MP Teacher Holiday: शिक्षकों के लिए 17 साल बाद आई खुशी, अब मिलेगा दस दिन का अर्जित अवकाश
मध्य प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हित में तीन बड़े फैसले लेने जा रही है। शिक्षकों को साल में दस दिन का अर्जित अवकाश मिलेगा, जो 17 साल बाद फिर से शुरू हो रहा है। सेवानिवृत्ति के बाद अर्जित अवकाश का नकदीकरण भी होगा। सरकारी नौकरी के लिए दो बच्चों की शर्त भी हटने वाली है, जिससे कई कर्मचारियों को फायदा होगा। ये नियम जल्द ही लागू किए जाएंगे।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हित में जल्द ही तीन बड़े कदम उठाने जा रही है। साढ़े चार लाख से अधिक शिक्षकों को वर्ष में दस दिन का अर्जित अवकाश मिलेगा। 17 साल बाद यह व्यवस्था को लागू करने जा रही है। वहीं, सेवानिवृत्ति के बाद शत-प्रतिशत अर्जित अवकाश का नकदीकरण की सुविधा भी मिलेगी। सरकारी नौकरी के लिए दो बच्चों की शर्त भी हटाई जा रही है। जनवरी 2026 से यह प्रविधान लागू हो जाएंगे।
प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अभी अर्जित अवकाश की सुविधा नहीं मिलती है। ग्रीष्मावकाश मिलने के कारण यह प्रविधान रखा गया था। धीरे-धीरे ग्रीष्मावकाश कम होते गए और अब ये दो माह से घटकर 20-22 दिन ही रह गए हैं। शिक्षक लंबे समय से अर्जित अवकाश का लाभ देने की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए वित्त विभाग ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 के स्थान पर मध्य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 तैयार किए हैं।
मध्य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 में क्या है?
इसमें शैक्षणिक संवर्ग को एक वर्ष में 10 दिवस के अर्जित अवकाश की पात्रता दी गई है। इसके साथ ही यह प्रविधान भी किया जा रहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद जितने अर्जित अवकाश शेष होंगे, उनका भी नकदीकरण किया जाएगा। पूरे सेवाकाल में पहले 240 दिन के नकदीकरण की सुविधा थी, जिसे बढ़ाकर 300 दिन किया गया है।
जटिल प्रक्रिया होने के कारण इसका पूरा लाभ ही नहीं मिल पाता था। उधर, स्वेच्छिक अवकाश और साप्ताहिक अवकाश के नियम में भी संशोधन प्रस्तावित है। अभी शासकीय कार्यालय पांच दिन लगते हैं। शनिवार को अवकाश रहता है। कोरोनाकाल में प्रारंभ हुई इस व्यवस्था के स्थान पर दूसरे और तीसरे शनिवार को कार्यालय लगाने का प्रविधान बहाल किया जा सकता है।
24 साल बाद दो बच्चे की पाबंदी हटेगी
उधर, सरकार एक और बड़ा निर्णय यह करने जा रही है कि यदि नौकरी कर रहे किसी अधिकारी-कर्मचारी का तीसरा बच्चा होता है तो उसे अपात्र मानकर सेवा से हटा दिया जाएगा। 26 जनवरी 2001 में यह शर्त लागू की गई थी। दरअसल, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित अन्य राज्य इस तरह की शर्त को हटा चुके हैं। इस निर्णय से स्कूल, उच्च, चिकित्सा शिक्षा सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों को लाभ होगा।
इनसे जुड़ी शिकायतें नस्तीबद्ध हो जाएंगे लेकिन जिन पर कार्रवाई हो चुकी है, उन प्रकरणों में कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि निर्णय को भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय काे भेज दिया है, जिस पर जल्द अंतिम निर्णय होने की संभावना है।

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