भूपाल या भोजपाल।

    विदिशा को भेलसा या विदावती।

    सीहोर को सीधापुर।

    ओंकारेश्वर को मांदाता।

    दतिया को दिलीप नगर।

    महेश्वर को माहिष्मति।

    जबलपुर को त्रिपुरी या जबालिपुरम।

    ग्वालियर को गोपांचल।

    ऐसे पड़े इन शहरों और स्थानों के नाम

    औबेदुल्लागंज: रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज शहर का नाम भोपाल नवाब सुल्तानजहां बेगम के दूसरे पुत्र औबेदुल्ला खां के नाम पर है।

    नसरल्लागंज: नवाब सुल्तानजहां बेगम के पहले पुत्र नसरल्ला खां को सीहोर जिले के भेरूंदा (नसरल्लागंज) की जागीर देकर नामकरण किया था।

    गौहरगंज: रायसेन जिले का तहसील मुख्यालय गौहरगंज का नाम भोपाल नवाब हमीदउल्लाह खां की बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर रखा गया है। उन्हें गौहर महल के खिताब से नवाजा गया था।

    भोपाल: परमार वंश के राजा भोज ने यहां 1000 ईस्वी से 1055 ईस्वी तक राज किया। शहर का नाम नवाब शासन से पहले भूपाल था। इसलिए अब भोजपाल करने की मांग है।

    लार्ड मिंटो हाल: वर्ष 1909 में भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो भोपाल आए थे। उन्हें राजभवन में रुकवाया गया था, वे वहां की व्यवस्थाओं से नाराज थे। तब तत्कालीन नवाब सुल्तानजहां बेगम ने 12, नवंबर 1909 को लार्ड मिंटो से इस हाल की नींव रखवाई और उन्हीं के नाम पर नामकरण हुआ।

    ईदगाह हिल्स: भोपाल के ईदगाह हिल्स इलाके में गुरुद्वारा है। यहां करीब पांच सौ साल पहले सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव रके थे। यहां गुरु के पैरों के निशान हैं। इसलिए इस स्थान का नाम गुरुनानक टेकरी करने की मांग उठी है।