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    Mahamrityunjaya Mantra: रोग दूर कर आयु बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र, जानें जाप का सही समय और नियम

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 19 Apr 2022 08:03 AM (IST)

    Mahamrityunjaya Mantra Jap महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार जाप करने से रोग और ग्रहों का दुष्‍प्रभाव दूर हो जाता है। ये कुंडली के मृत्यु दोष को भी दूर करता है और अकाल मृत्यु से भी रक्षा करता है। राशि अनुसार भी महामृत्युंजय मंत्र जप किया जाता है।

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    Mahamrityunjaya Mantra Jap : महामृत्‍युंजय के जप से क्‍या होता है लाभ

    जबलपुर, जेएनएन। महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के रुद्र अध्याय का एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की जाती है। इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जाप करने से आने वाले या विद्यमान रोगों और अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं, इस मंत्र के माध्यम से अपूरणीय मृत्यु तक से बचा जा सकता है। इस मंत्र के जाप से जीवन में अनेक लाभ होते हैं।

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    मार्कंडेय धाम तिलवारा के पंडित विचित्र महाराज बताते हैं कि अगर आपकी कुंडली में किसी भी प्रकार का मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र के जाप के लिए रात के 2 से 4 बजे का समय सबसे उत्तम माना गया है। ज्योतिषी पंडित सौरभ दुबे का कहना है कि नहाते समय एक बर्तन से शरीर पर पानी डालते हुए इस मंत्र का लगातार जाप करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। जब किसी घातक बीमारी या दुर्घटना के कारण किसी की अकाल मृत्यु संभव हो जाती है, तो उससे बचने का एक ही उपाय है - महामृत्युंजय साधना।

    महामृत्युंजय मंत्र का जाप राशि के अनुसार भी किया जाता है

    - महामृत्युंजय का प्रयोग मारकेश ग्रहों की दशा और अंतर्दशा में फलदायी होता है।

    - मृतसंजीवनी मंत्र ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ।

    - देवता मंत्रों के अधीन होते हैं- मंत्रधीनास्तु देवताः।

    - महामृत्युंजय शिव षड्भुजा वाले हैं, इनकी चार भुजाओं में अमृत कलश रखते हैं, अर्थात वे अमृत से स्नान करते हैं। अमृत का ही पान करते हैं एवं अपने भक्तों को भी अमृत पान कराते हुए अजर-अमर कर देते हैं। इनकी शक्ति भगवती अमृतेश्वरी हैं।

    वेदोक्त मंत्र 

    महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र यह है-

    त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

    -इस मंत्र में 32 शब्दों हैं और इसी मंत्र में ॐ’लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं।

    - इसे ‘त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहा जाता है। श्री वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात शक्तियां निश्चित की हैं

    - महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है।

    -हिन्दू धर्म में इस मंत्र को प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र माना जाता है।

    मान्यता है कि प्रिय महामृत्युंजय मंत्र से शिवजी को प्रसन्न करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। इस मंत्र को सिद्ध करने वाला जातक को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    डिसक्लेमर

    इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्रियों/गणनाओं की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सूचना विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांगों/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/शास्त्रों से संकलित कर आपको भेजी गई है। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी देना है, पाठकों या उपयोगकर्ताओं को इसे केवल जानकारी के रूप में लेना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी तरह से इसके उपयोग की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता या स्वयं पाठक की होती है।'।

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