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    MP News: पीएम मोदी के GYAN फॉर्मूले से मप्र को भी विकसित बनाएगी मोहन सरकार, तीन साल की रूपरेखा तैयार

    By Vaibhav SridharEdited By: Ravindra Soni
    Updated: Fri, 19 Dec 2025 06:51 PM (IST)

    मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने पीएम मोदी के GYAN फॉर्मूले (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी) के आधार पर मध्य प्रदेश को विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। सरक ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत बनाने के लिए जिन चार वर्गों गरीब, युवा, अन्नदाता (किसान) और नारी (महिला) यानी ज्ञान (GYAN) के सशक्तीकरण का मंत्र दिया, उससे ही मोहन सरकार मध्य प्रदेश को भी विकसित बनाएगी। कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर आगामी तीन वर्षों का विकास का जो रोडमैप तय किया गया, उसके केंद्र में यही वर्ग हैं।

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    किसानों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर

    किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्ष 2026 को कृषि वर्ष घोषित किया जा रहा है। इसमें हर वह गतिविधि संचालित की जाएगी, जिससे किसान आत्मनिर्भर बनें। युवाओं को रोजगार मांगने वाला नहीं देने वाला बनाने के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। निवेश के माध्यम से जो औद्योगिक इकाइयां लगने जा रही हैं, उनसे रोजगार तो मिलेगा ही छोटे-छोटे उद्योग भी विकसित होंगे, जो स्वरोजगार का बड़ा माध्यम बनेंगे।

    इसी तरह महिला सशक्तीकरण के लिए लाड़ली बहना को स्वरोजगार से जोड़ने की तैयारी है। गरीबों के आर्थिक उत्थान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में गो-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की तैयारी है।

    पेश किया रोडमैप

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में बुधवार को आत्मनिर्भर, विकसित और समृद्ध मध्य प्रदेश का रोडमैप प्रस्तुत किया। इसमें कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखा है। प्राकृतिक खेती, उद्यानिकी फसलों के साथ गो-पालन के लिए किसानों को प्रेरित करने पर फोकस रहेगा।

    जैविक खेती का क्षेत्र प्रदेश में 17 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 20-22 लाख हेक्टेयर करना है। इससे जहां भूमि की सेहत में सुधार होगा, वहीं लागत में भी कमी आएगी। उत्पादन को बाजार तक पहुंचाने के लिए मंडियों को अपग्रेड करने के साथ आनलाइन मार्केटिंग पर जोर दिया जाएगा ताकि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले।

    लगातार बढ़ रही सिंचाई क्षमता

    सिंचाई क्षमता में लगातार वृद्धि की जा रही है। बीते दो वर्ष में साढ़े सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ाया गया है। अगले एक वर्ष में छह लाख हेक्टेयर की वृद्धि की तैयारी है। सिंचाई क्षमता बढ़ने से उत्पादन बढ़ा है लेकिन जितना लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। बिचौलिए अभी भी लाभ कमा रहे हैं।

    किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने कार्य योजना तैयार की है। कृषि वर्ष में प्रत्येक जिले में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का जाल बिछाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बनेंगे।

    गरीबों के उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता तो जारी रहेगी ही स्वनिधि, मुद्रा लोन, आजीविका मिशन, एक बगिया मां के नाम, होम स्टे जैसी गतिविधियों से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास भी किया जाएगा।

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    निवेश से खुलेंगे रोजगार के दरवाजे, ढाई लाख भर्तियां भी होंगी

    प्रदेश में अभी पंजीकृत बेरोजगारों (आकांक्षी युवा) 35 लाख के करीब हैं। प्रदेश के युवा काम मांगने वाले नहीं बल्कि काम देने वाले बनें, इस सिद्धांत पर सरकार काम कर रही है। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का जाल बिछाने की तैयारी है। प्रदेश के हर जिले में स्थानीय मांग को देखते हुए छोटी-छोटी इकाइयां लगाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    मुख्यमंत्री का रीजनल इंडस्ट्रीज कांक्लेव का उद्देश्य यही था कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर अधिक से अधिक उपलब्ध हों। निवेश के माध्यम से एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बीते दो साल में छह लाख करोड़ रुपये का निवेश धरातल पर उतर गया है।

    25 दिसंबर को ग्वालियर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से स्थापित होने वाली इकाइयों का भूमिपूजन करेंगे। पीथमपुर में पीएम मित्र पार्क से छह लाख किसानों को सीधा लाभ होगा तो दो से तीन लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा। पांच साल में ढाई लाख सरकारी पदों पर भर्ती होगी, जिसका रोडमैप तैयार हो चुका है।

    लाड़ली बहना को स्वरोजगार से जोड़ने की तैयारी

    प्रदेश में सरकार एक करोड़ 29 लाख लाड़ली बहनों को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह दे रही है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा भी कर दी कि यह राशि धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी और पांच हजार तक पहुंचेगी। यह राशि महिलाओं के सशक्तीकरण का माध्यम बने, इसके लिए स्वरोजगार से जोड़ने की तैयारी है।

    प्रयास यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं किसी न किसी आर्थिक गतिविधि से जुड़े। इसके लिए आजीविका मिशन का विस्तार किया जाएगा। साथ ही कारखानों में महिलाओं को तीन पाली में 24 घंटे काम करने की छूट भी दे दी गई है। भर्तियों में आरक्षण की व्यवस्था पहले से है।