PM गतिशक्ति पोर्टल पर दर्ज नक्शे से होगा डूब क्षेत्र में आने वाले वनों का सत्यापन, मुख्य सचिव ने ऑनलाइन बैठक में लगाई मुहर
मध्य प्रदेश में बांध और सिंचाई परियोजनाओं के डूब क्षेत्र में आने वाली वन भूमि का सत्यापन अब पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर दर्ज नक्शे से होगा। वन विभाग ने नक्शा अपलोड कर जल संसाधन विभाग को सूचित किया है। मुख्य सचिव ने पोर्टल का अधिक उपयोग करने पर जोर दिया था, जिससे पारदर्शिता आएगी। पोर्टल पर अन्य विभागों की जानकारी भी उपलब्ध है, जो आपदा प्रबंधन में मददगार होगी।

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में बांध व सिंचाई परियोजनाओं के प्रभावित डूब क्षेत्र में आने वाली वन भूमि का सत्यापन अब पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर दर्ज नक्शे के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग ने पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर वन भूमि का नक्शा अपलोड कर दिया है और जल संसाधन विभाग को इससे अवगत कराते हुए कहा कि डूब क्षेत्र का सत्यापन इसी नक्शे के आधार पर किया जाए।
इस आधार पर ही प्रभावित भूमि की क्षतिपूर्ति की जाएगी। दरअसल, मुख्य सचिव अनुराग जैन ने प्रगति आनलाइन बैठक में इस बात पर प्रमुखता से जोर दिया था कि भारत सरकार के पीएम गतिशक्ति पोर्टल का शासकीय कार्य में अधिक से अधिक उपयोग हो, जिससे कि विभिन्न विभागों के अलग-अलग कार्य एवं परियोजनाओं को पूर्ण करने में पारदर्शिता लाई जा सके।
वन भूमि सत्यापन पीएम गतिशक्ति पोर्टल से
पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर वन भूमि के नक्शे के अलावा, रेलवे, राजस्व, जल संसाधन विभाग, सिंचाई एवं नदियां, माइनिंग और सड़क जैसी जानकारी एकजाई की गई है। इससे किसी भी प्रोजेक्ट को करने में विभागों को अलग-अलग फाइलें नहीं चलानी पड़ती हैं। पीएम गतिशक्ति पोर्टल की रूपरेखा के तहत जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) की मदद ली जाती है। पीएम गतिशक्ति दरअसल भौगोलिक एवं स्थलाकृतिक बढ़त और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए विकेंद्रीकृत योजना को संभव कर रहा है, जिसमें पोर्टल पर मैप किए गए भूमि रिकार्ड के डेटा सहित विभिन्न डेटासेट से व्यापक मदद मिल रही है।
जल संसाधन विभाग को नक्शे से सत्यापन के निर्देश
पीएम गतिशक्ति पर वन भूमि के अलावा भूस्खलन जोन, आबादी के स्वरूप, ऊंचाई, बाढ़ संभावित क्षेत्रों, स्कूलों, अस्पतालों, परिवहन नेटवर्कों, गोदामों, दूरसंचार नेटवर्कों, आपातकालीन लैंडिंग स्थलों और मिट्टी की स्थिति इत्यादि पर मैप किए गए डेटा आपदा प्रबंधन के लिए अत्यंत मूल्यवान हो सकते हैं। यह डेटा जिला अधिकारियों को आपात स्थिति के दौरान संपूर्ण जानकारी और डेटा के आधार पर सटीक निर्णय लेने में सक्षम करेगा। इससे डूब में आने वाली वन भूमि का भी सत्यापन आसान हो जाएगा।

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