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    MP में संविदा कर्मी आक्रोशित, नए संशोधन से नियमित भर्तियों में 50% आरक्षण लगभग खत्म, करेंगे प्रदर्शन

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 05:48 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में संविदा कर्मचारी सरकार के नए आरक्षण संशोधन से नाराज हैं, जिसके तहत नियमित भर्तियों में 50% आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। कई विभागों में संविदा पद नहीं होने से आरक्षण शून्य हो गया है। इसके विरोध में 20 नवंबर को राज्यभर में प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें घंटी, थाली बजाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा और पुरानी नीतियों को बहाल करने की मांग की जाएगी।

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    प्रदर्शन की तैयारी में संविदा कर्मचारी (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश में सरकार ने रिक्त पदों पर पात्र संविदा कर्मचारियों को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया है। इसमें अब यह संशोधन कर दिया है कि विभाग में संविदा के पद अथवा निकाले गए नियमित पद, दोनों में से जो कम होगा, उसका 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। कई विभागों में संविदा के पद ही नहीं हैं इसलिए जो नियमित भर्ती निकलती है, उसमें आरक्षण शून्य हो जाता है।

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    इससे संविदा कर्मचारी खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं।। अब इसके विरोध में संविदा कर्मचारी लामबंद हो गए हैं और 20 नवंबर को सभी मुख्यालय पर घंटी, थाली, चम्मच, लोटा बजाकर प्रदर्शन करेंगे। भोपाल में राज्य शिक्षा केंद्र के सामने प्रदर्शन होगा।

    हो रहा नुकसान

    संविदा अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि संविदा नीति से संविदा कर्मचारियों को लाभ के स्थान पर हानि हो रही है। आरक्षण संबंधी जो प्रविधान किए गए हैं उससे अच्छे तो 2018 की संविदा नीति के थे। भले ही उसमें नियमित भर्ती के पदों में 20 प्रतिशत आरक्षण था लेकिन यह पद निकल तो रहे थे। यह प्रविधान भी जोड़ा गया है कि आरक्षण का लाभ देंगे पर नए अभ्यार्थियों के समान ही परीक्षा देनी होगी। जबकि, संविदा कर्मचारी पहले से ही चयन प्रक्रिया के माध्यम से चयनित होकर नियुक्त हुए थे।

    समान कार्य समान वेतन भी नहीं

    उन्होंने कहा कि आरक्षण में भी यह प्रविधान कर दिया है कि जो भी पद आरक्षित रखे जाएंगे यदि उसमें कोई भी संविदा कर्मचारी उत्तीर्ण नहीं कर पाया तो उन्हें नए लोगों से भर दिया जाएगा। समान कार्य का समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। वरिष्ठता के हिसाब से वेतन निर्धारण नहीं किया गया है। पहले नियमित कर्मचारियों के समान मंहगाई भत्ता दिया जाता था लेकिन 22 जुलाई 2023 की संविदा नीति में इसे सीपीआई इंडेक्स कर दिया गया, जिसके कारण वेतन में कम वेतनवृद्धि होती है।

    सातवें वेतनमान का निर्धारण करते समय डेटा एंट्री आपरेटर को 2400 ग्रेड पे के अनुसार वेतन दिया जा रहा था, उसे घटाकर 1900 रुपये कर दिया। इसी तरह जिला परियोजना समन्वयक, विकास खंड समन्वयक, जिला महिला जेंडर समन्वयक का ग्रेड पे भी पहले से कम हो गया।

    घोषणा पर अमल नहीं

    महासंघ के अध्यक्ष राठौर ने कहा कि चार जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा कर्मचारियों के नियमित कर्मियों के समान अवकाश देने की घोषणा की थी। इसमें अर्जित अवकाश, आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश, ऐच्छिक अवकाश, चाइल्ड केयर लीव शामिल था लेकिन जब आदेश जारी हुए तो उसमें आकस्मिक अवकाश के साथ केवल 15 दिन का विशेष अवकाश देने का प्रविधान रखा।

    शासकीय आवास की पात्रता, मकान किराया भत्ता, वाहन भत्ता, संविदा कर्मचारियों की मृत्यु होने पर नियमित कर्मचारियों के समान स्वजन को एक्सग्रेसिया का लाभ दिया जाए। ग्रेच्युटी और अनुकंपा नियुक्ति का लाभ उन संविदा कर्मचारियों को भी दिया जाए जो इस नीति के आने के पहले सेवानिवृत्ति या दिवंगत हो गए। इन सभी मुद्दों को लेकर 20 नवंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा।