MP में हाथियों को मिलेगा नया 'ग्रीन बुफे', विचरण क्षेत्रों में करौंदा, लेमन ग्रास, कैक्टस की कृषि को किया जाएगा प्रोत्साहित
मध्य प्रदेश सरकार ने हाथियों की सुरक्षा और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इसके तहत, हाथी विचरण क्षेत्रों में करौंदा, लेमन ग्रास और कैक्टस की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पिछले साल कोदो खाने से हुई हाथियों की मौत के बाद यह कदम उठाया गया है। इसका उद्देश्य हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में ही भोजन उपलब्ध कराना है।

वन्य क्षेत्र में विचरण करते हाथी (प्रतीकात्म्क चित्र)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले वर्ष कोदो की फंगस युक्त फसल खाने से हुई दस हाथियों के मौत से सबक लेते हुए अब मध्य प्रदेश के हाथी विचरण क्षेत्रों में करौंदा, लेमन ग्रास और कैक्टस की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि हाथी-मानव संघर्ष को कम किया जा सके और उनके आवास क्षेत्र में ही उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जा सके।
यह है मकसद
यह कदम हाथियों को उनके प्राकृतिक विचरण क्षेत्रों से बाहर आने से रोकने के लिए उठाया जाएगा, जहां वे फसल या इंसानों को नुकसान पहुंचाते हैं। हाथियों को उनके प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता से उनके झुंडों का खेतों में आना कम होगा। लेमन ग्रास जैसी फसलों में औषधीय गुण होते हैं और इनका उपयोग दवाइयों में भी किया जा सकता है।
इन जगहों पर होगा प्रयोग
बांधवगढ़, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी सहित ऐसे जिलों के वन क्षेत्रों में यह प्रयोग किया जाएगा जहां हाथियों की गतिविधियां अधिक होती है। इसके अलावा वन्यजीवों के रास्ते में सेंसर लगाए जाएंगे और क्रासिंग पुल बनाए जाएंगे।
पिछले साल 10 हाथियों की हो गई थी मौत
पिछले वर्ष अक्टूबर में उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत हो गई थी। हाथियों ने बड़ी मात्रा में खराब कोदो पौधे, अनाज खाए थे, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। टाइगर रिजर्व में खितौली और पतौर रेंज में 29 अक्टूबर को मृत पाए गए हाथियों के विसरा केंद्र सरकार के भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली उत्तर प्रदेश भेजे गए थे। रिपोर्ट के अनुसार मृत हाथियों के विसरा में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया था।
हाथी-मानव द्वंद्व रोकने यह भी होंगे प्रयास
मध्य प्रदेश के करीब सात जिलों में जंगली हाथियों का मूवमेंट है। वर्तमान में कान्हा, संजय दुबरी और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथी हैं और उमरिया, अनूपपुर, कटनी, सतना, सीधी, शहडोल, मंडला सहित अन्य जिलों में भी इनकी आवाजाही है। अब ऐसी बस्तियों को खाई खोदकर और फेंसिंग करके सुरक्षित किया जाएगा, जिनमें हाथियों की आवाजाही बढ़ रही है। ये खंतियां ऐसी खोदी जाएंगी कि हाथी पार न कर सकें और लकड़ी के पटियों या पत्थर का पुल बनाकर लोगों को निकलने के लिए रास्ता बनाया जाएगा।

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