CM मोहन यादव का मिशन 30 लाख करोड़ का निवेश, 23 लाख रोजगार का दावा! चुनौतियों से कैसे निपटेगी MP सरकार?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए वैश्विक निवेश आकर्षित कर रहे हैं दुबई और स्पेन से 11119 करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। उनका दावा है कि इससे 23 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा। हालांकि नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के साथ भाजपा संगठन में तालमेल बैठाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निवेश के माध्यम से प्रयासरत हैं। इसके लिए वे विश्व के प्रमुख देशों में जाकर निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, भाजपा संगठन के साथ तालमेल बैठाने की चुनौती उनके सामने बढ़ गई है। नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की संभावित नई टीम पर डॉ. मोहन यादव की छाप दिखाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।
दरअसल, डॉ. मोहन यादव को अपनी पहचान बनाने के लिए ऐसे क्षेत्र की तलाश थी, जिससे वे अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित और मजबूत कर सकें। उन्होंने अपनी पूर्ववर्ती शिवराज सरकार की योजनाओं को जारी रखते हुए निवेश के प्रयासों को नए कलेवर में गति दी है।
यह पहला अवसर है, जब मध्य प्रदेश में अकेले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन से पहले उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इससे देश-विदेश के उद्यमियों को मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में उद्योग और निवेश की संभावनाओं से अवगत होने का अवसर मिला।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देश के प्रमुख महानगरों और अन्य देशों के दौरे भी लगातार कर रहे हैं। हाल ही में दुबई और स्पेन के दौरे के समय उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए 11,119 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव प्राप्त किया। मुख्य सचिव अनुराग जैन निवेश संबंधी नियमित मॉनिटरिंग कर रहे हैं, जिससे निवेशकों को आने वाली समस्याओं का त्वरित समाधान मिल रहा है।
कितने युवाओं को मिलेगा रोजगार?
राघवेंद्र सिंह के औद्योगिक नीति एवं निवेश संवर्धन विभाग के प्रमुख सचिव बनने के बाद निवेश के प्रयासों में तेजी आई है। इसके बेहतर परिणाम की संभावना जताई जा रही है। यदि निवेश आता है, तो मध्य प्रदेश देश का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ राज्य बन सकता है और जैसा कि डॉ. मोहन यादव का दावा है कि 23 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
डॉ. मोहन यादव की सरकार ने सरकारी नौकरियों में भी दो लाख भर्ती की घोषणा की है। बेशक उद्योग और निवेश आर्थिक मामलों से जुड़े हैं और कंपनियों के लिए लाभ-हानि का विषय हैं, लेकिन कोई भी उद्योग समूह और निवेशक देश और प्रदेश की राजनीतिक स्थिरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता।
राजनीतिक स्थिति निवेश को लंबे समय के लिए सफल बना सकती है। उद्योग और निवेश का सीधा संबंध भले ही राजनीति से न हो, लेकिन सरकार का संगठन के साथ तालमेल और संगठन में अनुशासन उद्योगों को निवेश के लिए आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारण बन जाता है।
मध्य प्रदेश में पिछले डेढ़ वर्षों में डॉ. मोहन यादव की सरकार के दौरान संगठन अपने ही नेताओं के क्रियाकलापों, बयानों और विरोधाभासों से कई बार हैरान हुआ है। इस पर अंकुश लगाने के लिए खुद अमित शाह को पचमढ़ी में आकर मंत्रियों, सांसदों और विधायकों से बात करनी पड़ी। उन्हें बाकायदा प्रशिक्षित किया गया।
30 लाख करोड़ का निवेश कैसे लाएगी मोहन सरकार?
डॉ. मोहन यादव की सरकार आने वाले दिनों में जब 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रही है तो किसी भी प्रकार की राजनीतिक नकारात्मक स्थिति को वे पसंद नहीं करेंगे। सत्ता के साथ संगठन पर अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह डॉ. यादव के सामने भी है। उन्होंने मुख्यमंत्री का पद वीडी शर्मा के अध्यक्ष रहते हुए संभाला।
शर्मा के अध्यक्ष रहते हुए ही 2020 में शिवराज सरकार ने वापसी की थी और 2023 का चुनाव भी भाजपा ने जीता था। इसमें कोई संदेह नहीं कि वीडी शर्मा के सामने डॉ. मोहन यादव की स्थिति हमेशा सहज नहीं रहती।
अब भाजपा ने एक बार फिर चौंकाते हुए सभी संभावितों के नाम दरकिनार कर विधायक हेमंत खंडेलवाल को अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है। खंडेलवाल को लो प्रोफाइल नेता माना जाता है। ऐसे में डा. यादव के सामने संगठन पर अपनी पकड़ बनाने का एक अच्छा अवसर है।
नए चेहरों को मिली बड़े सपने देखने की छूट
संगठन के लंबे दौर तक चली चुनाव प्रक्रिया में यह स्पष्ट हो चुका है कि किसी भी नाम को स्वीकारना और अन्य नाम को नकारना आसान नहीं है। भाजपा में दिग्गजों की भरमार है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने से उनके समर्थकों के बड़े हुजूम को भी समायोजित करने की चुनौती संगठन के सामने है। वीडी शर्मा के कार्यकाल में पीढ़ी परिवर्तन का जो दौर चला, उसने नए चेहरों को बड़े सपने देखने की खुली छूट दे दी है।
डॉ. मोहन यादव भी जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देने के लिए जाने जाते हैं। इन परिस्थितियों में प्रदेश भाजपा की नई टीम को अपने मुताबिक बनाना डॉ. मोहन यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है। यदि वे इसमें सफल होते हैं, तो सत्ता और संगठन पर उनकी पकड़ भाजपा में उनके बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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