सभी जिलों में बनेंगे बाल गृह, कैबिनेट में जल्द लाया जाएगा प्रस्ताव; कानूनी प्रक्रिया भी होगी आसान
मध्य प्रदेश के 26 जिलों में बाल गृह शुरू करने की योजना है। अभी राज्य के केवल 29 जिलों में ही बच्चों को रखने की सुविधा है। कैबिनेट में जल्द ही इसके लिए प्रस्ताव लाया जाएगा। अभी इंदौर छोड़ सभी जिलों में बाल गृह का संचालन निजी संस्थाएं कर रही है। हर जिले में बनाए जा रहे शिशु गृह में 10 बच्चों को रखने की सुविधा रहेगी

जेएनएन, भोपाल। अनाथ, परित्यक्त या पालन-पोषण में असमर्थ माता-पिता के छह वर्ष तक के बच्चों के रखने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में बाल गृह मातृछाया की सुविधा होगी। अभी मात्र 29 जिलों में ही बच्चों को रखने की सुविधा है।
अब 26 जिलों में और प्रारंभ करने की तैयारी है। इसके लिए इन जिलों में विशेष दत्तक एजेंसी बनाई जाएगी। शीघ्र ही कैबिनेट में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा। इसका लाभ यह होगा कि जो बच्चा जिस जिले का रहेगा, उसे उसी जिले में रखा जा सकेगा।
जल्दी मिल जाएगी पात्रता
अभी उसे तुरंत पास के उस जिले में लेकर जाना पड़ता है, जहां स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (सा) हैं। इससे बच्चों को रखने की सुविधा तो होगी है, उन्हें लीगल फ्री यानी गोद पर देने के लिए पात्रता भी जल्दी मिल जाएगी।
अभी एक एजेंसी के पास दूसरे जिले का भी काम होने के कारण कई बार देरी होती है। अभी इंदौर छोड़ सभी जिलों में बाल गृह का संचालन निजी संस्थाएं कर रही है। अब ऐसी तैयारी है कि नए जिलों में शिशु गृह बनाने और संचालन का काम सरकार करेगी।
अंतिम निर्णय होना बाकी
हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी होना है। हर जिले में बनाए जा रहे शिशु गृह में 10 बच्चों को रखने की सुविधा रहेगी। बता दें कि पांच श्रेणी के बच्चों को शिशु गृह में रखा जाता है। उनमें अनाथ, माता-पिता द्वारा छोड़े गए बच्चे, ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता खराब आर्थिक स्थिति के चलते पालने की स्थिति में नहीं होते, मानसिक या शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण और जिनके अभिभावक कुछ समय के लिए बच्चों को छोड़ते हैं, पर इसके बाद आते ही नहीं हैं। प्रदेश में ऐसे 730 बच्चे बाल गृहों में रह रहे हैं।
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