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    'देशद्रोही' वाले बयान पर धीरेंद्र शास्त्री को नोटिस, अदालत ने 20 मई को पेश होने को कहा; जानिए पूरा मामला

    Updated: Fri, 16 May 2025 07:36 PM (IST)

    कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके एक बयान के लिए मध्य प्रदेश की कोर्ट ने उन्हें नोटिस जारी कर पेश होने को कहा है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि कुंभ न आने को देशद्रोह माना जाएगा। इस पर अदालत ने शास्त्री को 20 मई को सुबह 11.00 बजे न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा है।

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    पूर्व शासकीय अधिवक्ता संदीप तिवारी ने परिवाद दायर किया है (फाइल फोटो)

    जेएनएन, शहडोल। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री के यह कहने पर कि कुंभ न आने को देशद्रोह माना जाएगा, पर उन्हें मध्य प्रदेश के शहडोल प्रथम श्रेणी न्यायालय ने नोटिस जारी किया है।

    न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी शहडोल सीता शरण यादव ने शास्त्री को 20 मई को सुबह 11.00 बजे न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। जारी नोटिस के अनुसार महाकुंभ 2025 के संदर्भ में शास्त्री ने सार्वजनिक रूप से प्रयागराज में कहा था कि महाकुंभ में हर व्यक्ति को आना चाहिए, जो नहीं आएगा वह पछताएगा और देशद्रोही कहलाएगा।

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    पूर्व शासकीय अधिवक्ता ने दायर किया था वाद

    इस बयान को लेकर शहडोल जिला न्यायालय के पूर्व शासकीय अधिवक्ता संदीप तिवारी ने परिवाद दायर किया है। उनका कहना है कि यह वक्तव्य न केवल भारतीय संविधान की मूल भावना, विशेष रूप से धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के विरुद्ध है, बल्कि यह भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध भी है।

    अधिवक्ता तिवारी ने अपने परिवाद में कहा कि सेना, सैनिक, अस्पतालों में सेवा दे रहे डॉक्टर, कानून व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मी, न्यायपालिका के सदस्य, पत्रकार या कोई भी नागरिक जो अपने कर्तव्यों के कारण महाकुंभ में उपस्थित नहीं हो पाता, क्या उसे देशद्रोही कहा जा सकता है? यह वक्तव्य न केवल अतिसंवेदनशील है, बल्कि सामाजिक वैमनस्यता फैलाने वाला भी है।

    इस मामले को लेकर चार फरवरी 2025 को उन्होंने थाना सोहागपुर, शहडोल में शिकायती पत्र भी दिया था। पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर, शिकायत पुलिस अधीक्षक को भेजी गई। वहां से भी कोई कार्रवाई न होने पर तीन मार्च 2025 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, शहडोल के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया।

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