MP में कफ सीरप प्रकरण के बाद भी सुस्ती कायम, 50 दिन में आ रही दवाओं की जांच रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद भी दवाओं की जांच में सुस्ती बरकरार है। प्रदेश भर से नमूने लिए गए, पर रिपोर्ट 50 दिन में आ रही है, क्योंकि भोपाल स्थित लैब की क्षमता कम है। सरकार ने लैबों को अपग्रेड करने के लिए 211 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। जबलपुर और ग्वालियर में नई लैब खुलने से स्थिति में सुधार की उम्मीद है।

लैब में परीक्षण (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के तीन जिलों में विषाक्त कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद सभी जिलों में कफ सीरप व अन्य दवाओं के बड़ी संख्या में सैंपल तो ले लिए, पर अब भी जांच रिपोर्ट अभी भी लगभग 50 दिनों के बाद आ रही है। इसकी बड़ी वजह भोपाल स्थित प्रदेश की एकमात्र शासकीय औषधि लैब की क्षमता कम होना है। लैबों की क्षमता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 211 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। इसी तरह से खाद्य लैब को उन्नत करने के लिए 109 करोड रुपये का प्रस्ताव है।
अभी संसाधन कम
अगली कैबिनेट बैठक में इन्हें प्रस्तुत करने की तैयारी है। कैबिनेट से स्वीकृति के बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भी भेजा जाएगा, जिससे कुछ राशि वहां से प्राप्त हो सके। कैबिनेट को भेजे जा रहे प्रस्ताव में सभी जिलों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन का कार्यालय, दवाओं की जांच के लिए हैंड हेल्ड डिवाइस, हाई परफारमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी मशीन, हाल ही में शुरू हुई इंदौर की लैब के लिए संसाधन, लैबों का एनएबीएल प्रमाणीकरण, जबलपुर और ग्वालियर की निर्माणाधीन लैब को शुरू करने के लिए मशीनें व अन्य संसाधन पर व्यय का प्रस्ताव शामिल रहेगा।
अक्टूबर में एक हजार से अधिक सैंपल मिले
कफ सीरप से छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्ना में बच्चों के बीमार होने और मृत्यु के बाद नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने प्रदेश भर से कफ सीरप व अन्य ओरल लिक्विड जैसे टानिक आदि के सैंपल लेने के निर्देश औषधि निरीक्षकों को दिए थे। अक्टूबर माह में प्रदेश भर से एक हजार से अधिक सैंपल राज्य लैब में एकत्र हो गए। अन्य दवाओं के सैंपल भी हमेशा की तरह लिए गए, पर जांच की गति पुरानी ही है।
जबलपुर-ग्वालियर में शुरू होंगी लैब
लैब की क्षमता के अनुरूप हर माह 20 से 30 सैंपलों की ही जांच हो पा रही है, इस कारण रिपोर्ट आने में 50 दिन तक लग रहे हैं। वहीं जो सैंपल जांच के लिए केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं में भेजे जा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट दो से तीन माह में आ रही है। बता दें कि इंदौर में भी लैब हाल ही में प्रारंभ हुई है, पर अभी पर्याप्त संसाधन नहीं होने से रोज पांच से 10 सैंपलों की जांच ही हो पा रही है। तीन माह के भीतर जबलपुर और अगले वर्ष ग्वालियर की लैब प्रारंभ होगी।
जिलों से आए सैंपलों की प्राथमिकता के अनुसार जांच की जा रही है। जरूरी सैंपल हाथों-हाथ भेजने की भी व्यवस्था भी की गई है। औषधि लैब की क्षमता बढ़ाई जा रही है। खाद्य एवं औषधि दोनों की लैबों को अपग्रेड करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
- दिनेश श्रीवास्तव, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन

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