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    साइबर ठगों के मंसूबे होंगे नाकाम, बैंकों में तुरंत फ्रीज होगी राशि, MP पुलिस ने किया ये नवाचार

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 07:55 PM (IST)

    मध्य प्रदेश पुलिस ने साइबर अपराधों को रोकने के लिए साइबर मुख्यालय में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया है। यह प्रकोष्ठ ठगी की राशि को तुरंत फ्रीज कराने के लिए बैंकों से संपर्क करेगा। दिल्ली पुलिस के 'मिटिगेशन सेंटर' से प्रेरणा लेकर, यह सेल साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन और अन्य माध्यमों से मिली शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई करेगा। इसका उद्देश्य ठगी के शिकार लोगों को उनकी राशि वापस दिलाना है।

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    साइबर ठग (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ते साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है। ठगी की राशि को तत्काल फ्रीज कराने के लिए राज्य साइबर मुख्यालय में एक विशेष प्रकोष्ठ (सेल) का गठन किया गया है। इस सेल में एक उपनिरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जो ठगी की सूचना मिलते ही संबंधित बैंक से संपर्क कर खाते में जमा राशि को रोकने की कार्रवाई करेंगे।

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    त्वरित कार्रवाई करेगा प्रकोष्ठ

    यह प्रकोष्ठ इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C), साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 और अन्य चैनलों से मिली शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करेगा। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ठग आमतौर पर ठगी की राशि को तीन से चार खातों में तेजी से ट्रांसफर कर देते हैं, ऐसे में शुरुआती एक-दो घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। समय रहते बैंकों से बातचीत कर राशि मिलने की संभावना बनी रहती है।

    दिल्ली पुलिस से मिली प्रेरणा

    साइबर मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने ‘मिटिगेशन सेंटर’ के नाम से इसी तरह की सेल बनाई है। ययह सेल सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के बैंकों के साइबर ठगी के संबंध में बने नोडल अधिकारियों के संपर्क में रहती है। जैसे ही किसी ठगी की सूचना मिलती है, सेल तुरंत बैंक को खाता नंबर, खाताधारक का नाम और ठगी की राशि का विवरण भेजती है, जिसके आधार पर राशि को उसकी खाते में होल्ड कर दिया जाता है। इसके बाद पीड़ित को संपर्क कर राशि वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

    ठगी के बड़े मामलों पर नजर

    यह सेंटर अभी पांच लाख रुपये से अधिक की ठगी के मामलों के लिए काम करेगा। स्टाफ बढ़ने के बाद इससे कम की ठगी के लिए काम किया जाएगा। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 से अब तक प्रदेश में लगभग 1100 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं, लेकिन इनमें से मात्र 12 प्रतिशत राशि ही फ्रीज कराई जा सकी है। अब तक पीड़ितों को केवल दो करोड़ रुपये ही वापस मिल पाए हैं। पुलिस का कहना है कि कोर्ट के निर्देश पर शेष राशि भी लौटाई जाएगी।