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    Madhya Pradesh News: इंसानों से महंगा बिक रहा कुत्तों का खून, जांच-पड़ताल में हुआ बड़ा खुलासा

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sat, 31 Dec 2022 10:53 AM (IST)

    Madhya Pradesh News आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इस समय इंसानों से भी ज्यादा महंगा पालतू कुत्तों का खून बिक रहा है। यहां कुत्ते के एक यूनिट खून की कीम ...और पढ़ें

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    Madhya Pradesh News: इंसानों से महंगा बिक रहा कुत्तों का खून, जांच-पड़ताल में हुआ बड़ा खुलासा

    भोपाल, जागरण डेस्क। Madhya Pradesh News: इंसान के जैसे बीमार होने पर खून चढ़ाया जाता है वैसे ही कुत्तों को भी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। दरअसल, बीमारी के दौरान अक्सर कुत्तों के शरीर में खून की कमी हो जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए दूसरे कुत्ते उन्हें रक्तदान करते हैं।

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    ये रक्तदान आवारा कुत्ते द्वारा किया जाता है, जिससे पालतु कुत्तों को एक नई जिंदगी मिलती हैं। लेकिन देश में पशुओं के बल्ड ट्रांसफ़्यूजन से लेकर ब्लड बैंक संचालित करने के लिए कोई नियम बनाए ही नहीं गए है। इसी का फायदा उठाते हुए लोग बड़ी रकम कमाने में लगे हुए है।

    इंसानों से महंगा जानवरों का खून

    आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इस समय इंसानों से भी ज्यादा महंगा पालतू कुत्तों का खून बिक रहा है। कोई नियम न होने के कारण भोपाल में अवैध तरीके से खून की मनमानी खरीद-फरोख्त हो रही है। यहां कुत्ते के एक यूनिट खून की कीमत 12 हजार रुपये है। नई दुनिया ने इस खबर की जांच पड़ताल की तो सामने एक बड़ा खुलासा हुआ। भोपाल के कोलार क्षेत्र में लिल पाज नाम से एक डाग क्लीनिक है, जहां कुत्तों का खून बेचने का धंधा चल रहा है।

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    कौन कर रहा ऐसे अस्पताल का संचालन?

    कुत्तों का खून बेचने का धंधा एक बड़े अस्पताल में किया जा रहा है, जिसका संचालन कोई आम लोग नहीं, बल्कि राज्य पशु चिकित्सालय में पदस्थ डा. मुकेश तिवारी कर रहे हैं। नई दुनिया ने अपने किए हुए स्टिंग आपरेशन में इसका खुलासा किया है। इस आपरेशन में पता चला है कि इस अस्पताल में 2 यूनिट खून की कीमत 24 हजार रुपये है। इसके अलावा अस्पताल महज 2 घंटे में कोई भी ब्लड ग्रूप उपलब्ध करवाने का दावा भी कर रहा है। जब डाक्टर तिवारी से सवाल किया गया कि कोई भी ब्लड ग्रूप केवल 2 घंटे में उपलब्ध कैसे करवा सकते है, तो इसपर उनका कोई जवाब नहीं आया।

    पशुपालन विभाग का क्या है कहना?

    पशुपालन विभाग के उपसंचालक डा. जयंत तापसे ने इसको लेकर नई दुनिया से कहा, 'किसी भी कारण रक्तस्राव, एनीमिया व दुर्घटना के मामलों में पालतू पशुओं को भी रक्त की जरूरत पड़ जाती है। ऐसा मामला होने पर जानवरों के ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए कोई नियम नहीं है, कुछ निजी अस्पताल इस तरह की सेवाएं चलाने लगे हैं। इस संबध में कानून बनाने की जरूरत है।'

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    पशुओं की चिकित्सा के न्यूनतम मानक तय नहीं - डा. उमेश शर्मा

    इंडियन वेटरनरी काउंसिल के अध्यक्ष डा. उमेश शर्मा ने कहा, 'वर्तमान में देश में पशुओं की चिकित्सा के ही कोई न्यूनतम मानक तय नहीं है। इसके चलते कुछ लोग इसका गलत फायदा भी उठा रहे हैं। ऐसा कोई मामला हमारे संज्ञान में आता है तो उसे देखेंगे। दरअसल समस्या इतनी छोटी नहीं है। वर्तमान में हम ऐसी महामारी से जूझ रहे हैं जो पशुओं से आई है। मनुष्यों में 75 प्रतिशत बीमारियां पशुओं से आ रही हैं। ऐसे में ह्यूमन और पेट्स के वन हेल्थ कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है। काउंसिल ने मिनिमम स्टैंडर्ड पर काम किया है। मानक तय हो जाने से गड़बड़ियां रुकेंगी।'

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