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    MP Crime: जंगल में चलता मिला मिशनरी स्कूल, छात्रा ने की छेड़छाड़ की शिकायत; जांच टीम ने मार छापा

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 14 Jan 2024 05:00 AM (IST)

    मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किमी दूर समरधा के घने जंगल में संचालित हो रहे मिशनरी स्कूल में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के नेतृत्व में पहुंची टीम ने शनिवार को यहां जांच की तो कई खामियां सामने आईं। एक छात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया। एक छात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया।

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    जंगल में चलता मिला मिशनरी स्कूल, छात्रा ने की छेड़छाड़ की शिकायत

    प्रवीण मालवीय, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किमी दूर समरधा के घने जंगल में संचालित हो रहे मिशनरी स्कूल में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। करीब 100 एकड़ में बना सीएफआइ आवासीय स्कूल एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, लेकिन सीबीएसई पैटर्न का बोर्ड लगाकर अंग्रेजी माध्यम स्कूल होने का दावा किया जा रहा है।

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    एक छात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया

    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के नेतृत्व में पहुंची टीम ने शनिवार को यहां जांच की तो कई खामियां सामने आईं। एक छात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया। बच्चों ने बताया कि उनसेर् इसाई धर्म की प्राथना कराई जाती है। जांच के समय यह भी सामने आया कि कर्मचारियों को पढ़ने के लिए बाइबिल दी जाती है। हालांकि, दल के पहुंचने के पहले धार्मिक किताबें जला दी गई थीं। अधजली पुस्तकों को जब्त कर लिया गया है।

    कानूनगो के साथ मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोरे, महिला एवं बाल विकास के सहायक संचालक रामगोपाल यादव सहित अन्य उपस्थित थे। आयोग ने शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पुलिस को जांच एवं कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

    नक्षेत्र में की गई फेंसिंग

    चारों ओर जंगल, वाच टावर से नजर समरधा गांव से गिद्धगढ़ जाने वाले मार्ग पर बंद वन चौकी से तीन किमी अंदर अमोनी वनक्षेत्र में फेंसिंग से घिरा इलाका नजर आता है, जिसमें स्कूल संचालित किया जा रहा है। यहां बाहरी व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए वाच टावर हैं। सुरक्षा ऐसी कि स्कूल पहुंचने के लिए तीन गेट पार करना होता है। स्कूल परिसर के आसपास कोई आबादी भी नहीं है। टीम बमुश्किल स्कूल तक पहुंची। कर्मचारियों ने आयोग को बताया कि स्कूल में आसपास के गांव के बच्चे आते हैं, जिन्हें स्वजन खुद लेकर आते हैं। कोरोना काल के बाद से छात्रावास बंद है। पहले छात्रावास में 60 से अधिक बच्चे थे, लेकिन प्रबंधन विद्यार्थियों का कोई रिकार्ड नहीं दिखा सका।